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Chandra Grahan 2022: भरणी नक्षत्र व मेष राशि में अगर आपका जन्‍म हुआ है तो चंद्र ग्रहण होगा प्रभावी? जान लें

Chandra Grahan 2022 कार्तिक पूर्णिया आठ नवंबर को साल का अंतिम खग्रास चंद्रग्रहण लगेगा। यह ग्रहण इस वर्ष का अंतिम है। अभी कुछ ही दिन पूर्व सूर्य ग्रहण लगा था। ग्रहण के बाद गंगा स्‍नान करना काफी पुण्‍य का द्योतक है।

By Jagran NewsEdited By: Dilip Kumar shuklaUpdated: Tue, 08 Nov 2022 10:36 AM (IST)
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Chandra Grahan 2022 : चंद्रगहण के बाद गंगा स्‍नान करना शुभ माना जाता है।

जागरण संवाददाता, सहरसा। Chandra Grahan 2022 : साल एक अंतिम चन्द्रग्रहण लगने जा रहा है। यह धार्मिक कारणों से काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। ब्रज किशोर ज्योतिष संस्थान के संस्थापक ज्योतिषचार्य पंडित तरुण झा ने बताया कि कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा के दिन आठ नवंबर को भरणी नक्षत्र व मेष राशि में इस वर्ष का दूसरा व अंतिम खग्रास चंद्रग्रहण लगेगा। स्नान-दान की यह पूर्णिमा सर्वार्थ सिद्धि योग में मनायी जायेगी।

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक चंद्रग्रहण में गंगा स्नान से एक हजार वाजस्नेय यज्ञ के समान पुण्यफल की प्राप्ति होती है। यह चंद्रग्रहण भरणी नक्षत्र व मेष राशि वालों को ज्‍यादा शुभ माना जाएगा। जिन लोगों का जन्‍म भरणी नक्षत्र मेष राशि में हुआ है, उनके चंद्रग्रहण के दौरान जो भी शास्‍त्र में निर्घारित है, उसके अनुसार इस दौरान कार्य करें। ग्रहण के बाद गंगाजल से स्नान व घरों में इसका छिड़काव किया जाता है।

मिथिला पंचांग के अनुसार ग्रहण का समय

  • संध्या : सायं 05.10 से 06.19 तक
  • सूतक = ग्रहण काल से 9 घंटा पहले

ज्योतिषाचार्य पंडित तरुण झा ने कहा कि ग्रहण के दौरान यदि अंश कला विकला की गणना से देखें तो चंद्रमा भरणी नक्षत्र के तीसरे चरण तथा 22 अंश व 28 कला पर अवस्थित रहेगा। वहीं राहु 18 अंश 51 कला भरणी नक्षत्र के दूसरे चरण में रहेगा। इस दृष्टि ये यह ग्रहण की श्रेणी में तो आएगा, किंतु इसका नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा।

चंद्रग्रहण के दौरान इन बातों का रखें ख्याल

  • ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, चंद्र ग्रहण के दौरान सोने से व्यक्ति में रोग बढ़ने की आशंका रहती हैं!
  • ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर बिल्कुल नहीं जाना चाहिए। इसके अलावा जब ग्रहण चल रहा हो उस समय किसी भी नुकीली और धारदार चीज के इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
  • चंद्रग्रहण काल के समय पूजा अर्चना नहीं करनी चाहिए, मन ही मन में अपने इष्ट देव की उपासना कर सकते हैं।
  • चंद्रग्रहण के बाद स्नान और दान का भी विशेष महत्व होता है। चंद्रग्रहण के बाद पानी में थोड़ा गंगाजल मिलाकर स्नान करें और इसके बाद दान करें। दान करना बहुत शुभ माना जाता है, ब्राह्मण, गुरु, और गरीबों को दान अति लाभप्रद हैं।