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पूर्णिया/अररिया: चार साल में चार किमी का सफर पूरा नहीं कर पाई चार्जशीट, 25 साल से लंबित पड़ा एक मामला, 8 जांच अधिकारियों पर गिरी गाज

पूर्णिया/अररिया से ऐसे मामले सामने आए जिनमें पुलिस की लापरवाही का उजागर हुआ। वहीं आईजी ने समीक्षा करते हुए कार्रवाई की है। पूर्णिया में जहां आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद उनपर सालों तक चार्जशीट नहीं दायर की गई तो वहीं अररिया में 25 साल से एक मामला लंबित पड़ा है।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Updated: Thu, 24 Jun 2021 05:46 PM (IST)
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पूर्णिया और अररिया में लंबित पड़े हैं कई मामले
जागरण संवाददाता, पूर्णिया। इसे पुलिस की लापरवाही कहें या मनमानी की किसी मामले के आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद भी उनके खिलाफ चार्जशीट दायर करने एवं उसे न्यायालय में भेजने के लिए चार वर्ष लग गए। जिस थाना की पुलिस द्वारा इस मामले में न्यायालय में चार्जशीट दायर किया जाना था, उस थाने से न्यायालय की दूरी महज चार किलोमीटर है लेकिन इस दूरी तक भी पहुंचने में चार साल का समय लग गया। पूरा मामला है अररिया सदर थाना क्षेत्र का है।

अररिया में वर्ष 2017 में मोटरसाइकिल चोरी का एक मामला दर्ज हुआ था। मोटरसाइकिल चोरी की घटना के बाद पुलिस ने इस मामले के दो आरोपियों को पकड़ कर जेल भेज दिया लेकिन इस मामले के जांच अधिकारी ने न्यायालय में चार्जशीट दाखिल नहीं किया। हद तो यह हो गयी की चार वर्षों के बाद इस मामले के जांच अधिकारी सहायक पुलिस अवर निरीक्षक राम सुंदर सिंह का तबादला अररिया सदर थाने से जिले के बैरगाछी थाने में हो गया। लेकिन इसके बाद भी उनके द्वारा इस मामले में चार्जशीट दाखिल करना उचित नहीं समझा गया।

मामले का खुलासा तब हुआ, जब पूर्णिया के आइजी सुरेश प्रसाद ने अररिया सदर थाने की समीक्षा की। समीक्षा के दौरान आइजी यह देखकर दंग रह गये कि आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद भी जांच अधिकारी ने इस मामले में चार्जशीट न्यायालय में दाखिल नहीं किया है। आइजी ने इस मामले में जांच अधिकारी की घोर लापरवाही मानते हुए जांच अधिकारी राम सुंदर को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। इसके बाद तत्काल इस मामले में चार्जशीट न्यायालय में भेजने का निर्देश दिया।

अररिया सदर थाने में मोटरसाइकिल चोरी को लेकर थाना कांड संख्या 381- 2017 दर्ज किया गया था। इस मामले के दर्ज होने के महज दो माह बाद ही इस मामले के दो आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। मगर इन मामले के आरोपियों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से जांच अधिकारी ने चार्जशीट ही दाखिल नहीं किया। जिसके कारण आरोपियों को ना केवल न्यायालय से जमानत मिल गयी बल्कि उस मामले के न्यायालय में ट्रायल भी समयानुसार नहीं शुरू हो पाया।

अररिया में 25 वर्षों से लंबित हैं एक मामला

बिहार पुलिस मुख्यालय ने वैसे जिलों की एक सूची तैयार की है, जहां बीस वर्षों से अधिक का कोई मामला लंबित हो। इस सूची में अररिया जिले में भी 25 वर्षों से लंबित एक मामले की पहचान की गयी है। दो दशक से अधिक समय से लंबित सभी मामलों को शीघ्र निपटारा कराने का निर्देश राज्य पुलिस मुख्यालय ने सभी आइजी डीआइजी एवं एसपी को दिया है।

इसके अलावा सीमांचल के जिलों में पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज एवं अररिया में अररिया जिला ही ऐसा जिला हैं जहां सबसे अधिक मामले लंबित है। पूर्णिया इसमें दूसरे एवं कटिहार तीसरे स्थान पर है। आइजी ने समीक्षा के दौरान निर्धारित समय सीमा के अंदर लंबित मामलों के निष्पादन करने का निर्देश दिया है। अररिया जिले में 5931 मामले लंबित है, जिनमें 1991 एसआर एवं 3940 ननएसआर के मामले लंबित है। पूर्णिया जिले में 4596 मामले लंबित है, जिनमें एसआर मामले 2025 एवं ननएसआर मामले 2571 हैं। इसी तरह कटिहार जिले में 1990 एवं किशनगंज जिले में 499 मामले लंबित है।

आठ जांच अधिकारियों पर गिरी गाज

सदर थाना अररिया की समीक्षा के दौरान आठ जांच अधिकारियों पर कार्रवाई की गाज गिरी। इन सभी जांच अधिकारियों पर अनुसंधान में लापरवाही एवं शिथिलता बरतने के आरोप में कार्रवाई की गयी। सभी को एक-एक साल के निंदन की सजा दी गई है। इसके अलावा इन सभी को इस बात की चेतावनी भी दी गयी है कि अगर उनके द्वारा अपनी कार्यशैली में सुधार नहीं लाया गया तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। आइजी ने जांच अधिकारी हरिनंदन, महेन्द्र मंडल, उमेश साह, महेश कुमार, राजेन्द्र यादव, अशोक कुमार, लल्लू पाल, एवं संजीव सभी सहायक अवर निरीक्षक स्तर के पुलिस पदाधिकारियों को लंबित मामलों के अनुसंधान में शिथिलता बरतने के आरोप में सजा दी है।

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