बिहार: शिक्षा पर महंगाई की मार, कापी-किताब के दाम 25 से 40 फीसद तक बढ़े
पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस के बाद अब शिक्षा पर महंगाई की मार से लोग परेशान हैं। कापी और किताब की कीमत में 25 से 40 फीसद तक की बढ़ोतरी हो गई है। इससे अभिभावकों पर अतिरिक्त बोझ पड़ गया है।
By Abhishek KumarEdited By: Updated: Tue, 17 May 2022 04:07 PM (IST)
संसू, नवहट्टा (सहरसा)। कोरोना के कारण दो साल तक बाधित रही शिक्षा व्यवस्था के पटरी पर लौटने के साथ कापी किताब के बढ़े दाम ने अभिभावकों को परेशान कर दिया है। छात्र-छात्राओं व अभिभावकों ने नए सत्र की तैयारी शुरू कर दी है। नए शैक्षणिक सत्र के लिए किताबें, यूनिफार्म आदि की खरीदारी अभी भी चल रही है। कापी-किताबों की खरीदारी के लिए दुकानों पर भीड़ लगी रहती है। इस बार स्टेशनरी के दाम 25 से 40 प्रतिशत तक बढ़े हुए हैं। कागज महंगा होने से कापी-किताबों के लिए भी अधिक मूल्य चुकाना पड़ रहा है। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई अधिक खर्चीली होने वाली है।
अभिभावकों को पेंसिल, रबर से लेकर कलर, औजार बाक्स तक के लिए अधिक कीमत चुकानी पड़ रही है। पांच से 10 रुपये के सामान की कीमत में तीन से पांच रुपये की वृद्धि हुई है। स्केच पैन, कलर बाक्स जैसे सामान जो पिछले वर्ष तक 60 से 80 रुपये में मिला करते थे, अब उनकी कीमत 15 से 30 रुपये तक बढ़ गए हैं। कापियों की कीमत भी बढ़ गई है। कापियों के दाम में 10 से 15 प्रतिशत की तेजी आई है। किताबों की कीमत में भी तेजी आई है। निजी प्रकाशकों ने पुस्तकों के दाम 15 से 20 प्रतिशत बढ़ाए हैं।
पिछले साल के अपेक्षाकृत इस वर्ष स्टेशनरी सामान के दाम में उछाल आया है। स्टेशनरी सामान विक्रेता अभिमन्यु अमर ने बताया कि पिछले साल बड़ा स्केल 25 रुपये में मिलता था जो अभी 40 रुपया में मिल रहा है । बड़ा रबर 10 के बदले अब 15 रुपया में, पेंसिल बाक्स 60 रुपये के स्थान पर 75 रुपया में, पेंसिल कटर आठ रुपये के बदले 12 रुपया में, स्केच पैन 60 के स्थान पर अब 80 रुपया में, मार्कर पैन 55 रुपये के स्थान पर 70 रुपया में, औजार बाक्स 110 रुपया के बदले 135, कलर बाक्स 80 रुपया के स्थान पर 110 रुपया में मिल रहा है ।
अभिमन्यु अमर ने बताया कि कोरोना से दो साल काम ठप रहा। स्कूल खुलने लगे हैं। दो वर्ष बाद स्टेशनरी में अच्छे काम की उम्मीद है। इस बार स्टेशनरी महंगी हुई है। पांच से 10 रुपये के सामान में पांच रुपये तक बढ़े हैं। 100 रुपये के सामान में 30 से 40 रुपये तक बढ़े हैं।स्टेशनरी की कीमतों में दो तरीके से वृद्धि की गयी है। एक तरफ ब्रांडेड कंपनियों ने कापियों के दाम बढ़ाने की जगह कापियों के पेज कम कर दिए। जबकि कुछ कंपनियों ने साइज लंबाई चौड़ाई कम की है। इसके अलावा लोकल ब्रांड की कापियों ने दाम बढ़ाने के साथ कुछ पेजों की संख्या भी घटाई है। दुकानदार गौरव ने बताया कि 128 पेज की कापी 120 पेज की हो गई है। कुछ कंपनियों ने पेज कम करने के साथ कीमत भी 15 से 20 रुपये बढ़ा दी है। 64 पेज की कापी जो 10 रुपये में आती थी, वह अब 48 पेज होने के साथ 15 रुपये की हो गई है।
स्कूलों के हिसाब से कापी- किताबों के दाम भी अलग-अलग हैं। जिन स्कूलों की फीस अधिक है, उनकी ड्रेस सहित अन्य सामग्री भी महंगी है। अब दामों में इजाफा होने से दोहरी मार पड़ रही है।
संजय ठाकुर
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