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How to Do Beekeeping : अब शहद के साथ निकलेगा मधुमक्खी का डंक, बनेंगी दवाएं, कैप्सूल से कई बीमारियों का होगा इलाज

मधुमक्खी पालक तैयार करेंगे रायल जेली व पर पालिश। कौशल संवद्र्धन का दिलाया जा रहा प्रशिक्षण लौटकर बताएंगे गुर। रायल जेली से तैयार कैप्सूल कई प्रकार के रोगों के निवारण में होता है सहायक। रायल जेली में अमीनो एसिड प्रोटीन जल शर्करा व फैट रहता है प्रचुर मात्रा में।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Updated: Sun, 27 Feb 2022 05:01 PM (IST)
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13 प्रशिक्षकों को प्रशिक्षण के लिए भेजा गया महाराष्ट्र।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। मधुमक्खी पालक अब शहद के साथ मधुमक्खी का डंक भी निकालेंगे। इसका इस्तेमाल कई प्रकार की दवाओं के निर्माण में होगा। साथ ही रायल जेली व पर पालिश भी तैयार करेंगे। इसकी मांग व कीमत काफी अधिक है।

इसे निकालने की विधि जानने के लिए 13 प्रशिक्षक पुणे में प्रशिक्षण ले रहे हैं। दल का नेतृत्व कर रहे राज्य प्रशिक्षक संजय कुमार चौधरी ने बताया कि अभी तक जिले के मधुमक्खी पालक सिर्फ शहद तैयार कर रहे थे। अब रायल जेली भी निकालेंगे। इसके लिए थोड़ी मेहनत करनी पड़ेगी। एक ग्राम रायल जेली की कीमत दस हजार है। रायल जेली से कैप्सूल तैयार होता है, जो काफी स्वास्थ्यवद्र्धक होता है। इसका उपयोग कई प्रकार की बीमारियों के इलाज में भी किया जाता है। इसमें अमीनो एसिड, प्रोटीन, जल, शर्करा व फैट मौजूद होते हैं। इसको निकालने के लिए सबसे पहले बक्शा से रानी मधुमक्खी को निकालना होता है। रायल जेली रानी मधुमक्खी का आहार होता है। इसे छोटे से चूटे से निकाला जा सकेगा।

पर पालिश का इस्तेमाल दवा बनाने में

मधुमक्खी अपनी सुरक्षा के लिए पर पालिश का इस्तेमाल करती है। गर्मी, ठंडी व बारिश से बचने के लिए मधुमक्खी पेड़ से निकलने वाले लट्ठे को लाकर छिद्र को बंद करती है। इसे पर पालिश कहते हैं। जानकारी के अभाव में मधुमक्खी पालक इसका इस्तेमाल नहीं करते थे। यह यूं ही बर्बाद हो जाता था। पर किसान अब पर पालिश निकालेंगे और उसे ऊंची कीमत पर बेचेंगे। इसकी मांग बाजार में काफी अधिक है।

13 प्रशिक्षक पुणे में ले रहे प्रशिक्षण

जिले में मधुमक्खी पालन का विस्तार होगा। इसे लेकर पूरे बिहार से 13 प्रशिक्षकों के दल को प्रशिक्षण के लिए केंद्रीय मधुमक्खी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान पुणे महाराष्ट्र भेजा गया है। टीम को पटना से हवाई जहाज से पुणे भेजा गया है। मधुमक्खी पालकों के कौशल संवद्र्धन के लिए विशेष प्रशिक्षण दिलाया जा रहा है।

मधुमक्खी पालन में महिलाएं आई आगे

मधुमक्खी पालन में महिलाएं आगे आ रहीं हैं। उद्यान विभाग अभी तक 142 जीविका दीदियों का मधुमक्खी पालन के लिए बक्सा उपलब्ध करा चुका है। कई और जीविका दीदियों को बक्सा उपलब्ध कराया जाना है।

मधुमक्खी पालन करने वाले किसानों को महाराष्ट्र भेजा गया है। वहां वे मधुमक्खी पालन से संबंधित नई तकनीक सीख रहे हैं। लौटने के बाद स्थानीय लोगों को प्रशिक्षण देंगे। - प्रभात कुमार सिंह, उप परियोजना निदेशक, आत्मा

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