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गरुड़ पर रहेगी सेटेलाइट की नजर, पुनर्वास के लिए 53.13 लाख स्वीकृत

भागलपुर में गरुड़ की संख्‍या तेजी से बढ़ रही है। गरुड़ पर्यावरण के लिए काफी लाभकारी होता है। इस कारण गुरुड़ की सुरक्षा के लिए राज्‍य सरकार लाखों रुपये आवंटित किए हैं।

By Dilip ShuklaEdited By: Updated: Sun, 30 Aug 2020 02:30 PM (IST)
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गरुड़ पर रहेगी सेटेलाइट की नजर, पुनर्वास के लिए 53.13 लाख स्वीकृत
भागलपुर, जेएनएन। कदवा दियारा में गरुड़ की सुरक्षा एवं संरक्षा के लिए राज्य सरकार ने 53.13 लाख रुपये स्वीकृत किए हैं। पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के संयुक्त सचिव सुबोध कुमार चौधरी ने इस संबंध में डीएम को पत्र लिखा है। एक ओर जहां कंबोडिया और असम में दुर्लभ बड़े गरुड़ की संख्या कम हो रही है, वहीं भागलपुर में इसकी संख्या तेजी से बढ़ रही है।

स्टॉर्क प्रजाति की पक्षियों को भागलपुर की आवोहवा पसंद आ गई है। दुर्लभ बड़ा गरुड़, छोटा गरुड़, लोहा सारंग के बाद अब जांघिल और घोंघिल पक्षियों ने भी इस क्षेत्र में अपना बसेरा बना लिया है। इसको देखते हुए सरकार ने गंभीरता दिखाते हुए राशि स्वीकृत की है। जो राशि स्वीकृत की गई है, उससे जो काम होना है उसका भी ब्योरा दिया गया है। इस राशि से सेटेलाइट जीपीएस, स्टील और वीडियो कैमरा की खरीद होगी तो जीपीएस रिसीवर और दूरबीन की भी खरीद होगी। पेड़ के नीचे सुरक्षा जाल लगाया जाएगा और ग्रामीणों के बीच जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।

2006 में दुर्लभ गरुड़ ने डाला था डेरा

कंबोडिया और असम के बाद दुर्लभ बड़ा गरुड़ ने 2006 में कोसी कदवा दियारा को अपना प्रजनन केंद्र बनाया। उस समय मात्र 15 से 16 ही घोंसले थे। अभी इसकी आबादी 14 सौ से 15 सौ तक पहुंच गई है। जहां एक ओर कंबोडिया में इसकी संख्या घटकर सौ से डेढ़ सौ और असम में पांच सौ से छह सौ रह गई है, वहीं कदवा में इसकी संख्या लगातार बढ़ रही है।

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