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Bihar News: DM ने जज को भेजी अपमानजनक टिप्पणी वाली चिट्ठी... मची खलबली, न्यायाधीश ने पत्र को केस रिकॉर्ड में किया दर्ज

जिलाधिकारी की तरफ से व्यवहार न्यायालय के एक न्यायाधीश को अपमानजनक टिप्पणी वाला पत्र भेज देने पर भूचाल आ गया है। बता दें कि कोतवाली थाने में आर्म्स एक्ट से जुड़े दस दिसंबर 2011 को दर्ज केस में डीएम का सेक्शन आदेश नहीं उपलब्ध होने पर अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश विश्व विभूति गुप्ता ने पहले अपर लोक अभियोजक को डीएम का सेंक्शन आदेश उपलब्ध कराने का आदेश दिया था।

By Kaushal Kishore Mishra Edited By: Shoyeb Ahmed Updated: Fri, 15 Mar 2024 05:29 PM (IST)
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जज को डीएम की अपमानजनक टिप्पणी वाले पत्र से आया भूचाल (फाइल फोटो)

कौशल किशोर मिश्र, भागलपुर। व्यवहार न्यायालय के एक न्यायाधीश को जिलाधिकारी की तरफ से अपमानजनक टिप्पणी वाला पत्र भेज देने पर भूचाल आ गया है।

आर्म्स एक्ट से जुड़े कोतवाली थाने में दस दिसंबर 2011 को दर्ज केस में डीएम का सेक्शन आदेश नहीं उपलब्ध होने पर अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश विश्व विभूति गुप्ता ने पहले अपर लोक अभियोजक को डीएम का सेंक्शन आदेश उपलब्ध कराने को कहा था।

थानाध्यक्ष व एसएसपी को भेजा पत्र 

उसके बाद मामले में थानाध्यक्ष कोतवाली से लेकर एसएसपी तक को सेंक्शन आदेश उपलब्ध कराने को पत्र भेजा। तमाम पत्राचार बाद भी केस रिकॉर्ड में डीएम के सेंक्शन आदेश उपलब्ध नहीं होने पर जिले में अभियोजन पक्ष के सक्षम प्राधिकार जिलाधिकारी को पत्र भेज आर्म्स एक्ट के 14 साल पुराने उक्त केस में सेंक्शन आदेश उपलब्ध कराने का अनुरोध किया ताकि केस का निष्पादन किया जा सके।

लेकिन मामले में कोई जवाब नहीं आने पर न्यायाधीश ने डीएम को चार मार्च 2024 को पत्र भेज अभियोजन की लापरवाही की जानकारी दे याद दिलाया कि 14 फरवरी 2023 को जारी पत्र का अवलोकन करें।

न्यायाधीश ने ये कहा

यह भी जानकारी दी थी कि अभियोजन स्वीकृति आदेश प्रस्तुत करने के संबंध में उनकी तरफ से किये गये अनुरोध के बावजूद न्यायालय में प्रस्तुत नहीं किया गया। पत्र में न्यायाधीश ने कहा था कि आपको निर्देशित किया जाता है कि इस संबंध में जांच कर इस न्यायालय में अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत करें ताकि उच्च न्यायालय पटना की तरफ से मांगे गए स्पष्टीकरण में प्रतिवेदन भेजा जा सके।

न्यायाधीश ने उसे अति आवश्यक बताते हुए सात दिनों के अंदर अपना स्पष्टीकरण सौंपने की बात पत्र में कही थी। उक्त पत्र के जवाब में डीएम डॉ. नवल किशोर चौधरी ने अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश विश्व विभूति गुप्ता को जो जवाब दिया वह हैरान करने वाला है।

डीएम ने ये लिखा

डीएम ने अपने पत्र में न्यायाधीश की तरफ से चार मार्च 2024 को भेजे पत्र का हवाला देते हुए लिखा कि मामले में 19 अप्रैल 2012 को तत्कालीन डीएम ने स्वीकृति आदेश जारी कर दिया था और इसे एसएसपी को भेजा गया था।

उक्त स्वीकृति आदेश न्यायालय में प्रस्तुत नहीं करने में जिस पुलिस पदाधिकारी की लापरवाही हो उसे चिन्हित कर उनके विरुद्ध आवश्यक कार्रवाई का प्रस्ताव आप हमें एवं एसएसपी को भेजें।

डीएम ने यह भी लिखा कि आप अवगत हैं कि अभियोजन स्वीकृति का आदेश अनुसंधानकर्ता की तरफ से भेजे गए प्रस्ताव पर एसएसपी से प्राप्त अनुशंसा के आलोक में दिया जाता है।

जिलाधिकारी से मांगा गया स्पष्टीकरण

उक्त जानकारी के बाद आपकी तरफ से जारी उक्त पत्र में जिलाधिकारी से स्पष्टीकरण मांगा गया है जो अशोभनीय है। इस तरह का पत्र भविष्य में उन्हें नहीं भेजा जाए जो न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच आपसी संबंध को ठेस पहुंचाता हो।

यदि इस संबंध में कोई पत्राचार करना हो तो उच्च न्यायालय के आदेशानुसार जिला अभियोजन पदाधिकारी, भागलपुर से किया जाय। डीएम ने अपने पत्र के साथ वर्ष 2012 में तत्कालीन डीएम की तरफ से उक्त आर्म्स एक्ट के केस में जारी स्वीकृति आदेश की कॉपी भी न्यायालय में भेजी है।

डीएम के पत्र को न्यायाधीश ने किया सलंग्न

जिस स्वीकृति आदेश की कॉपी को प्रस्तुत करने के लिए न्यायाधीश कई बार अभियोजन पक्ष से जुड़े डीएम, एसएसपी समेत सारे सक्षम सदस्यों को पूर्व में अनुरोध पत्र भेज चुके थे। लेकिन उक्त स्वीकृति आदेश की कॉपी नहीं प्रस्तुत करने और संतोषजनक जवाब न्यायालय में नहीं आने पर जिले में अभियोजन पक्ष के सबसे सशक्त प्राधिकार डीएम को शोकाज देने को कहा था।

क्योंकि न्यायाधीश को भी उच्च न्यायालय पटना की तरफ से मामले में जारी स्पष्टीकरण पर प्रतिवेदन भेजना था। बहरहाल डीएम की तरफ से भेजे गए पत्र को केस रिकॉर्ड में न्यायाधीश ने संलग्न कर लिया है। डीएम के उक्त पत्र में वर्णित अशोभनीय और भविष्य में इस तरह का पत्र उन्हें नहीं भेजा जाय जैसे शब्दों को लेकर न्यायालय के अवमानना के दायरे में आने की बात कही जा रही है।

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