Bihar News: किसी का चकराया सिर, किसी को आई उल्टी... फाइलेरिया की दवा खाकर क्यों बीमार पड़ने लगे बच्चे? डॉक्टर ने बताई वजह
शनिवार से जिले में आरंभ हुआ फाइलेरिया उन्मूलन अभियान जिलाधिकारी के अगले आदेश तक स्थगित रहेगा क्योंकि नगर निगम क्षेत्र और नवगछिया में दवा खाने से बच्चों की तबीयत बिगड़ने लगी थी जिसके बाद सभी को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। अब अभियान तभी आरंभ होगा जब दवा और इसके प्रभाव से लोगों को पूर्ण रूप से अवगत करा लिया जाएगा।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। शनिवार से जिले में आरंभ हुआ फाइलेरिया उन्मूलन अभियान जिलाधिकारी के अगले आदेश तक स्थगित रहेगा। नगर निगम क्षेत्र और नवगछिया में दवा खाने से बच्चों के बीमार होने के कारण सोमवार देर रात यह आदेश जारी किया गया। डीभीबीडीसीओ डा. दीनानाथ ने भी अगले आदेश तक अभियान को स्थगित करने का निर्देश दे दिया है। बताया जा रहा है कि अब इस दवा और इसके प्रभाव से लोगों को पूर्ण रूप से अवगत कराए जाने के बाद ही अभियान आरंभ होगा।
दवा खाने के बाद चकराने लगा सिर
प्राथमिकी विद्यालय सच्चिदानंदनगर की प्राचार्य अनीता कुमारी ने बताया कि मध्याह्न भोजन कराने के बाद बच्चों के हाथ में दवा दी गई थी। दवा खिलाने से पहले मेडिकल अफसर ने सभी बच्चों से कंफर्म भी किया था कि वे भोजन कर चुके हैं या नहीं। इसके बाद ही बच्चों को दवा खिलाई गई थी।कुछ देर बाद पहले दो बच्चों की तबीयत बिगड़ी। हम लोगों ने उन्हें अस्पताल भेजने के लिए तत्काल एंबुलेंस बुलवाया। तभी अचानक काफी संख्या में ग्रामीण स्कूल के अंदर दाखिल होकर हंगामा करने लगे। देखते ही देखते स्कूल में तोड़फोड़ करने लगे। कुर्सी, मध्याह्न भोजन की सामग्री एवं अन्य चीजों को एक-एक कर तोड़ दिया। इसके बाद दवा खिलाने आए पीएचसी सच्चिदानंदनगर के मेडिकल अफसर को घेर लिया और पीटने लगे।
प्राथमिक विद्यालय सच्चिदानंद से दवा खाने से बीमार बच्चे मायागंज अस्पताल पहुंचे।
सिर में दर्द होना सामान्य: डॉक्टर
डीभीबीडीसीओ डा. दीनानाथ ने बताया कि फाइलेरिया से बचाव के लिए अल्बेंडाजोल और डीईसी की दवा खिलाने के बाद सिर चकरना, सिर में दर्द होना और विषम परिस्थित में बेहोश हो जाना सामान्य बात है। इससे डरने की जरूरत नहीं।
दवा खाने के बाद अगर किसी बच्चे में उक्त लक्षण मिलते हैं तो समझना चाहिए कि दवा का अच्छा असर हो रहा है। दूसरी बात, जिनके अंदर फाइलेरिया के परजीवी होते हैं, उनमें ही साइड इफैक्ट देखने को मिलता है, जो प्राथमिक उपचार के बाद ठीक हो जाता है। इसे एडवर्स इंफैक्ट कहा जाता है। जैसे बच्चों को बीसीजी की सूई दिलाने के बाद उसे बुखार आ जाता है। उसी तरह हम कोई भी दवा खाते हैं तो किसी-किसी को तत्काल साइड इफेक्ट होता है। वही इफेक्ट फाइलेरिया की दवा को खाने के बाद भी पड़ता है।
सदर अस्पताल में 21 बच्चों को लाया गया। यहां एक घंटे के इलाज उपरांत सभी की तबीयत में सुधार हो गया। सदर अस्पताल प्रभारी डा. राजू कुमार ने बताया कि सभी बच्चों को बिस्किट खिलाकर घर भेज दिया गया है। इससे पूर्व, एक तरफ बच्चे अस्पताल आ रहे थे तो दूसरी ओर उनका चिट्ठा तैयार किया जा रहा था। आलम यह था कि बच्चों लगी स्लाइन को अभिभावक पकड़ कर खड़े थे। हाथ में वेसोफिक्स लगा था, इससे खून आ रहा था।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।20 बच्चों की तबीयत बिगड़ी
फाइलेरिया की दवा खाने के बाद नवगछिया के प्राथमिक विद्यालय पासवान टोला में 20 बच्चों की तबीयत बिगड़ गई। उन्हें उल्टी, पेट दर्द और बुखार आ गया। प्राथमिक विद्यालय जोनिया टोला और प्राथमिक विद्यालय प्रतापनगर के बच्चे तो दवा खाने के बाद बेहोश हो गए। सभी बच्चों को अनुमंडल अस्पताल में भर्ती कराया गया।नगर के मुखिया भारत पासवान ने बताया कि बच्चों को खाना खिलाने के बाद फाइलेरिया की दवा दी गई। आधा घंटा के बाद बच्चों की तबीयत बिगड़ने लगी। जानकारी मिलते ही बच्चों के माता-पिता विद्यालय में जमा हो गए। सूचना मिलते ही डा. देवव्रत कुमार स्वास्थ्य टीम और पुलिस बल के साथ नगरह पहुंचे। जहां अभिभावक उनसे उलझ गए। महिलाएं चिकित्सक से हाथापाई करने लगीं। किसी तरह बच्चों को अस्पताल लाया गया। डा. बी. दास ने बताया कि सभी बच्चे स्वस्थ हैं। बिहार में पश्चिम चंपारण के मझौलिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती बीमार बच्चे।पहले इमरजेंसी में भर्ती हुए बच्चे, फिर भेजा गया वार्ड
प्राथमिक विद्यालय सच्चिदानंद में बीमार हुए बच्चों में 23 को जवाहर लाल नेहरू मेडिकल काॅलेज अस्पताल लाया गया। यहां इमरजेंसी में शिशु रोग विभाग के चिकित्सकों ने सभी का इलाज आरंभ किया। जो बच्चे ठीक हो गए थे उन्हें घर भेज दिया गया। लगभग दर्जन भर बच्चों को वार्ड में भर्ती किया गया। सभी बच्चों की स्थिति थोड़ी ही देर में सामान्य हो गई। प्राथमिक विद्यालय सच्चिदानंद मे दबा खाने के बाद बच्चो एवं अभिभावकों की भीड़।सदर अस्पताल में 21 बच्चों को लाया गया। यहां एक घंटे के इलाज उपरांत सभी की तबीयत में सुधार हो गया। सदर अस्पताल प्रभारी डा. राजू कुमार ने बताया कि सभी बच्चों को बिस्किट खिलाकर घर भेज दिया गया है। इससे पूर्व, एक तरफ बच्चे अस्पताल आ रहे थे तो दूसरी ओर उनका चिट्ठा तैयार किया जा रहा था। आलम यह था कि बच्चों लगी स्लाइन को अभिभावक पकड़ कर खड़े थे। हाथ में वेसोफिक्स लगा था, इससे खून आ रहा था।
सभी बच्चे स्वस्थ्य हैं। फाइलेरिया की दवा खाने के बाद अगर कुछ महसूस होता है तो समझिए कि दवा असर कर रहा है, कृमि मर रहे हैं। इससे घबराना नहीं चाहिए- डा. बी. दास, चिकित्सा पदाधिकारी।
यह भी जानें
- दवा सेवन के बाद जिन बच्चों को उल्टी, चक्कर एवं सर दर्द जैसी शिकायत होती है उनके शरीर में फाइलेरिया परजीवी का संक्रमण होने की पुष्टि करता है।
- दवा सेवन से परजीवी मरते हैं, जिसके कारण उल्टी, चक्कर या सर दर्द जैसी छोटी-मोटी शिकायतें होना आम बात है। अगर इसे दूसरे रूप में समझें तो यह शुभ संकेत है। दवा फाइलेरिया परजीवी को मारने में असरदार साबित हो रही है।
क्या है फाइलेरिया
- फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाला एक संक्रामक रोग है।
- किसी भी उम्र का व्यक्ति फाइलेरिया से संक्रमित हो सकता है।
- फाइलेरिया होने पर हाथ-पैर (हाथीपांव) और हाईड्रोसिल में सूजन हो जाता है।
- किसी भी व्यक्ति के संक्रमित होने के बाद उसे बीमारी होने में 05 से 15 वर्ष लग सकते हैं।
इन बातों का रखें ख्याल
- भूखे पेट दवा नहीं खाएं l
- गर्भवती महिलाएं दवा नहीं खाएं l
- दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों को दवा नहीं खिलाएं l
- बीमार व्यक्ति को भी दवा नहीं दें।
फाइलेरिया से बचाव के उपाय
- सोने के समय मच्छरदानी का प्रयोग करें।
- घर के आसपास गंदा पानी जमा नहीं होने दें।
- एल्बेंडाजोल व डीईसी दवा का निश्चित रूप से सेवन करें।
- सफाई का ख्याल रखें।