Diwali 2022: रात्रि में घर-घर विचरण करेंगी लक्ष्मी, कार्तिक अमावस्या के दिन मां को करें प्रसन्न, यह है उपाय
Diwali 2022 कार्तिक अमावस्या के दिन यह पर्व मनाया जाता है। इस दिन प्रत्येक घरों में माता लक्ष्मी आतीं हैं। मां को प्रसन्न करने के लिए घरों के लोगों को विशेष ध्यान रखने की जरुरत है। इस दिन मां को आप दीपक जलाकर खुश रखें।
By Jagran NewsEdited By: Dilip Kumar shuklaUpdated: Mon, 24 Oct 2022 07:59 AM (IST)
भागलपुर/ सुपौल, जागरण टीम। Diwali 2022: कार्तिक मास के अमावस्या को दीपावली संपूर्ण भारतवर्ष में हर्ष एवं उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना एवं उपासना की जाती है। धर्म शास्त्र के अनुसार इसी दिन भगवान श्रीराम 14 वर्षों के वनवास एवं लंका पर विजय प्राप्त कर अयोध्या लौटे थे। इस मौके पर अयोध्यावासियों ने अपने-अपने घरों में दीपक जलाकर अयोध्या आए श्रीराम का स्वागत किया था। मान्यता है कि उसी दिन से लेकर आज तक पूरे भारत में यह पर्व प्रकाश पर्व दीपावली के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सभी को अपने-अपने घरों की साफ-सफाई कर सायं में दीपदान करना चाहिए।
दीपावली पर्व महालक्ष्मीजी की पूजन के लिए विशेष पर्व है। प्रकाश पर्व दीपावली का महात्म्य बताते हुए आचार्य पंडित धर्मेंद्रनाथ मिश्र ने बताया कि ब्रह्मपुराण के अनुसार दीपावली की अर्धरात्रि में माता महालक्ष्मी सदगृहस्थ के घर-घर विचरण करती है। इसलिए इस दिन प्रत्येक प्राणी को अपने-अपने घर को स्वच्छ व साफ-सुथरा एवं सुशोभित रखने से माता लक्ष्मी उन पर प्रसन्न होती है और वहां सदैव निवास करती है। इस रात्रि को महानिशा की भी संज्ञा दी गई है। लक्ष्मी पूजन के अतिरिक्त भगवान गणेश, महाकाली, माता सरस्वती, तुला, बही-खाते, लेखनी- दावत एवं कुबेर का पूजन भी करते हैं। यह सभी पूजन प्रदोष काल एवं स्थिर लग्न में शुभ होते हैं। मान्यता है कि इस लग्न में पूजन से मां लक्ष्मी का घर अथवा व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में स्थाई निवास होता है। साथ ही ये सभी पूजन प्रदोष काल एवं स्थिर लग्न में शुभ होते हैं।
जानिए, लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त
आचार्य ने बताया कि 24 अक्टूबर यानि सोमवार को प्रदोष काल अर्थात संध्या में 5 बजकर 16 मिनट से लेकर देर सायं 7 बजकर 16 मिनट तक पूजन का शुभ मुहूर्त है। जिसमें पूजन करने से रिद्धि, सिद्धि, धन-धान्य एवं अचल लक्ष्मी-गणेश की प्राप्ति के साथ-साथ सभी प्रकार के मनोरथों की प्राप्ति होगी।आचार्य ने बताया कि इस दिन ईशान कोण में वेदी बनाकर उस पर कलश रखकर विधि-विधान पूर्वक माता लक्ष्मी, गणेश, कुबेर तथा नवग्रह देवताओं के पूजन किए जाते हैं। इस दिन द्रव्य लक्ष्मी अर्थात चांदी के सिक्के में माता लक्ष्मी एवं गणेशजी के पूजन का विशेष महत्व है। इनके पूजन से प्रत्येक प्राणी धनवान, लक्ष्मीवान, गुणवाण, पुत्रवाण, कृतिवाण एवं यशस्वी होते हैं। साथ ही आचार्य ने बताया कि शुभ मुहूर्त में पूजन के बाद उल्का भ्रमण कर सकते हैं।
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