भारतीय रेल : नहीं बिखेरा कूड़ा, अभियंताओं ने बनाया उपकरण, कोच टू कोच होगी सफाई, जानिए इसकी खासियत
भारतीय रेल गार्वेज मशीन को बनाने में 12 हजार रुपये खर्च आया है। कैरेज एंड वैगन विभाग के अभियंताओं ने मशीन को तैयार करने में छह दिन ही लगे। रेलवे के कैरेज एंड वैगन विभाग ने बनाया गार्वेज मशीन। मालदा मंडल का दूसरा उपकरण जंक्शन पर किया गया तैयार।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। ट्रेन कोच की साफ-सफाई पहले से और बेहतर होगी। कोच में कूड़े का बिखराव नहीं दिखेगा। सफाई कर्मियों को कूड़े हाथ से उठाकर कूड़ेदान में रखना नहीं पड़ेगा। अब कूड़ा उठाने के लिए मशीन का इस्तेमाल किया जाएगा। भागलपुर कैरेज एंड वैगन के अभियंताओं ने एक मशीन तैयार किया है। इस मशीन की खासियत यह है कि इसमें कूड़ा बिना हाथ से उठाए ही मशीन में लगी बॉक्स में जमा हो जाएगा। बिखरे कूड़े को उठाने के लिए मशीन को कोच टू कोच ले जाया जाएगा।
12 हजार की खर्च, छह दिनों में हुआ तैयार
गार्वेज मशीन को बनाने में महज 12 हजार रुपये खर्च आया है। कैरेज एंड वैगन विभाग के अभियंताओं ने मशीन को तैयार करने में छह दिन ही लगे। मशीन के आने से सफाई कर्मियों को भी काफी सहूलियत हो रही है। इससे कोच की सफाई करने में भी समय काफी कम लग रहा है। इसमें चार पहिए लगाए गए हैं, इससे एक से दूसरे कोच तक ले जाने में काफी सहूलियत होती है।
मालदा मंडल के बाद भागलपुर में बनाया
सबसे पहले गार्वेज मशीन को मालदा मंडल मुख्यालय यार्ड के कैरेज एंड वैगन विभाग ने बनाय था। इसके बाद भागलपुर कैरेज एंड वैगन की टीम ने इसे बनाया। सफाई के लिए बेहतर उपकरण की डिमांड अब दूसरों जगहों से भी होने लगी है। भागलपुर कैरेजे एंड वैगन विभाग ने इससे पहले कोरोना काल की शुरुआत में कर्मियों के लिए पैंडल वेसिन भी बनाया था। बिना हाथ लगाए लोग हैंड वॉश का इस्तेमाल करते हैं।
अबतक मैनुअल तरीके से होता था उठाव
मशीन नहीं बनने से पहले कोच से कूड़े का उठाव अबतक मैनुअल तरीके से होता था। कोच में झाड़ू लगाने के बाद सफाई कर्मी उसे उठाकर कूड़ेदान में डालते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। सीधे कोच से कूड़े गार्वेज उपकरण में चली जाएगी।