मछली पालन के साथ डक फार्मिंग से कर सकते हैं मोटी कमाई, सुपौल के अभिषेक ने नौकरी छोड़कर की थी शुरुआत
मछली पालन के साथ आप डक फार्मिंग कर मोटी कमाई कर सकते हैं। इसमें ज्यादा लागत भी नहीं आता है। सुपौल के अभिषेक ने नौकरी छोड़कर इसकी शुरुआत की थी। आज वह अच्छी कमाई कर रहे हैं। साथ ही दूसरे लोगों को रोजगार भी...
संवाद सूत्र, प्रतापगंज (सुपौल)। प्रतापगंज प्रखंड की गोविंदपुर पंचायत के अभिषेक कुमार कर्नाटक में नौकरी करने के दौरान वहां हंस और बतख पालन को नजदीक से देखा और इस संबंध में जानकारी हासिल की। यह काम उन्हें इतना भाया कि वे वहां नौकरी छोड़ कर घर आ गए और अपने दो पोखर में मछली पालन के साथ बतख पालने लगे और इसे कमाई का जरिया बनाया।
शुरुआती दिनों में इन्होंने बतख के डेढ हजार चूजे पोखर में छोड़े जो अब अंडे देने लगे हैं। उन्होंने बताया कि एक ही पोखर में मछली और बतख पालने से दोनों को फायदे होते हैं। छोटी मछलियां और पोखर के कीड़े-मकोड़ों को बतख और हंस खा जाते हैं। इनके तैरने से पोखर के पानी के आक्सीजन का स्तर भी बरकरार रहता है। इससे मछलियों की बढ़ोतरी में फायदा होता है।
लोगों को कर रहे प्रेरित
इनकी देखादेखी लोगों की उत्सुकता बढ़ी। इसकी जानकारी लेने लोग आते भी हैं। जो आते हैं उन्हें बतख के नस्ल, कहां से लाया, कैसे देखरेख की जाए सहित अन्य जानकारियां देते हैं। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि एक बतख एक वर्ष में लगभग 285 से 300 अंडे तक देती है। बाजार में इसके एक अंडे की कीमत लगभग 12 रुपये से लेकर 15 रुपये के बीच होती है।
दरअसल बतख का अंडा और मांस दोनों प्रोटीन से परिपूर्ण होता है, इसलिए इसकी मांग लगातार बढ़ती जा रही है। बताया कि एक हजार चूजों का पालन करने पर एक वर्ष में लगभग एक लाख रुपये के आसपास लागत लगती है और इन एक हजार बतखों से एक वर्ष में लगभग 3-4 लाख रुपये की आय होती है।
डक फार्मिंग किसानों के लिए अच्छा व्यवसाय
उन्होंने बताया कि डक फार्मिंग किसानों के लिए एक आकर्षक व्यवसाय है। जानकारी के अभाव में अधिकांश किसान या फिर व्यवसाय करने वाले लोग इस धंधे से अनभिज्ञ हैं। इसमें मुर्गी पालन की अपेक्षा कम लागत में अधिक मुनाफा है। जब तक किसान सिर्फ किसानी पर ही निर्भर रहेंगे तब तक उन्हें बहुत ज्यादा लाभ नहीं मिलेगा। किसानी के अतिरिक्त डक फार्मिंग किसानों के लिए अनुकूल धंधा है।