Bihar News: KK Pathak के किस आदेश पर भड़क गए राज्यपाल आर्लेकर? आईना दिखाकर दे डाली ऐसी नसीहत
बिहार के राज्यपाल आर्लेकर ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक को नसीहत दी है। आर्लेकर ने कहा कि हमारे एक शिक्षा के अधिकारी कहते हैं कि प्राइमरी लेवल की शिक्षा में बच्चे स्कूल में नहीं आते हैं। लगातर तीन दिन तक अनुपस्थित रहने वाले लगभग 22.50 लाख बच्चों के नाम काट दिए गए। क्या ऐसा करने से बच्चे स्कूल आने लगेंगे।
संवाद सूत्र, नाथनगर (भागलपुर)। भागलपुर के एसएम कॉलेज के नवनिर्मित परीक्षा भवन में टीएमबीयू की सीनेट की बैठक को संबोधित करते हुए कुलाधिपति विश्वनाथ राजेंद्र आर्लेंकर ने कहा कि हमारे एक शिक्षा के अधिकारी कहते हैं कि प्राइमरी लेवल की शिक्षा में बच्चे स्कूल में नहीं आते हैं। लगातर तीन दिन तक अनुपस्थित रहने वाले लगभग 22.50 लाख बच्चों के नाम काट दिए गए। क्या ऐसा करने से बच्चे स्कूल आने लगेंगे।
आर्लेकर ने पूछा कि यह गर्व की बात है या शर्म की? उन्होंने कहा कि हमें इस बात का कारण ढूंढना चाहिए कि बच्चे क्यों नहीं आते? उनकी समस्या क्या है? उनके घरों की स्थिति क्या है? तब जाकर शिक्षा में सुधार होगा।कुलाधिपति ने नैक मूल्यांकन पर चर्चा करते हुए कहा कि इसके लिए इंफ्रास्ट्रक्चर से ज्यादा जरूरी शिक्षकों और छात्रों के संबंध हैं। बजट के लिए एक बैठक तो होनी ही चाहिए, लेकिन इसके साथ-साथ शैक्षणिक विषय पर भी एक बैठक होनी चाहिए, जिस पर आप विस्तार से चर्चा करना चाहते हैं।
60 साल बाद भी ऐसी स्थिति है तो कैसे आगे बढ़ेंगे?
उन्होंने कहा कि शैक्षणिक मुद्दा ही विश्वविद्यालय को आगे बढ़ा सकता है। हम बड़े गर्व से कहते हैं कि इस विश्वविद्यालय को 62-63 वर्ष हो चुके हैं। यानी हम 60 साल के हो चुके हैं। फिर भी हम इतने मैच्योर नहीं हो पाए।आर्लेकर ने कहा कि हमारे पास इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है, खेल के मैदान ठीक नहीं है, छात्रावास की स्थिति जर्जर है। हमारे एडमिस्ट्रेटिव ब्लॉक ठीक नहीं है। लाइब्रेरी नहीं है। अगर 60 वर्ष के बाद यह स्थिति है कैसे हम आगे बढ़े, इन बातों पर गहनता से विचार करने की जरूरत है।
सीनेट सदस्यों से किया आगे आने का आह्वान
उन्होंने कहा कि अभी जिन विश्वविद्यालयों को पांच-सात वर्ष हुए हैं, वे कितना प्रगति कर रहे हैं। हम क्यों नहीं आगे बढ़ पा रहे हैं। इसके लिए सभी को आगे आना होगा।कुलाधिपति ने सीनेट सदस्यों से कहा कि आप साल में एक बार आते हैं। अगर बैठक दो बार होगी, तो आप दो बार आएंगे, लेकिन क्या आपकी यह जिम्मेवारी है, नहीं। अगर कोई समस्या हो या वह छात्र को हो या कर्मचारी या फिर शिक्षक को। आप तब तक आते रहिए जब तक उनके समस्याओं का समाधान न हो जाए।
कुलपति, कुलसचिव, परीक्षा नियंत्रक से मिलकर विचार-विमर्श करते रहिए। इतने वर्षों में सदस्यों ने जो मुद्दे उठाए, अब तक नहीं हो पाए, लेकिन अब होगा। देर से हो सही दुरुस्त होगा।
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