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Champions of Change हैं IAS राहुल कुमार, पूर्णिया में रंग ला रहा उनका किताब दान अभियान, 10 साल में पेश की कई नजीर

नीति आयोग IAS राहुल कुमार को Champions of Change आवार्ड से पहले ही सम्मानित कर चुका है। जिसे वे आज भी बरकरार रखे हुए हैं। पूर्णिया में उनका किताब दान अभियान हो या आम लोगों की तरह रहने की शैली अपनी युवा सोच से वे नजीर पेश कर रहे हैं।

By Shivam BajpaiEdited By: Updated: Wed, 22 Sep 2021 02:15 PM (IST)
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पढे Champions of Change IAS राहुल कुमार के बारे में।
जारगण संवाददाता, पूर्णिया। Champions of Change पूर्णिया डीएम राहुल कुमार के किताब दान अभियान का लोगों पर बहुत सकारात्मक प्रभाव दिखाई दे रहा है। अब आम लोग आगे बढ़कर IAS राहुल कुमार के इस अभियान में जोर शोर से भाग ले रहे हैं। मंगलवार को जिले के मासूम सक्षम राज ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 10 वें जन्मदिन पर जिलाधिकारी राहुल कुमार से मिलने जा पहुंचा। डीएम आफिस पहुंच सक्षम ने 151 पुस्तकें अभियान के तहत दान दीं। इसपर जिलाधिकारी ने प्रसन्नता व्यक्त की और सक्षम को उसके बर्थ डे पर बधाई दी।

'ताकि सब पढ़ें-सब बढ़ें'

सक्षम राज के पिता व समाजसेवी रविंद्र कुमार ने कहा कि पूर्णिया जिलाधिकारी का अभियान किताब दान अभियान बहुत महत्वपूर्ण कार्यक्रम है। इससे उन सभी लोगों को लाभ मिल सकेगा जो अपनी जरूरत के लिए भी किताब नहीं खरीद सकते। जिलाधिकारी द्वारा शुरू किया गया अभियान किताब दान एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है. जिसमें सभी लोगों को भाग लेना चाहिए ताकि जरूरतमंदों को इसका लाभ मिल सके।

(सक्षम ने डीएम को दी किताबें) 

चर्चा में डीएम का किताब दान अभियान

पूर्णिया के कलेक्टर राहुल कुमार का किताब दान अभियान इन दिनों चर्चा में है। और चर्चा हो भी क्यों ने। कर्ण की धरती बिहार में राहुल कुमार किताबों के कर्ण बनते जा रहे हैं। आईएएस राहुल कुमार युवा अधिकारी हैं और युवाओं वाली सोच रखते हैं। उनके इस अभियान में अब तक 1.26 हजार किताबें दान में मिलीं हैं। यही नहीं इन किताबों से जिले की पंचायत में 230 पुस्तकालय खोले जा चुके हैं। आम से लेकर खास तक सभी उनके इस अभियान की सराहना कर रहे हैं। यहां ये भी बता दें कि डीएम ने ये मुहिम जनवरी 2020 में शुरू की थी।

(पूर्व सीएम भोला बाबू को माल्यार्पण करते पूर्णिया डीएम)

आईएएस राहुल कुमार के बारे में

  • आईएएस राहुल कुमार पूर्वी चंपारण के घोड़ासन के रहने वाले हैं।
  • 1987 में एक मध्यमवर्गीय परिवार में राहुल का जन्म हुआ।
  • पिता शिक्षक और मां गृहणी है।
  • राहुल ने हिंदी साहित्य में स्नाकोत्तर की पढ़ाई की।
  • यही नहीं, उन्होंने अमेरिका के जान हापकिंस यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ से लीडरशिप प्रोग्राम की पढ़ाई भी की है।
  • राहुल ने 2010 में यूपीएससी की परीक्षा दी।
  • इस एग्जाम में उनका चयन आईपीएस में हुआ।
  • मन में निर्धारित आईएएस के लक्ष्य को भेदने के लिए राहुल ने अगली बार फिर परीक्षा दी और वर्ष 2011 में आईएएस बनने में कामयाब हुए।
  • इसके बाद वे पटना के दानापुर के एसडीएम बनाए गए।
  • राहुल हेल्थ डिपार्टमेंट में एसएचएस का एडिशनल एक्सक्यूटिव डायरेक्टर और साथ ही बिहार स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर के पद पर भी तैनात रहे।
  • इसके बाद 2015 में राहुल कुमार को गोपालगंज का डीएम बनाया गया।
  • इसके बाद वे बेगूसराय के डीएम बनाए गए और 2019 को पूर्णिया की कमान सौंपी गई।
जब तोड़ दी अंधविश्वास की बेडियां

डीएम राहुल कुमार नए दौर के वो आईएस अधिकारी हैं, जो नई सोच भी रखते हैं और लोगों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। बतौर गोपालगंज डीएम रहते हुए राहुल ने डायन बिसाही जैसे अंधविश्वास पर रोकथाम हेतु जो कदम उठाया, उसके लिए वे सुर्खियों में रहे। दरअसल, यहां एक स्कूल में स्थानीय दबंगों द्वारा एक महिला पर डायन का आरोप लगाया गया। ये बात जब डीएम के कानों तक पहुंची, तो वे स्कूल जा पहुंचे और मिड डे मील बनाने वाली उसी महिला के हाथों का बना खा सबकी बोलती बंद कर दी।

(युवा सोच- आईएएस राहुल कुमार)

वे आम इंसान की तरह व्यवहार करते भी नजर आते हैं। वोट डालने के लिए लाइन में लगना हो या ओडीएफ के लिए जनजागरूकता। राहुल ने नजीर पेश की है। ‘सैनिटेशन हीरो’ ये नाम उन्हें गोपालगंज से ही मिला। जब यहां उन्होंने खुले में शौच मुक्त अभियान में तेजी लाते हुए ओडीएफ में अहम किरदार निभाया।

'चैंपियन आफ चेंज (Champions of Change)'

बतौर बेगूसराय डीएम रहते हुए राहुल कुमार को नीति आयोग की ओर से ‘चैंपियन ऑफ चेंज’ अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है। वर्ष 2017, 2018 और 2019 में कदाचार मुक्त परीक्षा कराने के लिए उन्हों सीएम नीतीश ने सम्मानित किया। 2018 में 100 फीसदी विद्युतीकरण के लिए उन्हें विशेष तौर पर सम्मानित किया गया। 2018 में कौशल विकास के लिए राज्यपाल ने राहुल को सम्मानित किया।

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