Bihula Wishhari worship: अंग प्रदेश के खास लोकपर्व का 16 जुलाई से आगाज, पढ़ें- बिहुला विषहरी की कहानी
Bihula Wishhari worship बिहुला विषहरी की कहानी पौराणिक मान्यताओं से परिपूर्ण है। अंग प्रदेश में प्रतिवर्ष इसकी पूजा होती है। लोगों की बढ़ती आस्था को देखते हुए यहां सरकारी अवकाश की घोषणा भी की गई। पढ़ें पूरी खबर...
By Shivam BajpaiEdited By: Updated: Mon, 12 Jul 2021 05:41 PM (IST)
जागरण संवाददाता, भागलपुर। चंपानगर के ऐतिहासिक मनसा मंदिर में बारी कलश पूजन के साथ एक माह तक होने वाली बिहुला विषहरी पूजा (Bihula Wishhari worship) का आगाज कर दिया जाएगा। चंपानगर के कुंवरसरी में पिछले एक सप्ताह से कुम्हार देवानंद द्वारा मिट्टी से बारी कलश को अंतिम रूप दिया जा रहा है। कच्ची मिट्टी को बिना आग में पकाए रंग रोगन होगा। कलश पर फन फैलाए विषहरी बहन का प्रतीक चिन्ह हैे।
16 जुलाई को मंदिर में बारी कलश स्थापित करने के बाद इसकी शुरू होगी। मनसा मंदिर भक्तों और भजन मंडली द्वारा बिहुला विषहरी के गीतों से 17 अगस्त तक गुंजायमान होगा। कलश को शोभा यात्रा निकालकर गंगा घाट लाया जाएगा। यहां से भी मंदिर में स्थापित की जाएगी।कुम्हारों के घर पर बारी कलश को विशेष तौर तैयार किया जाता है। वर्ष 1980 से देवानंद बारी कलश तैयार करते हैं। 15 जुलाई को चंपानगर विषहरी मंदिर के पंडा कुम्हार के घर बारी कलश के पूजन के लिए पहुंचेंगे। यहां चना, खीरा, पेडा, अमरूद आदि फल फुल के साथ पूजन होगा। धूप, गंध व धुमना आदि से मनसा देवी का आह्वान होगा। यहां से दीप जलाकर मंदिर के पंडा विषहरी मंदिर लेकर जाएंगे।
देर राम तक पूजन के उपरांत 16 जुलाई की सुबह मंदिर में पीतल के कलश का पूजन होगा और डलिया आदि चढ़ाया जाएगा। यह सिलसिला दोपहर से शाम चार बजे तक चलता रहेगा। वहीं शाम पांच बजे कुम्हार देवानंद के घर मंदिर के पंडा ढोल-बाजे के साथ पहुंचेंगे।यहां पूजा-अर्चना कर कलश के साथ शोभा यात्रा निकाली जाएगी। जो तांती बाजार स्थित पथरनाथ घाट पर बारी कलश के साथ विशेष पूजन होगा। इसके उपरांत मंदिर में विधि-विधान के साथ कलश स्थापित किया जाएगा। इसके बाद नियमित 17 अगस्त तक विषहरी मंदिर में कलश पूजन का सिलसिला शुरू होगा। वहीं कलश स्थापना के साथ 16 जुलाई को प्रतिमा निर्माण की नींव रखी जाएगी। 15 को कुम्हार के घर पूजन होगा।
अंग प्रदेश का लोक पर्व मनसा विषहरी पूजा
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