Pakistani Women in Bhagalpur: पाकिस्तानी महिला आखिर कैसे बन गई बिहार की सरकारी शिक्षिका? कौन-कौन से काले कारनामे का हुआ पर्दाफाश, जानें पूरी सच्चाई विस्तार से
Pakistani Women in Bhagalpur बिहार एसआइआर में भागलपुर में सालों से रह रहीं दो पाकिस्तानी महिलाओं का भेद खुलने के बाद सरगर्मी तेज हो गई है। भारतीय नागरिकता नहीं होने के बावजूद बिहार में सरकारी शिक्षिका की नौकरी हासिल कर ली। हद तो यह कि इन महिलाओं ने अपना नाम मतदाता सूची में जुड़वा लिया। एक पाकिस्तानी महिला का स्कूल में उपस्थिति बनाने का तरीका भी संदेहास्पद है।
अभिषेक प्रकाश, भागलपुर। Pakistani Women in Bhagalpur बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) के दौरान भागलपुर जिले में पाकिस्तानी महिला के सरकारी शिक्षक होने की जानकारी ने शिक्षा विभाग के साथ-साथ शासन-प्रशासन को भी हिलाकर रख दिया है। मामला इमराना खातून उर्फ इमराना खानम का है, जिनके बारे में गृह विशेष विभाग की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि वह मूलरूप से पाकिस्तानी नागरिक है और पिछले पांच दशकों से पहचान बदलकर भागलपुर में रह रही है। उन्होंने बिना भारतीय नागरिकता प्राप्त किए न केवल देश की शैक्षणिक परीक्षाएं पास कीं, बल्कि बिहार में सरकारी शिक्षक की नौकरी भी हासिल कर ली।
मामला अब इसलिए और गहरा गया है क्योंकि इमराना खातून की स्कूल उपस्थिति में गड़बड़ी सामने आई है। नगर निगम क्षेत्र स्थित राजकीय उर्दू मध्य विद्यालय में तैनात प्रधानाध्यापक अब्दुल हई ने बताया कि इमराना गत 23 जुलाई से 16 अगस्त तक मेडिकल लीव पर थीं। 17 अगस्त को वह स्कूल आई थीं। लेकिन जब उनकी आनलाइन उपस्थिति की तस्वीरों की रैंडम जांच की गई तो ज्यादातर फोटो एक जैसे पाए गए। तस्वीरों में वह प्रायः एक ही तरह के आंकड़े लिखे ब्लैकबोर्ड के आगे ही दिखीं। इस तरह इमराना का अटेंडेंस पैटर्न संदेहास्पद है।
2012 से नौकरी, अब तक नहीं पकड़ी गईं
इमराना की नियुक्ति 31 जनवरी 2012 को नारायणपुर प्रखंड के एक स्कूल में हुई थी। इसके बाद 18 जुलाई 2013 से वह राजकीय उर्दू मध्य विद्यालय, भागलपुर में पदस्थापित हैं। नियुक्ति बिहार सरकार के 34,540 शिक्षक कोटे से की गई थी। सूत्रों के अनुसार, उनके खिलाफ समय-समय पर शिकायतें दर्ज हुईं, लेकिन गहन जांच कभी नहीं हुई। जिस तरह नाम छिपाकर वह इमराना खानम से इमराना खातून बन गईं, उसी तरह वह अटेंडेंस बनाने में भी फर्जीवाड़ा कर रही हैं।
वोटर लिस्ट व सर्टिफिकेट में पिता का नाम अलग-अलग
शिक्षा विभाग में जमा उनके प्रमाणपत्रों के अनुसार इमराना ने 1983 में फतेहपुर के एमएएन स्कूल से मैट्रिक, 1989 में मुस्लिम माइनारिटी स्कूल से इंटर और 1987 में भागलपुर प्राइमरी टीचर ट्रेनिंग सेंटर से प्राथमिक शिक्षण प्रमाणपत्र लिया। वहीं, आधिकारिक रिपोर्ट में वोटर लिस्ट और शैक्षणिक सर्टिफिकेट में पिता का नाम अलग-अलग पाया गया है। वोटर लिस्ट में पिता का नाम मोहम्मद इबमूल हसन दर्ज है, जबकि प्रमाणपत्रों में मोहम्मद मूसा। इस विसंगति से यह पुष्टि होती है कि इमराना खानम ही इमराना खातून हैं।
अखबार में खबर प्रकाशित होते ही छुट्टी पर गईं शिक्षिका
जैसे ही इमराना को खबर लगी कि उनकी पाकिस्तान से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक हो गई है, उन्होंने तत्काल छुट्टी ले ली। 22 अगस्त को उर्दू विद्यालय में पहले से अवकाश था, जबकि 23 और 24 अगस्त को उन्होंने सिक लीव का आवेदन दिया। प्रधानाध्यापक ने बताया कि 21 अगस्त को वह स्कूल आई थीं और सुबह 9:14 बजे ई-शिक्षा कोष पर अपनी उपस्थिति दर्ज की थी। अब देखना है कि वह 25 अगस्त को विद्यालय आती हैं या नहीं।
फतेहपुर से 10वीं तो मुस्लिम माइनारिटी स्कूल से इंटर
शिक्षा विभाग में प्रस्तुत किए गए सर्टिफिकेट के मुताबिक इनकी दशमी इंटर और डीएलएड की पढ़ाई भी भागलपुर से हुई है। इमराना खातून की मैट्रिक एमएएन फतेहपुर स्कूल से मदरसा बोर्ड से 1983 में हुई है। जबकि इंटर की पढ़ाई मुस्लिम माइनॉरिटी स्कूल से 1989 में हुई है। उसके बाद इमराना ने प्राइमरी टीचर ट्रेनिंग सेंटर भागलपुर से 1987 में डीएलएड कोर्स किया है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अगर इनके मैट्रिक से पहले के कागजातों की जांच हो तो उसमें यह फर्जी साबित हो जाएगी
23 जुलाई से मेडिकल लीव पर थी शिक्षिका
जिस तरह नागरिकता छुपा कर इमराना खानम से इमराना खातून बनी है। इस तरह उनके द्वारा स्कूल के अटेंडेंस के नाम पर भी फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। ऐसा हम नहीं कह रहे हैं ऐसा प्रधानाध्यापक के दिए गए बयान से साफ स्पष्ट होता है। प्रधानाध्यापक अब्दुल हय के मुताबिक शिक्षिका इमराना खातून 23 जुलाई से 16 अगस्त तक मेडिकल लीव पर थी। इसके बाद 17 अगस्त को स्कूल पहुंची थी। वहीं अटेंडेंस में दिए गए फोटो की जब रैंडम जांच की गई तो इस बात की जानकारी मिली कि उनके ज्यादातर फोटो एक्शन एक समान है। उनके द्वारा बनाया गया अटेंडेंस की तस्वीर प्रायः ब्लैक बोर्ड के पीछे की है। शिक्षा विभाग को उनके अटेंडेंस की भी जांच करानी चाहिए। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक फोटो के फोटो माध्यम से उनके अटेंडेंस आए दिन बनता है।
एक पिता मोहम्मद इबमूल हसन, दूसरे पिता मोहम्मद मूसा
इमराना खानम ही इमराना खातून है यह इस बात से पता लगाया जा सकता है। शिक्षा विभाग के रिपोर्ट के मुताबिक उनके शैक्षणिक योग्यता में जो माता का नाम अंकित है अब्बासिया खानाम है। वहीं वोटर लिस्ट के क्रमांक संख्या 534 पर अंकित इमराना खातून के पिता का नाम मोहम्मद इबमूल हसन है। लेकिन शिक्षा विभाग की रिपोर्ट में पिता का नाम मोहम्मद मूसा है।
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भागते-भागते ले लिया सिक लीव
- पाकिस्तानी मूल की इमराना खानम उर्फ इमराना खातून 31 जनवरी 2012 से शिक्षक के रूप में पदस्थापित
- शिक्षा विभाग के 34540 कोटे से बनी थी शिक्षिका, पहले नारायणपुर में थी पोस्टेड 18 जुलाई 2013 से नगर निगम में
- नाम बदलकर बिहार मदरसा बोर्ड से 83 में किया मैट्रिक 89 में इंटर और 87 में डीएलएड
- इमराना खानम उर्फ इमराना खातून शैक्षणिक योग्यता से चलता है पता कि उनके माता का नाम था अब्बासिया खानम
- स्कूल में प्राय रहती है मेडिकल लीव पर, मामला उजागर होते ही दो दिन के सिक लीव पर गई शिक्षिका
- प्रधानाध्यापक बोले 23 जुलाई से 16 अगस्त तक मेडिकल लीव पर थी शिक्षिका
नगर निगम के राजकीय उर्दू मध्य विद्यालय की शिक्षिका इमराना खातून को जैसे ही भनक लगी की उनके पाकिस्तान से संबंधित जुड़ी जानकारी अखबार के माध्यम से प्रसारित हुई है। वह छुट्टी पर चली गई है। उर्दू मध्य विद्यालय होने के नाते शुक्रवार 22 अगस्त को स्कूल में छुट्टी थी। शनिवार को इमराना को खोजते हुए दैनिक जागरण की टीम स्कूल पहुंची थी। वहां मौजूद स्कूल के प्रधानाध्यापक अब्दुल हय ने बताया कि वह गुरुवार 21 अगस्त को स्कूल आई थी। इस दौरान उन्होंने ई- शिक्षा कोष पर 9:14 में अटेंडेंस दर्ज किया है। उन्होंने यह भी बताया कि इस 23 और 24 अगस्त को सिक लीव पर है। वह 25 अगस्त से पुनः स्कूल आएगी। देखने वाली बात यह होगी की शिक्षिका इमराना खातून जो मूल रूप से पाकिस्तानी महिला है वह 25 को स्कूल पहुंचती है या नहीं।
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