भागलपुर में लीची के बागानों का रकबा बढ़ने जा रहा है। नवगछिया अनुमंडल के विभिन्न प्रखंडों से 50 लीची किसानों को लीची बाग प्रबंधन पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण के लिए मुजफ्फरपुर भेजा गया है। इस प्रशिक्षण में किसानों को लीची की खेती के आधुनिक तरीके नए किस्मों पुराने बागों के जीर्णोद्धार और फसल सुरक्षा के बारे में विस्तार से बताया जा रहा है।
जागाण संवाददाता, भागलपुर। भागलपुर में आने वाले समय में लीची बगान का रकवा बढ़ेगा। आत्मा के द्वारा नवगछिया अनुमंडल के विभिन्न प्रखंडों से 50 लीची उत्पादक किसानों को लीची बाग प्रबंधन विषय पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण के लिए राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र मुसहरी, मुजफ्फरपुर भेजा गया है।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में किसानो को संस्थान स्थित लीची के बागों को दिखाया गया। किसानों को बताया गया कि पुराने बागों के जीर्णोद्धार कर नए बागों की तरह फसल उत्पादन प्राप्त किए जा सकते है।
किसानों को लीची के आधुनिक पौधशाला का परिभ्रमण भी कराया गया, जिसमें उन्हे विभिन्न प्रभेद के उन्नत लीची के पौध तैयार करने की जानकारी दी गई।
प्रशिक्षण के क्रम में संस्थान के निदेशक डॉ. विकास दास ने किसानों को बताया कि लीची की उत्पादकता, गुणवत्ता और उपयोगिता बढ़ाने के लिए बुनियादी प्रशिक्षण संस्थान द्वारा प्रदान किया जाता है, ताकि भारत में लीची का रकवा बढ़ाया जा सके।
गुणवत्ता युक्त फल उत्पादन के लिए विशेष उत्पादन प्रणाली तथा पुराने बागों के जीर्णोद्धार की तकनीक विकसित कर ली गई है।
फल वैज्ञानिक डा. सुनील कुमार ने किसानों को लीची के बागों का प्रबंधन, पुराने बागों को जीर्णोद्धार, लीची के नए प्रभेद की जानकारी, बागों में सिंचाई एवं उर्वरक के प्रयोग की तकनीकी जानकारी प्रदान की गई।
कीट विज्ञान के वैज्ञानिक डॉ. इशिता सेमल के द्वारा फसल सुरक्षा अन्तर्गत लीची में लगने वाले प्रमुख कीटों और रोगों की पहचान एवं प्रबंधन तथा वायो जैवनाशक पर चल रहे प्रयोगो की जानकारी दी गई।
किसानों को लीची के प्रसंस्करण कर विभिन्न उत्पाद तैयार करने की तकनीकी जानकारी दी गई। किसानों के साथ प्रखंड तकनीकी प्रबंधक कुमार गौतम, क्युरी कुमारी एवं सहायक तकनीकी प्रबंधक गौरव कुमार ने भाग लिया
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