दीपावली 2022 : हस्त-चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग, अद्भुत संयोग, शुभ मुहूर्त का रखें विशेष ध्यान
दीपावली 2022 आज मनेगी दीपावली हस्त-चित्रा नक्षत्र में वैधृति योग का बन रहा है अतिसुखद संयोग। स्थाई लग्न में लक्ष्मी पूजा ज्यादा उत्तम सोमवार को कभी भी कर सकते हैं धन की देवी की आराधना। मध्यरात्रि किया जाएगा मां काली का आह्वान।
By Jagran NewsEdited By: Dilip Kumar shuklaUpdated: Mon, 24 Oct 2022 11:37 AM (IST)
जागरण संवाददाता, भागलपुर। दीपावली 2022 : कार्तिक मास कृष्ण पक्ष अमावस्या इस बार सोमवार को है। इसी दिन दीपावली मनाई जाएगी। इस बाद दिवाली में हस्त-चित्रा नक्षत्र में वैधृति योग का सुखद व अद्भुत संयोग बन रहा है। प्रदोषकाल और मध्य रात्रि में मां लक्ष्मी की पूजा स्थिर लग्न में उत्तम है। दीपावली की पावन बेला में भगवान गणेश और चल लक्ष्मी की पूजा की जाएगी। शाम से रात भर कभी भी लक्ष्मी पूजा की जा सकती है, दो लग्न में पूजा विशेष शुभ फलदाई होगा।
- सूर्यग्रहण की तिथि व समय 25 अक्टूबर मंगलवार को शाम 4.49 बजे से 6.6 बजे तक सूर्यग्रहण रहेगा। एक घंटा 17 मिनट तक सूर्यग्रहण रहेगा। यह भारत में नहीं दिखेगा।
- दीपावली पूजन का मुहूर्त सोमवार को दो लग्न एक शाम 6:55 से रात्रि 8:51 तक और दूसरा स्थिर सिंह लग्न रात्रि 1:23 से 3:37 तक में मां लक्ष्मी की पूजा अराधना ज्यादा शुभ फलदाई है। सोमवार को भी किसी भी समय लक्ष्मी पूजा करना शुभ ही होगा।
बूढ़ानाथ मंदिर के ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषीकेश पांडे ने बताया कि काली पूजा सोमवार को मध्यरात्रि की जाएगी। दीपावली पर भगवान गणेश और चल लक्ष्मी की पूजा होती है। ब्रह्मपुराण में प्रदोष काल से लेकर निशीथकाल तक की अमावस्या को गणेशजी, महादेवी लक्ष्मीजी, भगवान कुबेरजी की पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है। प्रकाशमयी देवी लक्ष्मी अमावस्या की रात्रि के घटाघोप अंधकार को अपने प्रकाश पुंज से चीरते हुए समुद्र मंथन से प्रकट हुई थी। समस्त वातावरण को ज्योतिर्मय कर दिया था। अमावस्या को दीपों से आलोकित कर मां लक्ष्मी का स्वागत और पूजन करने का विधान है। दीपावली के अगले दिन सूर्यग्रहण लग रहा है। 27 साल बाद ऐसा संयोग बन रहा है। इससे पहले यह संयोग 1995 में बना था।
लक्ष्मी की पूजा
ऐसे करें मां लक्ष्मी की पूजा ताकि घर आए सुख और समृद्धि, सिद्ध हों सभी बिगड़े कार्य स्नान कर गंगाजल से पवित्र हो नया वस्त्र धारन करें। पूजा स्थल पर एक चौकी रखें और लाल कपड़ा बिछाकर उसपर लक्ष्मी जी और गणेशजी की मूर्ति रखें। चौकी पर जल से भरा कलश भी रखें। माता लक्ष्मी को सादा वस्त्र और गणेशजी को लाल वस्त्र अर्पित करें। मूर्ति पर तिलक लगाएं और दीपक जलाकर जल, फूल, मौली, चावल, फल, अबीर-गुलाल, हल्दी, कमल गट्टा, कौड़ी, सर्वऔषधी, पंचरत्न, नैवेद्य आदि अर्पित करें। सुगंधित अगरबत्ती, इत्र आदि चढ़ावें। गणेश स्तुति से पूजा आरंभ करें। मां लक्ष्मी की प्रार्थना और आरती कर पूजा संपन्न करें।आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।