बेटी बोलीं- मैं आपका सांकेतिक अंतिम संस्कार कर रही हूं, पिताजी माफ कर दीजिएगा
भागलपुर में ड्रेजिंग जहाज के भीतर गए लापता दो लोगों का बरारी श्मशान घाट पर हुआ सांकेतिक अंतिम संस्कार। एक सप्ताह पहले ड्रेजिंग जहाज के कटकर 57 भैंस की हो गई थी मौत दो चरवाहे लापता। एक को पुत्री ने तो एक को पुत्र ने मुखाग्नि दी।
By Jagran NewsEdited By: Dilip Kumar shuklaUpdated: Mon, 17 Oct 2022 08:00 AM (IST)
जागरण संवाददाता, भागलपुर। गत नौ अक्टूबर यानी रविवार को बड़ी खंजरपुर स्थित मंठ घाट में रविवार को मवेशियों के साथ बहकर छह चरवाहा ड्रेजिंग जहाज के भीतर चला गया था। जहाज से कटकर 57 भैंस की मौत हो गई। वहीं, किसी तरह जान बचाकर चार चरवाहा बाहर निकल गए, जबकि दो लोग लापता हो गए। एक सप्ताह बाद भी शव बरामद नहीं होने की स्थिति में रविवार को मायागंज निवासी सिकंदर यादव और कारू यादव का हिन्दू रीति रिवाज के अनुसार बरारी श्मशान घाट पर सांकेतिक दाह संस्कार किया गया। पुआल और कुश का दोनों का सांकेतिक मायागंज से दोपहर एक बजे अंतिम यात्रा पर निकला। कारू यादव को पुत्र नहीं पांच बेटियां हैं। पुत्री व दामाद ने शव को कंधा दिया। पुत्री मौसम ने पिता को मुखाग्नि दी। इस दौरान बेटी काफी भावुक हो गई। उसने कहा कि पिताजी माफ कर दीजिएगा।
सिकंदर यादव के सांकेतिक शव को उनके पुत्रों ने कंधा दिया। पुत्र पप्पू यादव ने मुखाग्नि दी। इसके बाद विधि विधान से अस्थि गंगा में विसर्जन किया गया। शव यात्रा के साथ मोहल्ले के दर्जनों लोग शामिल थे। मोहल्ले में आज भी सन्नाटा पसरा रहा। आसपास के घरों में चूल्हे नहीं जले।
गंगा में ड्रेजिंग जहाज से हुए हादसे में बरारी थाने में दर्ज हुआ केस
सुल्तानगंज से कहलगांव तक गंगा में फैले डाल्फिन सेंचुरी क्षेत्र में नौ अक्टूबर 2022 को खिरनीघाट से कारगिल दियारा की ओर 80 भैंसों के झुंड के के साथ जा रहे पशुपालकों के साथ हुए ड्रेजिंग मशीन से हादसे मामले में केस दर्ज कर लिया गया। हादसे में लापता कारू यादव की पत्नी उषा देवी के बयान पर केस दर्ज कर लिया गया है। हादसे में जहाज के पंखों की चपेट में आने से नौ अक्टूबर को 57 भैंसें कट गईं थी पशुपालकों में चंदन, मोहन, प्रदीप, पीयूष, धीरज सहित छह लोग किसी तरह जान बचाकर नदी से बाहर निकल गए थे लेकिन 55 वर्षीय सिकंदर और कारू का पता नहीं चल सका। बरारी थानाध्यक्ष संजय सत्यार्थी एसडीआरएफ की टीम के साथ लगातार चार दिनों तक लापता पशुपालक कारू और सिकंदर तथा लापता मवेशियों की तलाश गंगा में करते रहें। मामले में कोई कामयाबी नहीं मिली। कई भैंसे भी बरामद नहीं हो सकी है।कारू की पत्नी उषा के आवेदन के मजमून पर उठ रहे सवाल
गंगा में ड्रेजिंग जहाज से हुए इतने बड़े हादसे और सुल्तानगंज से कहलगांव तक फैले डाल्फिन सेंचुरी में बिना वाइल्ड लाइफ क्लीयरेंस के एक नहीं चार-चार जहाज से ड्रेजिंग कार्य कराने की बड़ी घटना के बाद भी दर्ज केस में उषा देवी का आवेदन बिल्कुल भिन्न है। जिससे पूरे आवेदन के मजमून पर सवाल उठने लगा है। मानों उषा की तरफ से प्रस्तुत आवेदन कायदे से लिखवाया गया है। बस उषा के हस्ताक्षर कराए गए हैं। आवेदन में कहीं भी ड्रेजिंग जहाज से कटकर मवेशी की मौत या लापता पति कारू यादव और मवेशीपालक सिकंदर यादव को हादसे का शिकार नहीं बताया गया है। बस दोनों के संबंध में यही लिखा गया है कि गंगा के जलमार्ग में लगे जहाजों के बीच भैंस और उसके पति फंस गए। जहाज के हटाने पर गंगा के पानी की धार में भैंसों को बहते देखा गया। उनमें बहुत भैंस मृत अवस्था में तेजी से गंगा की धारा में बहते देखे गए। पति कारू यादव और सिकंदर यादव को सभी साधनों के सहारे आज तक ढूंढने का काफी प्रयास किया परंतु दोनों नहीं मिल सके। उषा ने मुआवजा दिलवाने की गुहार भी लगाई है। जबकि जिला वन पदाधिकारी भरत चिंतापल्ली ने ड्रेजिंग जहाज का डाल्फिन सेंचुरी में लंगर लगाए जाने और ड्रेजिंग कार्य करने को वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 का उलंघन मानते हुए शिकायत दर्ज कर जांच बैठा दी है।
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