Bihar Govt Formation : बिहार की राजनीति में बिजेंद्र की हनक, उत्कृष्ट कार्यशैली के कारण फिर बने मंत्री
Bihar Govt Formation सुपौल विधानसभा के विधायक बिजेंद्र प्रसाद यादव को फिर इस बार मंत्रालय मिल गया है। 1990 में पहली बार विधान सभा चुनाव जीते फिर नहीं देखा हार का मुंह। 30 वर्षों से जदयू की सरकार में मिलती रही महत्वपूर्ण पद की जिम्मेदारी।
By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Updated: Mon, 16 Nov 2020 06:24 PM (IST)
सुपौल [भरत कुमार झा]। बिहार की राजनीति में हमेशा से कोसी ने अपनी सशक्त दावेदारी दी है। सरकार किसी की हो कोसी का अपना वजूद रहा है। आज जब नीतीश कुमार ने सातवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तो कैबिनेट के अव्वल नामों में कोसी का प्रतिनिधित्व शामिल है। 1990 के चुनाव में जीतकर पहली बार विधान सभा पहुंचे बिजेंद्र प्रसाद यादव ने लगातार आजतक सुपौल विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया है। अपनी कार्यशैली व निष्ठा की बदौलत वे लगभग 30 वर्षो से सत्ता के शीर्ष पर रहे हैं और सत्ता के शीर्ष का यह अनंत सफर इस पारी भी जारी है। इस बार भी ये मंत्रिमंडल में शामिल किए गए हैं। 1990 में पहली बार विधान सभा चुनाव जीतने के बाद इन्होंने कभी हार का मुंह नहीं देखा। सरकार की हर पारी में इन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलती रही।
कांग्रेसी हुकूमत के बाद 1990 में प्रदेश में हुए सत्ता परिवर्तन के दौर में वे पहली बार जनता दल के टिकट पर निर्वाचित हुए। लालू प्रसाद के मुख्यमंत्रित्व काल में कुछ महीने तक इन्होंने बतौर विधायक दल व क्षेत्र की सेवा की। अपनी कर्मठ व ईमानदार छवि की बदौलत इन्हें 1991 में ऊर्जा राज्य मंत्री बनाया गया। अपनी कार्यशैली की बदौलत कुछ ही दिनों बाद ये कैबिनेट मंत्री बना दिए गए। ऊर्जा के क्षेत्र में इन्होंने बेहतर कार्य किया। 1995 के चुनाव में ये पुन: जनता दल के ही टिकट पर निर्वाचित हुए। लालू प्रसाद के ही नेतृत्व में इन्हें नगर विकास मंत्री बनाया गया और बाद में फिर विधि और उर्जा मंत्री बनाए गए। 1997 में लालू प्रसाद और शरद यादव के गुटों में पार्टी विभक्त हो गई। बिजेंद्र प्रसाद यादव ने शरद यादव का साथ दिया और ये मंत्रिमंडल से अलग कर दिए गए। 2000 का चुनाव भी इन्होंने जनता दल युनाईटेड के टिकट पर लड़ा और विधायक चुने गए। प्रदेश में राजद की सरकार बनी। जनता दल युनाईटेड को मजबूती प्रदान करने में बिजेंद्र बाबू ने अहम भूमिका निभाई। 2005 का चुनाव पार्टी इन्हीं की अगुआई में लड़ी। उस वक्त ये पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हुआ करते थे। 2005 के चुनाव के बाद ये फिर कैबिनेट मंत्री बनाए गए। सिंचाई, ऊर्जा और विधि जैसे विभाग की जवाबदेही सौंपी गई। 2010 के चुनाव जीतने के बाद संसदीय कार्य, मद्य निषेध, निबंधन बाद में फिर ऊर्जा जैसे महत्वपूर्ण विभाग इनके हिस्से में रहा। 2014 में लोकसभा चुनाव में पार्टी की पराजय के बाद नैतिकता के आधार पर नीतीश कुमार ने इस्तीफा दे दिया।
जीतनराम मांझी के नेतृत्व में सरकार बनी और बिजेंद्र बाबू वित्त मंत्री बनाए गए। 2015 में सूबे में राजनीतिक उथल-पुथल के बीच ये मंत्री पद से हटाये गए। पुन: नीतीश कुमार की अगुआई में बनी सरकार में इन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया। इनके जिम्मे वित्त, ऊर्जा, उत्पाद और वाणिज्य कर जैसे महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेवारी सौंपी गई। 2015 के विधानसभा चुनाव के बाद बनी महागठबंधन की सरकार में फिर उन्हें ऊर्जा और वाणिज्य कर जैसे महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेवारी सौंपी गई। 2017 में महागठबंधन से जदयू अलग हुआ और राजग की सरकार में पुन: ऊर्जा, वाणिज्यकर उत्पाद जैसे महत्वपूर्ण विभाग सौंपा गया।
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