Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Chhath Puja : आप जानते हैं छठी मइया को? क्‍या है इनका भगवान कार्तिकेय से संबंध, पढ़ें पुराणों में लिखी बातें

Chhath Puja 2022 लोक आस्‍था का चार दिवसीय अनुष्‍ठान शुरू हो गया है। इस अवसर पर आपके मन की इच्‍छा होती होगी कि छठी मइया कौन हैं। भगवान कार्तिकेय से छठी मइया का क्‍या संबंध है। पढ़ें पुराणों में क्‍या है चर्चा।

By Jagran NewsEdited By: Dilip Kumar shuklaUpdated: Fri, 28 Oct 2022 06:25 PM (IST)
Hero Image
Chhath Puja : छठ मइया के बारे में आप भी जानें।

संवाद सूत्र, सिकंदरा (जमुई)। Chhath Puja 2022 : आस्था का महान पर्व छठ महापर्व की शुरुआत शुक्रवार को नहाय-खाय के साथ हुई और सोमवार 31 अक्टूबर को भोर का अर्घ्य के साथ छठ पूजा का समापन होगा। चार दिनों तक चलने वाले इस व्रत का विधि-विधान किसी भी और व्रत के मुकाबले काफी कठिन है। छठ करने वाली व्रती को चार दिनों तक कड़ा उपवास करना होता है। माना जाता है कि पूरे विधि-विधान से छठ पूजा करने वाले को छठी मइया मनचाहा वरदान देती हैं।

छठ पूजा की क्या है कहानी? कौन हैं छठी मइया? 

भविष्य पुराण सौर प्रधान ग्रंथ है, जिसमें सूर्य उत्पत्ति, कार्यपद्धति और उपासना आदि का दिग्दर्शन कराया गया है। ब्राह्मण ग्रंथों में भी सूर्य की उत्पत्ति स्वरूप का वर्णन मिलता है। सत-पथ ब्राह्मण में सूर्य के तीन रूपों-प्रातः वसु मध्यान्ह्न रूद्र और संध्या आदित्य का वर्णन मिलता है। निरुक्त आदित्य का पर्याय भरत भी है। इस दृष्टि से भारत का अर्थ है सूर्य की उपासना करने वाला। सूर्य का एक पर्याय भानु भी है 'भातीति भानु'। सूयते इति सविता-सम्पूर्ण सृष्टि का उदगम।

ऋगवेद में सूर्य को जड़ चेतन सभी प्रकार की सृष्टि के आत्मा के रूप में स्वीकार किया गया है। पौराणिक मान्यताओं और जब श्रुतिओं के आधार पर यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि सूर्य हमारे विज्ञान सम्मत प्रत्यक्ष देवता है और जनमानस अपने आत्मकल्याण और आरोग्य के लिए उनकी आराधना करते हैं। लोक आस्था का महापर्व छठ व्रत आज न केवल बिहार में बल्कि विदेशों में भी पूरी निष्ठा और आदर के साथ मनाया जाता है।

आध्यात्मिक चिंतक अनिलेश चंद्र मिश्र लोक गीतों में जिस छठी मईया का उल्लेख होता है उसकी जानकारी देते हुए बताया कि कार्तिकेय के जन्म के बाद उनके तेजोमय स्वरूप को देखकर छह कृतिकाओं को उन्हें दुग्ध पान कराने की इच्छा हुई। कुछ समय बाद इन्ही कृतिकाओं द्वारा इनका लालन पालन भी हुआ। माता धर्म का निर्वहन करते हुए इन्होंने कार्तिकेयन की रक्षा के लिए सूर्य की आराधना की। इन्ही छह कृतिकाओं को 'छठी मइया' कहा जाता है। बताया कि त्रेता युग में माता सीता ने रामराज्य की सफलता के लिए और द्वापर में माता कुंती ने अपने पुत्रों के कल्याण के लिए सूर्य षष्ठी व्रत अनुष्ठान किया था।

कृष्ण पुत्र सांब के कुष्ठ रोग निवारण के लिए उड़ीसा के चंद्रभागा नदी के तट पर मग ब्राह्मणों द्वारा सूर्य अनुष्ठान संपन्न कराया गया था, जिससे वे रोगमुक्त हुए थे इस आशय का प्रमाण हमारे ग्रंथों में मिलता है। मार्कण्डेय पुराण में इस बात का जिक्र है कि सृष्टि की अधिष्ठात्रि देवी प्रकृति ने खुद को छह भागों में बांटा है और इसके छठे अंश को मातृ देवी के रूप में पूजा जाता है जो भगवान ब्रह्मा की मानस पुत्री हैं। बच्चे के जन्म के छह दिन बाद भी छठी मइया की पूजा की जाती है और उनसे प्रार्थना की जाती है कि वो बच्चे को स्वास्थ्य, सफलता और दीर्घायु का वरदान दें।

कौन हैं छठी मैया

शास्त्रों में बताया गया है कि माता छठी भगवान ब्रह्मा की मानस पुत्री हैं। साथ ही इन्हें सूर्य देव की बहन के रूप में भी बताया गया है। भगवान सूर्य प्रत्यक्ष देवता हैं और कई ज्योतिषाचार्य नित्य दिन सूर्य को अर्घ्य देने का सुझाव देते हैं। कारण रोजाना सूर्य को अर्घ्य देने से आरोग्यता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।