Bihar News बिहार के किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी! नाबार्ड के सहयोग से बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर में जीआई टैग फैसिलिटेशन सेंटर खुलेगा। किसानों के उत्पादों को अब विशेष पहचान मिलेगा और वह वैश्विक बाजार में मजबूत दावों के साथ अपने उत्पाद बेच सकेंगे। इससे बिहार के लोगों की आमदनी बढ़ जाएगी। किसानों की आय भी अब लगभग दोगुनी हो जाएगी।
ललन तिवारी, भागलपुर। प्रदेश के किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी है। देश से विदेश तक के बाजारों में किसानों के उत्पाद को विशेष पहचान दिलाने के लिए राज्य में पहला जीआइ टैग (भौगोलिक संकेत) का फैसिलिटेशन सेंटर बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) सबौर, भागलपुर में खुलेगा।
यह फैसिलिटेशन सेंटर राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की ओर से खोला जा रहा है। इसको लेकर सोमवार यानि आज नाबार्ड के सीजीएम बीएयू के कुलपति को स्वीकृति पत्र देंगे। नियम और शर्तों पर विस्तार से चर्चा की जाएगी।
नाबार्ड के इंधन और बीएयू के तकनीकी सहयोग से बिहार में जीआइ टैग उड़ान भरेगा और किसानों के उत्पादों की पहचान पूरी दुनिया में होगी। कैसे काम करता है फैसिलिटेशन सेंटर कृषि विश्वविद्यालय में उच्चस्तरीय तकनीक से लैस कार्यालय होगा। किसानों के उत्पादों को चिह्नित किया जाएगा।
इसकी जानकारी केंद्र सरकार को भेजी जाएगी। इनका संगठन बनाने के बाद जीआइ के लिए मिलने वाली धनराशि किसानों को दी जाएगी। इन सब कार्य में किसानों का एक रुपया भी खर्च नहीं होगा। नाबार्ड आर्थिक सहयोग करेगा और बीएयू के अधिकारी, विशेषज्ञ और कर्मी इसको मुकाम तक पहुंचाएंगे।
किसानों को क्या होगा फायदा
किसानों के उत्पाद को जीआइ टैग मिलने पर उसकी खास पहचान होगी। देश के बड़े बाजारों सहित विदेश में भी किसान अपने उत्पाद को मजबूत दावों के साथ बेच सकेंगे।यह बता सकेंगे कि उत्पाद की जो गुणवत्ता है वह सिर्फ उनके ही उत्पाद में है। टैग मिलने पर उस उत्पाद पर किसान का एकाधिकार होगा। बड़े बाजार और विदेश में बिकने वाले उत्पादों की उन्हें अच्छी कीमत मिलेगी।
बीएयू में नाबार्ड द्वारा जीआइ के विस्तार हेतु फैसिलिटेशन सेंटर खोला जा रहा है। सोमवार को सीजीएम विश्वविद्यालय को स्वीकृति पत्र देंगे। नियम-शर्तों पर चर्चाएं होंगी। यह बिहार में पहला और नया तरह का प्रयोग है। - चंदन कुमार सिन्हा, जिला विकास प्रबंधक, नाबार्ड, भागलपुर
विश्वविद्यालय में जीआइ का फैसिलिटेशन सेंटर खुलना ही गौरवान्वित कर रहा है। प्रदेश में जीआइ उत्पाद का विकास होगा। सम्मान और स्वरोजगार के अवसर मिलेंगे। किसान और उस उत्पाद से जुड़े लोग समृद्ध होंगे।- डॉ. डीआर सिंह, कुलपति, बीएयू, सबौर, भागलपुर
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