बिहार की शिक्षा व्यवस्था: खुलने के 10 मिनट बाद स्कूल क्लोज, जमुई के विद्यालयों में शिक्षकों की कमी
बिहार की शिक्षा व्यवस्था जमुई में उच्च शिक्षा के लिए सरकार की ओर से स्वीकृति दी गई है। लेकिन शुरूआती शिक्षा पर अभी भी हालात उतने ठोस नहीं दिखाई देते जितने दावे किए जाते हैं। जमुई के प्राथमिक और उत्क्रमित विद्यालय इस बात की तस्दीक करते हैं।
By Shivam BajpaiEdited By: Updated: Tue, 31 Aug 2021 05:22 PM (IST)
संवाद सूत्र, जमुई। बिहार की शिक्षा व्यवस्था हमेशा सुर्खियों में रहती है। वजह स्कूलों में फैली अव्यवस्था है। जमुई के ऐसे ही दो स्कूलों के बारे में आपको रूबरू करवाएंगे, जहां शिक्षकों की कमी के साथ-साथ स्कूल में खुलने और बंद होने की स्थिति सैकड़ों बच्चों के भविष्य पर कालिख पोत रहीं हैं। पहला मामला चकाई प्रखंड के मध्य विद्यालय सरौन का है। दूसरा नोवाडीह पंचायत अंतर्गत नवीन प्राथमिक विद्यालय का है।
उत्क्रमित उच्च विद्यालय सरौन में शिक्षकों की कमीचकाई प्रखंड के मध्य विद्यालय सरौन को उत्क्रमित कर उच्च विद्यालय बना दिया गया। पुन: वर्ष 2020 में इस विद्यालय में 12वीं की पढ़ाई शुरू हो गई। उत्क्रमित होने के बाद 2015 में पांच लाख की लागत से शानदार भवन का शिलान्यास भी तत्कालीन विधायक सुमित कुमार सिंह द्वारा किया गया। साथ ही प्रयोगशाला, स्मार्ट क्लास पर लाखों रुपये खर्च कर दिए गए। लेकिन बच्चों का दुर्भाग्य ये है कि अबतक विद्यालय में विज्ञान का एक शिक्षक ही है। दूसरा शिक्षक नसीब नहीं हो पाया है।
एक शिक्षक के भरोसे ही नवम, दशम, ग्यारहवीं एवं बारहवीं की कक्षाएं संचालित हो रही हैं। प्रयोगशाल का भी संचालन बिना लैब टेक्नीशियन का ही हो रहा है। मैट्रिक की परीक्षा में यहां से सैकड़ों बच्चे सफल होकर आगे की पढ़ाई भी कर रहे हैं। अभी भी वर्ग नवम एवं दशम में कुल 515 छात्र एवं छात्राएं एवं बारहवीं में 39 बच्चे अध्ययनरत हैं। साथ ही ग्यारहवीं में नामांकन की प्रक्रिया पूरे जोर शोर से जारी है।
इस संबंध में प्रभारी प्रधानाध्यापक सतेंद्र सिंह से पूछे जाने पर बताया कि शिक्षक की कमी के कारण वर्ग व्यवस्था के संचालन में कई तरह की दिक्कतें आती हैं। केवल एक शिक्षक के सहारे वर्ग व्यवस्था का संचालन नहीं हो पाने की स्थिति में मध्य विद्यालय के शिक्षकों का सहयोग लिया जाता है। कहा कि विषयवार शिक्षक रहने के बाद वर्ग संचालन में सुविधा होगी। ये स्थिति केवल सरौन की है, ऐसा नहीं है। प्रखंड में कई ऐसे उच्च विद्यालय हैं। जहां एक या दो शिक्षक के भरोसे वर्ग व्यवस्था का संचालन होता है। कई विद्यालय तो ऐसे भी हैं, जहां एक भी शिक्षक नहीं हैं।
इन विद्यालयों में अन्य विद्यालय के शिक्षकों का प्रतिनियोजन कर वर्ग व्यवस्था का संचालन किया जा रहा है। छह वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बावजूद भी अब तक विषयवार शिक्षकों की बहाली क्यों नहीं हो पाई है। जब शिक्षक ही नहीं हैं, तो प्रयोगशाला एवं स्मार्ट क्लास के नाम पर लाखों रुपये क्यों खर्च किए गए। बिना शिक्षकों के सरकार द्वारा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के दावे किस आधार पर किए जा रहे हैं।
नवीन प्राथमिक विद्यालय रंगनियाचकाई प्रखंड के नोवाडीह पंचायत अंतर्गत नवीन प्राथमिक विद्यालय रंगनिया खुलने के दस मिनट के अंदर ही बंद हो जाता है। कुछ ऐसा ही नजारा शनिवार को विद्यालय में दिखाई दिया। ग्रामीण राजू यादव, मोहन पंडित, विकास यादव, बच्चू यादव, रणजीत यादव, मंगिया देवी, पिंटू यादव, अरुण यादव, कपिलदेव यादव, गिरीश यादव आदि ने बताया कि विद्यालय की शिक्षा व्यवस्था बिल्कुल ध्वस्त हो चुकी है। विद्यालय में तीन शिक्षक हैं लेकिन प्रधानाध्यापक माधुरी कुमारी एवं सहायक शिक्षिका फूल कुमारी शायद ही कभी-कभार आती हैं, जिससे विद्यालय की शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त होकर रह गई है।
शनिवार को सिर्फ सहायक शिक्षक प्रमोद तरंग दस मिनट के लिए आए और विद्यालय खोलकर हाजिरी बना ताला लगाकर चलते बने जिससे बच्चे निराश ही विद्यालय में बैठे रहे। ग्रामीणों ने बताया कि पांच साल से विद्यालय भवन निर्माण का कार्य अधूरा पड़ा है। विद्यालय के एक सौ से अधिक बच्चे दो जर्जर कमरों में पढ़ने को मजबूर हैं। विद्यालय के बरामदे में फैली गंदगी और जानवरों का गोबर विद्यालय की शिक्षा व्यवस्था की हकीकत बयां कर रहा था।
विद्यालय के ठीक सामने पांच साल से अधूरा पड़ा विद्यालय भवन का निर्माण कार्य विद्यालय की शिक्षा व्यवस्था और सरकारी योजनाओं की पोल खोल रहा था। ग्रामीणों ने बताया कि राशि की निकासी कर ली गई है और विद्यालय का भवन अधूरा छोड़ दिया गया है जिससे विद्यालय पढऩे आए छात्रों को बैठने में दिक्कत होती है। ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से विद्यालय की शिक्षा व्यवस्था में सुधार की मांग की है।
'विद्यालय के शिक्षा व्यवस्था की जांच-पड़ताल कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। शिक्षा व्यवस्था के साथ खिलवाड़ करने वाले शिक्षकों को बक्सा नहीं जाएगा। सभी शिक्षक नियमित रूप से स्कूल आएं।'-अशोक कुमार, बीईओ, चकाई।
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