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ड्रैगन फ्रूट की खेती से आएगी खुशहाली, गुलाब की तरह खिल उठेंगे किसानों के चेहरे; होगी बंपर कमाई!

बिहार के भागलपुर में ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू हो गई है। यह गुलाबी रंग का विदेशी फल है जिसकी खेती से किसानों को काफी फायदा होने की उम्मीद है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर के कृषि विज्ञान केंद्र में प्रयोग के तौर पर ड्रैगन फ्रूट के पौधे लगाए गए थे जो पूरी तरह से सफल रहे। अब अगले साल से किसानों को भी प्लांटिंग मटेरियल उपलब्ध कराया जाएगा।

By Hirshikesh Tiwari Edited By: Rajat Mourya Updated: Thu, 07 Nov 2024 02:02 PM (IST)
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ड्रैगन फ्रूट की खेती से आएगी खुशहाली, गुलाब की तरह खिल उठेंगे किसानों के चेहरे
ललन तिवारी, भागलपुर। गुलाबी रंग के विदेशी फल (ड्रैगन फ्रूट) की खेती अब अंग के खेतों में भी होगी। गुलाबी फल की खेती से किसानों के चेहरे समृद्धि के गुलाब की तरह खिल जाएंगे। प्रयोग के तौर पर बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर के मुख्यालय स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में ड्रैगन फ्रूट के पौधे लगाए गए। यह प्रयोग पूरी तरह से सफल रहा। अगले वर्ष से इसमें फल आने लगेगा। इसके बाद किसानों को भी प्लांटिंग मटेरियल उपलब्ध कराया जाएगा।

क्या है तैयारी? 

कृषि विज्ञान केंद्र सबौर के इंचार्ज डॉ. राजेश कुमार कहते हैं कि 500 वर्ग मीटर में प्रत्यक्षण सह उत्पादन यूनिट लगाया गया है। 60 सीमेंट के पोल से पौधे को अटैच किया गया है, ताकि फल उसके सहारे सुरक्षित लगे। यह ड्रैगन फ्रूट उत्पादन का नया मॉडल है। प्रयोग सफल होने के बाद क्षेत्र के किसान भी इस मॉडल को अपनाएंगे। किसानों को प्रशिक्षण और प्लांटिंग मटेरियल भी उपलब्ध कराया जाएगा।

ड्रैगन फ्रूट का पौधा 25 वर्ष तक उपयोगी बना रहेगा। एक सीजन में पांच बार फलन होता है। यह ताइवान, जापान, चाइना का मुख्य फल है। गंगा के उसपार किशनगंज में इसकी खेती बड़े पैमाने पर हो रही है। कम पानी वाले जगह के लिए ड्रैगन फ्रूट वरदान है।

मवेशी से भी नहीं है खतरा

ड्रैगन फ्रूट्स के पौधे लगाने के बाद 25 साल तक किसानों को फल मिलेंगे। प्रत्येक वर्ष इसका पौधा बढ़ता है और फल भी अधिक देता है। कम पानी वाले जगह के लिए ज्यादा उपयोगी है। कटीला होने की वजह से आवारा पशुओं से भी इस फसल को कोई नुकसान नहीं होता है। ड्रैगन फ्रूट्स की मार्केट में काफी डिमांड है और 150 सो दो सौ रुपये किलो बिकता है।

ऐसे लगाया जाता है पौधा

ड्रै गन फ्रूट के एक पौधे से दूसरे पौधे की दूरी चार से पांच फीट होनी चाहिए। इस पौधे के समीप एक खंबा या एक बांस बल्ली लगाना होता है। जिसके सहारे से यह ऊपर की तरफ बढ़ना शुरू करता है। इस पेड़ में कोई भी बीमारी नहीं आती और लगभग 16 महीने बाद यह फल देना प्रारंभ करता है।

सबसे खास बात यह है कि प्रत्येक वर्ष फल देने की क्षमता बढ़ती जाती है। ड्रैगन फ्रूट का पौधा एक सीजन में 3 से 5 बार फल देता है। प्रत्येक फल का वजन लगभग 300 से 800 ग्राम तक होता है। एक पौधे पर 50 से 120 फल लगते हैं। इस प्रकार इसकी औसत उपज 5 से 6 टन प्रति एकड़ होती है।

ड्रैगन फ्रूट बदलते मौसम और कम होती वर्षा के लिए काफी उपयोगी है। सफलता पूर्वक प्रयोग किया जा रहा है। आने वाले समय में इसका विस्तार होगा। भागलपुर के किसान भी अब इसकी खेती कर सकेंगे। - डॉ. डीआर सिंह, कुलपति बीएयू सबौर भागलपुर

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