अब पीला सोना से लाल होंगे कोसी के किसान, कृषि व सूक्ष्म उद्योगों के लिए मिलेगा ऋण
अब किसानों को कृषि व सूक्ष्म उद्योगों के लिए ऋण मिलेगा। मक्कां की खेती के लिए यह सुविधा उपलब्धे करवाई जा रही है। हर वर्ष हजारों हेक्टेयर में मक्का की खेती होती है। मई से सितंबर तक सहरसा से किसानों के मक्का का रैक दूसरे राज्यों में भेजा जाता है।
By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Updated: Tue, 19 Apr 2022 03:34 PM (IST)
कुंदन कुमार, सहरसा। कोसी क्षेत्र में हर वर्ष हजारों हेक्टेयर में मक्का की खेती होती है, परंतु संसाधनों की कमी के कारण इसका लाभ स्थानीय किसान के बदले दूसरे प्रदेश के व्यापारी ले जाते हैं। मई से सितंबर तक अमूमन हर दूसरे दिन सहरसा से प्रमंडल के किसानों के मक्का का रैक दूसरे राज्यों में भेजा जाता है। स्थानीय स्तर पर इतने मक्का की कोई उपयोगिता ही नहीं है। अब भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया राष्ट्रीय ग्रामीण परियोजना मक्का किसानों को काफी लाभांवित करेगा। सरकार गैर कृषि एवं सूक्ष्म उद्यम के लिए समूहों को ऋण देगी। इससे कार्नफ्लैक्स व अन्य मक्का उत्पाद तत्काल शुरू होगा, जिससे मक्का का स्थानीय स्तर पर भी मूल्य मिलेगा। आनेवाले दिनों में अन्य योजना से मक्का प्रसंस्करण का बड़ा यूनिट भी लगने की संभावना है।
तीन वर्ष के लिए सूक्ष्म उद्योग हेतु मिलेगा ब्याज रहित ऋणराष्ट्रीय ग्रामीण जीविका मिशन (एनआरएलएम) द्वारा कोसी क्षेत्र ग्रामीण इलाके में लघु उद्योग स्थापना के लिए बिना ब्याज ऋण देने की रणनीति बनाया गया है। इसके तहत सहरसा जिले में मखाना, कुरकुरे, पापकार्न निर्माण आदि के लिए तीन वर्ष तक के लिए पांच लाख ब्याज रहित ऋण दिया जाएगा। वहीं भारतीय प्रबंधन संस्थान (आइआइएम) कोलकाता की टीम द्वारा इन उद्यमियों को क्षमता वद्र्धन, व्यापारिक परामर्श और विपणन का गुर सिखाया जाएगा। इससे कोसी क्षेत्र की उत्पादित वस्तु देश के विभिन्न बाजार में पहुंचेगा। मक्का आधारित प्रसंस्करण के लिए इसके लिए विशेष योजना बनाई जा रही है। इससे मक्का किसानों को इसका उचित कीमत मिल सकेगा। इससे क्षेत्र की भी उन्नति होगी।
पचास हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि में उपजता है मक्काकृषि विभाग से मिली जानकारीनुसार सहरसा जिले में तीनों सीजन 40 से 50 हजार हेक्टेयर भूमि में मक्का की खेती होती है। दो वर्ष पूर्व सहकारिता विभाग की पहल और दूसरे प्रदेशों में मक्का की बढ़ती मांग के कारण इसकी कीमतों में उछाल आया। व्यापारी रेल व हवाई मार्ग से नेपाल, पंजाब, दिल्ली से लेकर पाकिस्तान और बंगलादेश तक इसे भेजकर मालामाल होते हैं। इसी मक्का से बननेवाले कार्न फ्लैक्स, पापकार्न सहित अन्य उत्पाद दूसरे जगहों से बनाकर काफी महंगी कीमत में बाजार में बेची जा रही है। इंट्रीगेटेड कोआपरेटिव डेवलपमेंट प्रोजेक्ट (आइसीडीपी) योजना से शीघ्र ही यह सारा उत्पाद इस इलाके में भी तैयार होगा। ऐसी संभावना है, इससे इलाके के किसान काफी लाभांवित होंगे।
कोसी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर मक्का उत्पादन होता है। इस देखते हुए आइसीडीपी योजना से प्रसंस्करण उद्योग का प्रस्ताव सरकार को गया है। इस बीच गैर कृषि कार्यों के लिए प्रारंभ की गई भारत सरकार की योजना से इलाके में मक्का की उपयोगिता बढ़ेगी। इससे लोग काफी लाभांवित होंगे। - शिवशंकर कुमार, डीसीओ, सहरसा।
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