Vikramshila Bridge: विक्रमशिला सेतु के स्पेन में आई दरार, अब कार्बन प्लेट की होगी जांच
पुल के रखरखाव की जिम्मेदारी पुल निर्माण निगम के खगड़िया डिवीजन के पास था। कार्बन प्लेट चिपकाने के बाद इस डिवीजन स्तर से कभी जांच नहीं हो सकी। सेतु जब हस्तांतरित होकर पुल निर्माण निगम के भागलपुर डिवीजन के पास आया तो यहां से भी कभी कार्बन प्लेट की स्थिति जांची नहीं कराई गई। वर्तमान में यह सेतु एनएच विभाग भागलपुर डिवीजन के पास है।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। दुरुस्तीकरण कार्य के दौरान विक्रमशिला सेतु के स्पेन में आई दरार पर चिपकाए गए कार्बन प्लेट की जांच कराई जाएगी। मुख्य अभियंता से जल्द ही प्रस्ताव को सहमति मिलने की उम्मीद पर एनएच विभाग द्वारा एजेंसी बहाल की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
जांच में यह देखा जाएगा कि वह अभी किस स्थिति में है। कहीं कार्बन प्लेट उखड़ तो नहीं गया है। दरार और ज्यादा तो नहीं बढ़ी है। दरअसल, सेतु पर वाहनों का दबाव पहले की तुलना में बढ़ा है। जाम की स्थिति में वाहनों का स्टेटिक लोड भी सेतु के अस्तित्व पर नुकसान पहुंचा सकता है।
कंसल्टेंसी एजेंसी दरार और इस पर चिपकाए गए कार्बन प्लेट के अलावा वाहनों के लोड की भी जांच करेगी। जांच के आधार पर सेतु की मरम्मत कराने की योजना बनाई जाएगी।
पुल निर्माण निगम के पास से देखरेख की जिम्मेदारी
साल 2016 के अक्टूबर-नवंबर में मुंबई की रोहरा रिबिल्ड एसोसिएट्स बरारी की ओर से चौथे व पांचवें पाए के स्पेन के दरार में कार्बन प्लेट चिपकाया था। एजेंसी के अभियंता ने इसकी समय-समय पर जांच कराने की बात करते हुए कहा था कि इससे पुल को कोई नुकसान नहीं होगा।
पुल के रखरखाव की जिम्मेदारी पुल निर्माण निगम के खगड़िया डिवीजन के पास था। कार्बन प्लेट चिपकाने के बाद इस डिवीजन स्तर से कभी जांच नहीं हो सकी। सेतु जब हस्तांतरित होकर पुल निर्माण निगम के भागलपुर डिवीजन के पास आया, तो यहां से भी कभी कार्बन प्लेट की स्थिति जांची नहीं कराई गई। वर्तमान में यह सेतु एनएच विभाग, भागलपुर डिवीजन के पास है।
बता दें कि इस सेतु की मरम्मत पर 14 करोड़ 65 लाख रुपये खर्च हुआ था। इस दौरान मुंबई की एजेंसी ने पुल के स्पेन को जैक लगाकर उठाया था और बाल-बियरिंग की बदली की थी। इसके अलावा एक्सपेंशन ज्वाइंट को भी बदला था। साथ ही 4.5 किलोमीटर खोदकर सेतु की सड़क बनाई गई थी।
बाल-बियरिंग बदलने के दौरान तो लंबे समय तक पुल बंद रहा था। मरम्मत कार्य से पूर्व आइआइटी दिल्ली की टीम ने जांच की थी और पुल चलने लायक नहीं बताया था। इसके बाद ही मरम्मत की कार्रवाई शुरू हुई थी।
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