पेट में पांच महीने का बच्चा लिए कोरोना से जंग लड़ रही नर्स, कहा- मुसीबत में नहीं छोड़ सकती मैदान
बिहार के भागलपुर में पांच महीने की गर्भवती एक नर्स कोरोना से जंग को ले मैदान में है। मुसीबत की घड़ी में उसे अवकाश पर जाना गवारा नहीं। जानिए इस कोरोना योद्धा की कहानी।
By Amit AlokEdited By: Updated: Sat, 18 Apr 2020 09:02 PM (IST)
भागलपुर, ललन तिवारी। CoronaVirus: ''मन में अजीब सी कशमकश थी। एक तरफ कोख में पांच माह का बच्चा पल रहा था तो दूसरी तरफ कोरोना के खिलाफ जंग (Fight against Corona) चल रही थी। इस जंग को छोडक़र जाने की मैं सोच भी नहीं सकती थी। मैं चाहती थी कि जब भविष्य में कोरोना योद्धाओं (Corona Warriors) की चर्चा हो, तो उसमें मेरा नाम देख कर मेरा होने वाला बच्चा भी गौरवान्वित हो। आखिरकार कोख में पल रही ममता ने कर्तव्य पथ पर चलने की प्रेरणा दी।''
यह कहते हुए पेशे से नर्स शांति कुमारी (Shanti Kumari) भावुक हो जाती हैं। बताती हैं कि परिवार की सुरक्षा व कर्तव्य पथ के बीच की उलझन सुलझाना आसान नहीं था, लेकिन अब कोई कशमकश नहीं। भागलपुर जिला के प्रभाथमिक स्वास्थ्य केंद्र (सबौर) में एएनएम (ऑक्जिलरी नर्सिंग मिडवाइफ) शांति कुमारी अब मरीजों की देखभाल में जुटीं हैं।अवकाश पर नहीं जा मैदान-ए-जंग में डटीं रहीं शांति
शांति की शादी नवंबर में भागलपुर के नाथनगर निवासी शिक्षक निरंजन कुमार के साथ हुई थी। पेट में पांच महीने का बच्चा भी पल रहा है। स्थिति देख वरीय अधिकारी अवकाश पर जाने को कह रहे थे, लेकिन शांति का जज्बा इस कठिन समय में मैदान छोड़ऩे की इजाजत नहीं दे रहा था। परिवार ने भी साथ दिया और शाति कर्तव्य पथ पर डटी रहीं।बोलीं- दुखी लोगों की मदद करने में जीवन की सार्थकता
शांति चार वर्ष से नौकरी कर रहीं हैं। उन्हें दुखी लोगों की मदद करना अच्छा लगता है। जीवन की सार्थकता समझ में आती है। कहती हैं कि कोरोना जैसी महामारी (Epidemic of Corona) के समय उन जैसे लोगों की जरूरत है। हिम्मत और हौसले के साथ कोरोना के प्रति लोगों को जागरूक करने पर कोरोना की हार तय है। वे स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ दिनभर गांव-गांव जाकर लोगों की स्क्रीनिंग करती हैं। साथ ही कोरोना से बचाव को लेकर लोगों को जागरूक करना उनकी दिनचर्या का हिस्सा हो चुका है।
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