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Bihar News: चीन में गूंजेगी भागलपुरी चादर व मंजूषा पेंटिंग की शहनाई, बुनकरों के लिए खुलेंगे रोजगार के नए द्वार

भागलपुर की मंजूषा कला और यहां की चादरों को अब चीन के शंघाई शहर में नया बाजार मिलने जा रहा है। दो चीनी युवाओं ने भागलपुर आकर मंजूषा कला और सिल्क के वस्त्रों का इतिहास जाना और साथ ही आगे के लिए ऑर्डर भी दिए हैं। आने वाले समय में यह रोजगार के लिए यहां के हजारों बुनकरों के लिए नया द्वार खोलेगा।

By Jagran News Edited By: Mohit Tripathi Updated: Sun, 27 Oct 2024 07:57 PM (IST)
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बुनकर व हेमंत के साथ चीनी युवक झियांग (बीच में)।
अभिषेक प्रकाश, भागलपुर। अंग प्रदेश की मंजूषा कला और यहां की चादरों को अब नया बाजार मिलने वाला है। चीन के शंघाई शहर में जल्द ही इसकी शहनाई सुनाई पड़ेगी। वहां से भागलपुर पहुंचे दो चीनी युवा यहां से तसर पर अंकित मंजूषा का इतिहास और विस्कोज कपड़े से बनवाए हुए शर्ट-कुर्ते अपने साथ ले गए हैं। साथ ही साथ आगे के लिए आर्डर भी दे गए हैं।

फिलहाल, अभी एक बुनकर के माध्यम से मंजूषा लोक कला, सिल्क के वस्त्र, भागलपुरी चादर चीन के बाजार में पहुंचे हैं। आने वाले समय में यह रोजगार के लिए यहां के हजारों बुनकरों के लिए नया द्वार खोलेगा।

चंपानगर के रहने वाले बुनकर हेमंत कुमार ने बताया कि बेंगलुरु के गणेश के साथ में चीन के दो यात्री भागलपुर पहुंचे थे। उनके नाम झियांग और सी चीयांग थे।

तसर पर बनी मंजूषा पेंटिंग, जिन्हें अपने साथ ले गए चीनी युवा।

हेमंत ने बताया कि उन लोगों ने मंजूषा लोक कला, बिहुला बिषहरी व भागलपुर के सिल्क से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर लंबे समय तक बातचीत की। उन्हें मंजूषा कला के वास्तु और रंग विज्ञान के बारे में बताया गया।

साथ ही साथ सिल्क के कपड़े कैसे तैयार होते हैं, वह दिखाया गया। हेमंत ने बताया कि गणेश उनके ट्रांसलेटर के रूप में थे। दोनों बिहार दर्शन के दौरान भागलपुर पहुंचे थे।

बुनकर व हेमंत के साथ चीनी युवक झियांग (बीच में)

बेंगलुरु के कारोबारी गणेश ने बताया कि वे जब भी चीन से भारत आते हैं तो पिछले कुछ वर्षों से भागलपुर भी आ जाते हैं। यहां से वह सिल्क के कुछ कपड़े, चादर, मंजूषा पेंटिंग आदि शंघाई ले गए थे। वहां पर उनकी काफी मांग हुई। गणेश पिछले 20 वर्षों से शंघाई में रह रहे हैं। वहां पर वह योग और संस्कृति की शिक्षा देते हैं।

उन्होंने बताया कि 2025 के फरवरी-मार्च में मंजूषा और अंग संस्कृति से जुड़ी चीजों पर शंघाई में वे प्रदर्शनी लगा रहे हैं। इसको लेकर जो भी फार्मेलिटी है, वह पूरी की जा रही है। इससे यहां के सिल्क को एक नया बाजार मिलेगा।

हेमंत के साथ झियांग।

मंजूषा पेंटिंग के 500 अलग-अलग डिजाइनों के आए हैं आर्डर

बुनकर हेमंत कुमार ने बताया कि झियांग और सी जियांग मंजूषा कला, सिल्क के कपड़े, भागलपुरी चादरों व बिहुला से जुड़ीं किताबों को लेकर बहुत उत्साहित थे। भागलपुरी चादर में उपयोग होने वाले विस्कोज कपड़े से उन्होंने शर्ट और कुर्ता बनवाया है। 1000 पीस का आर्डर भी उन्होंने दिया है।

तसर पर बनी मंजूषा पेंटिंग, जिन्हें अपने साथ ले गए चीनी युवा।

इसके अलावा, 500 मंजूषा पेंटिंग साथ ही बिहुला से जुड़ीं किताब की 500 प्रतियों के इंग्लिश वर्जन भी डिमांड की है। हेमंत ने बताया कि वे इसकी तैयारी में जुटे हैं। नवंबर के अंत सारी चीजें बेंगलुरु से होकर शंघाई जाएंगी। हेमंत ने बताया कि दोनों चीनी युवक अगले साल 12 लोगों की टीम लेकर भागलपुर भ्रमण पर आएंगे।

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