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SM College Bhagalpur : पूर्व प्राचार्य प्रो. आरडी सिंह के निधन पर लोगों ने दी श्रद्धांजलि

SM College Bhagalpur साहेबगंज के पटेल नगर स्थित निजी आवास पर प्रो. आरडी सिंह का दिल का दौरा पडऩे से थम गई सांसें। वे एसएम कॉलेज के प्राचार्य थे। उनके निधन पर शिक्षा जगत में शोक की लहर है। उन्‍हें श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लग गया है।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Updated: Mon, 07 Dec 2020 02:55 PM (IST)
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प्रो. राम दयाल सिंह का निधन। फाइल फोटो

भागलपुर, जेएनएन। एसएम कॉलेज के प्रथम पुरुष प्राचार्य रहे प्रो. राम दयाल सिंह का छह दिसंबर 2020 को दिल का दौरा पडऩे से निधन हो गया। उन्होंने 73 वर्ष की उम्र में साहेबगंज के पटेल नगर स्थित आवास में अंतिम सांस ली। उनके निधन की सूचना पर शिक्षा जगत में शोक की लहर दौड़ गई। अचानक निधन की खबर पाकर तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) व अन्य कॉलेजों के शिक्षक व कर्मी उनके आवास पर अंतिम दर्शन को बड़ी संख्या में पहुंचे। 

पीजी शिक्षक प्रो. शरद चंद्र ने बताया कि प्रो. सिंह का जाना शिक्षा जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। उन्होंने बताया कि वे टीएनबी कॉलेज के भूगोल विभाग में विभागाध्यक्ष रहे हैं। इसके अलावा मुरारका कॉलेज, आरएस कॉलेज तारापुर, टीएनबी कॉलेज में भी प्राचार्य के पद पर रह चुके थे। वे अपने पीछे दो पुत्र व एक पुत्री को छोड़ गए। उनके पड़ोसी टीएमबीयू के पूर्व कुलपति प्रो. क्षेमेंद्र सिंह ने कहा कि शोध के क्षेत्र में प्रो. सिंह की उल्लेखनीय उपलब्धि रही है। उन्‍होंने पूरी निष्‍ठा और ईमानदारी के साथ अपने कर्तव्‍य का निर्वहन किया। उनके कार्य करने का तरीका सदैव दूसरों के लिए प्रेरणा का स्‍त्रोत रहेगा। 

प्रो. यूपी सिंह, प्रो. एसएन पांडेय, डॉ. अनिरूद्ध कुमार, डॉ. शिव शंकर, गौरव कुमार आदि ने भी उनके आवास जाकर पार्थिव शरीर पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी है। टीएमबीयू के पीआरओ डॉ. दीपक कुमार दिनकर ने कहा कि प्रो. दयाल के निधन की भरपाई मुश्किल होगी। वे हम सब के अभिभावक थे। 

एसएम कॉलेज के प्राचार्य डॉ. रमन सिन्हा ने कहा कि उनके कार्यकाल में ही मैंने कॉलेज में योगदान दिया था। वे भूगोल के साथ इतिहास में भी काफी रूचि रखते थे। अच्छे प्रशासक के साथ मृदुभाषी व्यक्ति थे। बीएड को एसएम कॉलेज में मान्यता उनके कार्यकाल में ही मिली थी। उन्होंने बताया कि वे कॉलेज में नहीं रहते हुए भी हमेशा जुड़े रहते थे। शिक्षकों से कुशलक्षेम भी समय समय पर पूछा करते थे।