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फलदार पौधों का नर्सरी लगाकर करें रोजगार, सरकार देगी अनुदान

राज्य सरकार एक हेक्टेयर में नर्सरी व्यवसाय शुरू करने के लिए 20 लाख रुपये की योजना पर 50 फीसद अनुदान दे रही है।

By Dilip ShuklaEdited By: Updated: Wed, 03 Oct 2018 05:14 PM (IST)
फलदार पौधों का नर्सरी लगाकर करें रोजगार, सरकार देगी अनुदान
भागलपुर (जेएनएन)। जिले के युवा एवं सीमांत किसान स्वरोजगार के लिए फलदार पौधों का नर्सरी व्यवसाय अपनाएं और सलाना 10 लाख रुपये कमाएं। राज्य सरकार एक हेक्टेयर में नर्सरी व्यवसाय शुरू करने के लिए 20 लाख रुपये की योजना पर 50 फीसद अनुदान दे रही है। उक्त बातें दैनिक जागरण के खेतीबारी अभियान में अपना अनुभव साझा करते हुए बिहार कृषि विश्वविद्यालय उद्यान (फल) विभाग के अध्यक्ष डॉ. फिजा अहमद ने कही। उन्होंने कहा कि स्वरोजगार के लिए युवाओं व किसानों के लिए सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना है। इस योजना से न सिर्फ धरती पर हरियाली बढ़ेगी बल्कि लोगों को फलों का राजा आम भी मिलेगा और इस व्यवसाय से जुड़े युवा सलाना 10 रुपये भी कमा भी पाएंगे।

उद्यान वैज्ञानिक ने कहा कि कि एक हेक्टेयर में नर्सरी तैयार करने के लिए अगर युवा किसान कोलकता से आम के बीजू पौध 30 रुपये में खरीद कर लाएंगे तो उन्हें एक हेक्टेयर के लिए 70 हजार पौध क्रय करने में कुल 21 लाख रूपये खर्च करने होंगे। उसे यहां के प्रसिद्ध आम की किस्मों के साथ साठ बांधकर कलमी पौध तैयार करना होगा। जिसमें करीब आठ माह का समय लगेगा। इसके लिए उसके प्रबंधन में प्रति पौध 30 रुपये और खर्च करने के बाद भी उसकी बिक्री प्रति पौध 70 रुपये में भी होती है तो सलान 10 लाख रुपये की आमदनी होगी। दूसरी ओर अगर किसान खुद बीजू पौध तैयार कर कलमी पौध तैयार करते हैं तो इस कार्य में उन्हें दो वर्ष का समय लगेगा और तीसरे वर्ष से पौधों की बिक्री होने पर अच्छी आमदनी होगी। उन्होंने कहा कि राज्य में अच्छे फलदार आम पौधों की नर्सरी बहुत कम है। एक बार उत्कृष्ट एवं सही पौधे तैयार कर बिक्री किए जाने के बाद जब नर्सरी स्वामी अपना विश्वास बागवानों के साथ बना लेंगे तो उन्हें पौधों की बिक्री करने में कोई परेशानी नहीं होगी। बहरहाल राज्य में हरियाली बढ़ाने के लिए पर्यावरण एवं वन विभाग भी बड़ी संख्या में पौधों की खरीददारी कर रहे हैं।

नर्सरी प्रबंधन में इन बातों का रखे ख्याल

आम के फलदार पौधों का बीज क्यारियों में उगाकर उसे समुचित पॉलीथिन बैग में पॉटिंग करना। उचित मात्रा में जल प्रबंधन, हो सके तो स्प्रिंकलर या डीप सिंचाई प्रणाली का प्रयोग करें। खरपतवार नियंत्रण के साथ पोषक तत्वों का प्रबंधन, कीट-व्याधियों के साथ साथ प्रतिकूल मौसम से पौधों की सुरक्षा आवश्यक है।

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