IAS Kumar Anurag: ये हैं बिहार के 'मनोज शर्मा'... 12th Fail फिल्म से मिलती-जुलती है इनकी आईएएस बनने की कहानी
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती है... वाक्य को चरितार्थ करने वाले कुमार अनुराग जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित शिक्षा संवाद में जहां भी जा रहे हैं वे बच्चों को अपनी सफलता-असफलता की कहानी बताते हैं। कैसे पढ़ाई की जाए इसके बारे में जानकारी दे रहे हैं।इनकी तारीफ खुद जिला अधिकारी सुब्रत कुमार सेन ने शिक्षा संवाद दौरान भी की है।
अभिषेक प्रकाश, भागलपुर। 12वीं फेल फिल्म की कहानी की चर्चा हर तरफ हो रही है। आईपीएस मनोज शर्मा और श्रद्धा की कहानी जानने के लिए सिनेमा थिएटरों में दर्शकों की भीड़ उमड़ रही है। भागलपुर में कार्यरत एक आईएएस अधिकारी की कहानी 12वीं फिल्म से काफी मिलती-जुलती है।
जी हां, हम बात कर रहे हैं- भागलपुर में डीडीसी के रूप में कार्यरत कुमार अनुराग की। हालांकि, उनके जीवन में श्रद्धा जैसी कोई लड़की नहीं है, लेकिन मेहनत मनोज शर्मा से रत्ती भर कम नहीं है।
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती है... वाक्य को चरितार्थ करने वाले कुमार अनुराग जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित शिक्षा संवाद में जहां भी जा रहे हैं, वे बच्चों को अपनी सफलता-असफलता की कहानी बताते हैं। कैसे पढ़ाई की जाए इसके बारे में जानकारी दे रहे हैं।
इनकी तारीफ खुद जिला अधिकारी सुब्रत कुमार सेन ने शिक्षा संवाद दौरान भी की है। यही कारण है कि कुमार अनुराग इन दिनों युवाओं के रोल मॉडल बन गए हैं। भागलपुर के उप विकास आयुक्त कुमार अनुराग मूलतः कटिहार जिले के रहने वाले हैं।
दिलचस्प है असफलता के बाद सफलता के शीर्ष तक पहुंचने की कहानी
कुमार अनुराग ने बताया कि जब वे इंटरमीडिएट में पढ़ रहे थे तो प्री बोर्ड के दौरान गणित की परीक्षा में फेल हो गए थे। इसके बाद परिवार वालों से थोड़ी डांट पड़ी थी। प्री बोर्ड में फेल होने के बाद मैंने गणित पर खूब मेहनत की। जब बोर्ड की परीक्षा हुई तो गणित में मुझे 94 नंबर आए। मैं फर्स्ट डिवीजन से पास हुआ, लेकिन गणित के चक्कर में दूसरा विषय कमजोर रह गया। जिसके कारण जब मेडिकल और इंजीनियरिंग की परीक्षा दी तो अच्छे रैंक नहीं आए और IITian बनने का सपना टूट गया।अनुराग ने आगे बताया, "इतना होने के बाद मैंने आर्ट्स से स्नातक करना शुरू किया। इसके लिए श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में नामांकन कराया। असफलता ने यहां भी पीछा नहीं छोड़ा। दूसरे ही साल मुझे अर्थशास्त्र के माइक्रोइकोनामिक्स में बैक लग गया। उस समय ऐसा लगा कि अब मैं इसे भी छोड़ दूं, लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी और मेहनत करता रहा। वर्ष 2017 में यूपीएससी की परीक्षा दी। उसमें 677 में रैंक आया था। मुझे इंडियन इकोनामिक्स सेवा का मौका मिला था।"
अनुराग ने कबा कि इसके बाद मैंने फिर दोबारा 2018 में इकोनामिक्स को ही मजबूत बनाते ही उसे आप्शनल विषय के रूप में रखा और देशभर में 48 वीं रैंक प्राप्त की।
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