36 साल से मालखाने में कैद हैं भगवान राधा-कृष्ण, अब रिहाई की जगी आस; SSP ने गठित की टीम
26 अप्रैल 1988 की रात टोडरमल दिलखुश राय धर्मशाला दल्लू बाबू धर्मशाला से चार मूर्तियों की चोरी हुई थी। तब ट्रस्ट से जुड़े वकील मोहरी लाल सिंघानियां ने कोतवाली अंचल के तातारपुर थाने में केस दर्ज कराया था। चोरों की गिरफ्तारी और मूर्तियों की बरामदगी के लिए पुलिस टीम सक्रिय हुई तो 28 सितंबर 1988 को छत्रपति पोखर से मूर्तियां बरामद कर ली गई।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। तातारपुर थानाक्षेत्र के लहेरी टोला स्थित टोडरमल दिलखुश राय दल्लू बाबू धर्मशाला में स्थापित भगवान राधा-कृष्ण और सत्यनारायण की चोरी की गई चार मूर्तियों की रिहाई की आस 36 साल बाद जग गई है।
न्यायालय के कड़े रुख बाद एसएसपी आनंद कुमार ने प्रकरण की अद्यतन जानकारी के लिए एक टीम गठित कर दी है। टीम में कोतवाली इंस्पेक्टर थानाध्यक्ष, तातारपुर इंस्पेक्टर थानाध्यक्ष के अलावा अभियोजन कोषांग की टीम को भी शामिल किया है।
टीम में शामिल पदाधिकारी मालखाने की चाबी, मालखाना का प्रभार किन-किन पुलिस पदाधिकारियों के जिम्मे रहा और मूर्तियों के संबंध में अद्यतन जानकारी पता कर 30 मई 2024 तक रिपोर्ट देंगे। उक्त केस में अधिवक्ता संदीप कुमार झा की गुहार पर प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी राहुल दत्ता ने केस की सुनवाई के दौरान अभियोजन कोषांग से जुड़े पुलिस पदाधिकारी को तलब कर मामले में शिथिल रवैये पर फटकार लगाई है।
पूर्व की सुनवाई में न्यायालय ने मालखाने की चाबी के साथ सहायक अवर निरीक्षक को न्यायालय में उपस्थित कराने। चाबी रखने वाले सहायक अवर निरीक्षक को सदेह उपस्थित कराने को कहा था।तब यह जानकारी न्यायालय को दी गई थी कि बरामद हुई चारों मूर्तियां कोतवाली पुलिस ने 14 जनवरी 1993 में जिला अभियोजन कार्यालय स्थित मालखाने में जमा करा दिया था जो डीएम के अधीन होती है। इसलिए न्यायालय ने पूर्व में 16 सितंबर 2023 को डीएम से भी रिपोर्ट मांग ली थी। न्यायालय में इस मामले में हुई सुनवाई बाद भगवान की मूर्तियों के मुक्ति की आस जग गई है।
चोर हो गए रिहा, पुलिस की फाइल हुई बंद पर अब भी कैद में हैं भगवान
26 अप्रैल 1988 की रात टोडरमल दिलखुश राय धर्मशाला दल्लू बाबू धर्मशाला से चार मूर्तियों की चोरी हुई थी। तब ट्रस्ट से जुड़े वकील मोहरी लाल सिंघानियां ने कोतवाली अंचल के तातारपुर थाने में केस दर्ज कराया था। चोरों की गिरफ्तारी और मूर्तियों की बरामदगी के लिए पुलिस टीम सक्रिय हुई तो 28 सितंबर 1988 को छत्रपति पोखर से मूर्तियां बरामद कर ली गई।
पुलिस ने तब राजू पासवान, महेश झा, बबलू मंडल और आनंदी गोस्वामी को गिरफ्तार करने में भी सफल रही थी। बरामद मूर्तियों की ट्रस्ट से जुड़े पदाधिकारियों ने पहचान भी कर ली। मूर्तियों के तल में धर्मशाला का नाम खुदा हुआ था। चारों आरोपितों पर केस का ट्रायल चला। उस दौरान आरोपित आनंदी गोस्वामी फरार घोषित कर दिया गया था।
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