'उसने गलती की तो जेल में है, लेकिन मेरा क्या', प्रेम में धोखा मिला, बिन ब्याही मां बनी तो समाज ने दुत्कारा
भागलपुर के घोघा क्षेत्र के एक गांव में एक युवती को गांव के ही एक युवक ने अपने प्रेमजाल में फंसाया। मंदिर में शादी की। साल भर दोनों किराये के मकान में पति-पत्नी की तरह रहे लेकिन जब युवती गर्भवती हो गई तो प्रेमी ने उसे अपनाने से साफ इनकार कर दिया। आरोपी जेल में है लेकिन पीड़िता से अपनों ने भी मुंह फेर लिया है।
By Jagran NewsEdited By: Deepti MishraUpdated: Mon, 26 Jun 2023 02:28 PM (IST)
संवाद सूत्र, भागलपुर: 'जाने वो कौन-से लोग थे, जिनके प्यार को प्यार मिला...'' प्यासा फिल्म का यह गीत आज भागलपुर की एक महिला की आपबीती को बयां करता नजर आ रहा है। यहां प्रेम में धोखे की शिकार हुई एक बिन ब्याही लड़की मां बन गई। अक्सर ऐसे मामलों में सामाजिक लोकलाज के भय से नवजात को मां खुद या उसके परिवार वाले कहीं दूर झाड़ी के पीछे, कूड़े के ढेर या फिर किसी नाले में फेंक देते हैं, लेकिन घोघा क्षेत्र के एक गांव में युवती ने सामाजिक लोकलाज को परे रख अपनी बच्ची को सीने से लगाया, लेकिन उसे फैसले ने पीड़िता की जिंदगी को नर्क बना दिया।
आरोपी प्रेमी ने युवती को प्रेमजाल में फंसाया और फिर गर्भवती होने पर अपनाने से साफ इनकार कर दिया। हालांकि, कानून ने इसकी सजा के तौर पर आरोपी को जेल में डाल में दिया है, लेकिन पीड़िता से घर-परिवार और गांववालों ने मुंह फेर लिया है। न उससे कोई प्यार से बात करता है और न बच्ची को लाड लड़ाता है। ऐसे में पीड़िता और बच्ची की आंखों में यह सवाल साफ पढ़ा जा सकता है कि इस सब में उन दोनों का कसूर क्या है?
पति की तरह रहा, लेकिन पिता नहीं बना
पीड़ित युवती को अपने ही गांव के एक युवक से प्रेम कर बैठती है। पीड़िता के बताती है, ''हम दोनों ने साल 2019 में घोघा बाजार सरस्वती मंदिर में शादी भी की थी। एक साल तक घरवालों से छिपकर किराये के मकान में पति-पत्नी की तरह रहे। सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन जब मैं गर्भवती हो गई तो प्रेमी ने मुझे अपनाने से साफ इनकार कर दिया। मैं उसके सामने रोई-गिड़गिड़ाई पर उसने एक नहीं सुनी।''पीड़िता के मुताबिक, ''इसके बाद उसने कानून का सहारा लिया। प्रेमी के खिलाफ लिखित शिकायत की। उस वक्त आरोपी प्रेमी ने जेल जाना चुना, लेकिन मुझे अपनाना नहीं, जबकि कानून ने उसे दोनों विकल्प मिले थे। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए यौन शोषण के आरोप में आरोपी प्रेमी को जेल भेज दिया। प्रेमी के जेल जाने के तीन महीने बाद मैंने एक बच्ची को जन्म दिया।''
अपनों ने भी फेर लिया मुंह
युवती कहती है, ''उस पर दबाव बनाया गया कि वह बच्ची को कहीं छोड़कर आ जाए, किसी को दे दे, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। इसी का परिणाम है कि आज समाज में वह उपहास की पात्र बन गई है। मदद तो दूर लोग उससे बात तक नहीं करते हैं और न ही अपने घर की बहू-बेटियों को बात करने देते हैं।''पीड़िता अपनी आपबीती सुनाते हुए पूछती है कि उसके प्रेमी ने जो गलत किया। उसके लिए वह सजा भुगत रहा है। जेल काट रहा है, लेकिन उसके और उसकी बच्ची के साथ जो रहा है, उन दोनों को इंसाफ किस अदालत में मिलेगा? आखिर उसकी और उसकी बच्ची का कसूर क्या है?
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