बायोटेक परियोजना के तहत मशरूम उत्पाद से लेकर बकरी पालन तक कर रहे किसान, बिहार के इन छह जिलों में हो रहा संचालन
बायोटेक परियोजना के तहत किसान मशरूम उत्पाद से लेकर मधुमक्खी पालन तक कर रहे हैं। इससे उनकी आमदनी बढ़ रही है। इसके लिए बिहार कृषि विवि की ओर से हर तरह की मदद उपलब्ध कराई जा रही है। बिहार के इन छह जिलों में...
संवाद सहयोगी,भागलपुर। बिहार कृषि विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशालय के माध्यम से राज्य के छह आकांक्षी जिलों में कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से बायोटेक किसान योजना बीते तीन वर्षों से सफलतापूर्वक संचालित किया जा रहा है। लगातार किसानों को मखाना, केला, मशरूम उत्पादन एवं मधुमक्खी और बकरी पालन की तकनीकी जानकारी दे रहे हैं।
कोरोना के संकट काल में घर लौटे प्रवासी महिला पुरुष मजदूरों को भी इसमें जोड़ा गया है। इस कार्य में आ रही परेशानी को एक-एक कर विज्ञानी दूर कर रहे हैं। उनके उत्पाद को बेचने के लिए उन्हें बाजार से भी जोड़ा जा रहा है। यूं कहें कि इस योजना ने छह जिलों पूर्णिया, कटिहार, खगडिय़ा, बांका, अररिया और औरंगाबाद के किसानों एवं प्रवासी मजदूरों को जीविकोपार्जन का नया आधार दिया है।
किसानी के प्रति उनकी सोच और नजर बदलने से खेतों के भी नजारे बदलने लगे हैं। खेती के प्रति लगाव और उनकी आमदनी बढऩे से अब उक्त जिले के किसानों का जीवन स्तर भी उन्नत हुआ है।
योजना के चेयरमैन डा. एचएस गुप्ता और सलाहकार कंसलटेंट डा. मो. असलम ने आनलाइन समीक्षा के माध्यम से इस योजना पर काम कर रहे बिहार कृषि विश्वविद्यालय के कार्यों की सराहना की है। विश्वविद्यालय की ओर से बैठक में जुड़े बीएयू के निदेशक प्रसार शिक्षा सह बायोटेक किसान योजना के फैसिलिटेटर डा. आरके सोहाने ने बताया कि उक्त छह आकांक्षी जिलों में कार्यक्रम की सफलता के लिए वैज्ञानिक अपना अधिकतम समय किसानों के बीच खेतों पर बिता रहे हैं।
उनकी समस्याओं के समाधान में लगे हुए हैं ताकि खेती या अन्य कारोबार लाभकारी हो सके । किसानों के संवर्धन के लिए प्रशिक्षण सत्र और जागरूकता कार्यशालाएं भी आयोजित किए जा रहे हैं।
वही प्रोजेक्ट के प्रधान अन्वेषक डा. सीके पांडा ने कहा कि उक्त जिलों में मुख्य रूप से मशरूम उत्पादन, वैज्ञानिक तरीके से बकरी पालन और सबौर मखाना एक की खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रत्यक्षण,जी नाइन केले की खेती और मधुमक्खी पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है।
जिसके अच्छे परिणाम सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि विगत तीन सालों के दौरान 75 हेक्टेयर में मखाना का प्रत्यक्षण किया गया है। इससे किसानों को औसतन कुल लाभ प्रति हेक्टेयर से दो लाख 63 हजार हुआ है। इसी तरह टिशु कल्चर केले की खेती भी लाभकारी साबित हुआ है। बता दें कि बायोटिक किसान योजना का संचालन भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय बायोटेक्नोलाजी विभाग द्वारा किया जा रहा है।