सुपौल सीट के 11 उम्मीदवारों को नोटा से भी कम वोट मिले। पूर्णिया से राजद प्रत्याशी बीमा भारती को उनके ही विधानसभा क्षेत्र में लोगों ने पसंद नहीं किया।
मुंगेर लोकसभा क्षेत्र में कौन हुआ पास?
मुंगेर लोकसभा क्षेत्र के छह विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा के तीन, कांग्रेस के एक और राजद के दो विधायकों का कब्जा था। सूर्यगढ़ा और मोकामा के राजद विधायकों ने विधानसभा में शक्ति परीक्षण के दौरान नीतीश कुमार का साथ दिया था।जदयू उमीदवार ललन सिंह को सबसे अधिक वोट लखीसराय में मिले। यहां के विधायक राज्य के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा हैं।
मोकामा विधानसभा क्षेत्र में राजद उम्मीदवार कुमारी अनिता को ललन सिंह से एक हजार वोट अधिक मिले। जमालपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस का कब्जा है। यहां राजद प्रत्याशी को जदयू उम्मीदवार से 17 हजार अधिक वोट मिले।
पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र में राजद की करारी हार
पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र में भाजपा के तीन, जदयू के दो और कांग्रेस के एक विधायक हैं। बावजूद, निर्दलीय प्रत्याशी पप्पू यादव ने यहां जदयू प्रत्याशी संतोष कुशवाहा को पराजित किया। पप्पू को सबसे अधिक वोट कस्बा विधानसभा क्षेत्र से मिले। यहां कांग्रेस के ही विधायक हैं।
रुपौली की विधायक बीमा भारती ने जदयू से नाता तोड़ कर राजद उम्मीदवार के रूप में लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन रुपौली में भी उनकी स्थिति ठीक नहीं रही।धमदाहा विधानसभा क्षेत्र से सबसे अधिक 1,34,076 वोट जदयू उम्मीदवार को मिले। इस क्षेत्र की विधायक लेसी सिंह राज्य सरकार की मंत्री भी हैं। कोढ़ा और पूर्णिया में भाजपा के विधायक हैं। इन दोनों क्षेत्रों में जदयू प्रत्याशी को कम वोट मिले।
बांका लोकसभा क्षेत्र का कैसा रहा हाल?
बांका लोकसभा क्षेत्र में भाजपा के दो, जदयू के तीन और राजद के एक विधायक हैं। कटोरिया को छोड़ कर जदयू व भाजपा के विधायकों ने जदयू प्रत्याशी के पक्ष में वोटरों को गोलबंद किया। हैरानी की बात तो यह है कि राजद प्रत्याशी धोरैया में भी पिछड़ गए, जहां उनके विधायक हैं।
भागलपुर में कहां पिछड़ी कांग्रेस
भागलपुर लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक अजीत शर्मा लोकसभा के प्रत्याशी थे। अपने विधानसभा क्षेत्र में उन्होंने एक हजार वोटों की बढ़त पाई, लेकिन राजद विधायक के क्षेत्र नाथनगर में वे लगभग 10 हजार वोटों से पिछड़ गए। बिहपुर, गोपालपुर, पीरपैंती व कहलगांव विधानसभा क्षेत्र में अधिक वोट जदयू प्रत्याशी को ही मिले।
सुपौल में दिलचस्प चुनावी मुकाबला
सुपौल में चुनावी मुकाबला दिलचस्प रहा। यहां की छह विधासनभा सीटों पर जदयू के चार और भाजपा-राजद के एक-एक विधायक हैं। राजद प्रत्याशी चंद्रहास चौपाल खुद अपने विधानसभा क्षेत्र में पिछड़ गए।जदयू प्रत्याशी को भाजपा और जदयू विधायकों ने अपने-अपने इलाके में बढ़त दिलाई। राजद प्रत्याशी को अपने विधानसभा क्षेत्र में 73,613 वोट मिले, जबकि यहां जदयू प्रत्याशी को 93,738 मत मिले। यहां से दो विधायक बिजेंद्र नारायण यादव और नीरज सिंह बबलू नीतीश मंत्रिमंडल में हैं।
मुस्लिम बहुल किशनगंज सीट का हाल
किशनगंज लोकसभा सीट मुस्लिम बहुल है। यहां लोकसभा के तीनों उम्मीदवार मुस्लिम ही थे, लेकिन चुनावी बाजी कांग्रेस ने जीती। यहां की पांच सीटों पर कांग्रेस और राजद के विधायक हैं।एआइएमआइएम के एक मात्र विधायक अख्तरुल इमान स्वयं अपनी पार्टी से इस बार प्रत्याशी थे। किशनगंज, अमौर और बायसी से कांग्रेस उम्मीदवारों के पक्ष में बेहतर वोट डाले गए।
पिछले लोकसभा चुनाव में भी यहां से कांग्रेस के ही प्रत्याशी जीते थे। भाजपा कोटे से बिहार सरकार के मंत्री दिलीप जायसवाल की भी चुनाव में भूमिका अहम रही, लेकिन सफलता हाथ से निकल गई।
अररिया में कैसे जीते भाजपा प्रत्याशी
सीमांचल का अररिया लोकसभा क्षेत्र भी अल्पसंख्यक बहुल है, लेकिन यहां भाजपा प्रत्याशी प्रदीप सिंह ने जीत दर्ज की। राजद प्रत्याशी को अररिया और जोकीहाट में अधिक मत मिले, लेकिन अन्य चार विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा ने बढ़त बनाई। माय समीकरण यहां ध्वस्त दिखा।
खगड़िया लोकसभा सीट ही एक ऐसी सीट थी, जहां लोजपा प्रत्याशी को सभी छह विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त मिली। इस लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत की हसनपुर विधानसभा क्षेत्र से लालू यादव के पुत्र तेजप्रताप विधायक हैं। यहां लोजपा प्रत्याशी को 81,707, जबकि कम्युनिस्ट पार्टी के प्रत्याशी संजय कुमार को 63,000 वोट मिले। खगड़िया विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक छत्रपति यादव हैं। यहां भी लोजपा प्रत्याशी को प्रतिद्वंद्वी की तुलना में 20 हजार अधिक मत मिले।
कटिहार में घटक दलों से पर्याप्त सहयोग नहीं मिला
कटिहार से जदयू के उम्मीदवार दुलाल चंद गोस्वामी अपनी हार का कारण घटक दलों का पर्याप्त सहयोग न मिल पाना बताते हैं। यहां का राजनीतिक समीकरण थोड़ा अलग है। विधानसभा की दो सीटों पर भाजपा, दो पर कांग्रेस और एक-एक सीट पर माले व जदयू का कब्जा है। कटिहार सदर और बरारी से जदयू प्रत्याशी को बेहतर मत मिले, लेकिन प्राणपुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी को अधिक मत मिले। यहां के विधायक भाजपा से हैं। कांग्रेस व माले विधायकों के क्षेत्रों में कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में वोटों की वर्षा हुई।
मधेपुरा सीट पर भी जदयू का कब्जा रहा। राजद प्रत्याशी प्रो. कुमार चंद्रदीप सिर्फ मधेपुरा में ही बढ़त बना पाए। भाजपा व जदयू के विधायकों के कारण जदयू प्रत्याशी दिनेश चंद्र यादव जीतने में सफल रहे।जमुई लोकसभा क्षेत्र की राजनीतिक बुनावट कुछ अलग है। यहां की चार विधानसभा सीटों पर भाजपा और जदयू का कब्जा है। एक पर राजद और एक पर निर्दलीय विधायक हैं। शेखपुरा विधानसभा क्षेत्र की सीट राजद के खाते में है। यहां राजद प्रत्याशी को 48,806 मत मिले। लोजपा प्रत्याशी को 62,490 मत मिले।
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