भागलपुर में इन्फलूएंजा जांच की सुविधा नहीं, अंदाजे से होता है इलाज; सरकारी अस्पतालों में वैक्सीन तक उपलब्ध नहीं
Bhagalpur News पूर्व बिहार में सरकारी अस्पतालों समेत निजी अस्पताल में भी इन्फलूएंजा जांच की सुविधा उपलब्ध नहीं है। चिकित्सक लक्षण के आधार पर इस बीमारी का इलाज करने की कोशिश करते हैं। दुखद यह कि यहां के सरकारी अस्पतालों में इस रोग से बचाव की वैक्सीन तक नहीं दी जाती है। अमाल्टा के प्रशांत कुमार सिंह ने बताया कि इन्फलूएंजा जांच काफी महंगा होता है।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। पूर्व बिहार के सबसे बड़े जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) समेत जिले के किसी निजी अस्पताल में भी इन्फलूएंजा जांच की सुविधा उपलब्ध नहीं है।
चिकित्सक लक्षण के आधार पर इस बीमारी का इलाज करने की कोशिश करते हैं। ऐसे में खुदा-न-खास्ता अगर किसी की हालत बिगड़ गई और डाक्टर को लगता है कि उसे इन्फलूएंजा ही है तो सैंपल जांच के लिए पटना भेजना पड़ता है। रिपोर्ट आते-आते मरीज की हालत काफी बिगड़ चुकी होती है।
दुखद यह कि यहां के सरकारी अस्पतालों में इस रोग से बचाव की वैक्सीन तक नहीं दी जाती है। ऐसे में अगर कोई गरीब-गुरबा इस बीमारी की चपेट में आ गया तो उसकी जान पर बन आती है। निजी अस्पतालों में इसके टीके हैं पर वे उसकी मनमानी कीमत वसूलते हैं।
किसी से 700-800 तो किसी से उससे भी अधिक रुपये लिए जाते हैं। जानलेवा रोग होने के बाद भी इसकी वैक्सीन को राष्ट्रीय टीकाकरण सूची में शामिल तक नहीं किया गया है। वैसे कुछ चिकित्सकों का कहना है कि इन्फलूएंजा के लक्षण प्रतीत होने पर वे लोग रोटा वैक्सीन देते हैं। इससे इन्फलूएंजा से भी बचाव होता जाता है।
क्या कहते हैं चिकित्सक
जेएलएनएमसीएच के पीजी शिशु रोग विभाग के चिकित्सक डा. राकेश कुमार ने बताया कि अस्पताल में इस रोग की जांच नहीं होती है। हमारे यहां इस बीमारी से पीड़ित बच्चों का इलाज तो होता है पर जांच नहीं होने के कारण हम यह कहने की स्थिति में नहीं होते कि यहां कितने इन्फलूएंजा पीड़ित हैं।
दाम ज्यादा मरीज कम
अमाल्टा के प्रशांत कुमार सिंह ने बताया कि इन्फलूएंजा जांच काफी महंगा होता है। किट बाहर से मंगाया जाता है। इस रोग की चपेट में बहुत बच्चे आते हैं। इस वजह से अधिकांश निजी लैब में भी इसकी जांच नहीं होती है। उन्होंने बताया कि निजी हास्पीटलों व नर्सिंग होम में इन्फलूएंजा की वैक्सीन उपलब्ध है। इसकी कीमत सात से आठ सौ रुपये है।
सरकारी एवं निजी अस्पतालों में इन्फलूएंजा जांच की सुविधा नहीं है। ऐसे में अगर किसी मरीज की जांच जरूरी होती है तो सैंपल पटना भेजा जाता है। हालांकि हमलोग लक्षण के आधार पर ऐसे मरीजों को ठीक करने में पूरी तरह से सफल होते हैं। - डा. आरके सिन्हा, पूर्व एचओडी, पीजी शिशु रोग विभाग
राष्ट्रीय टीकाकरण सूची में इन्फलूएंजा से बचाव की वैक्सीन शामिल नहीं है। इसलिए इसे बच्चों को नहीं दिया जाता। नियमित टीकाकरण में जितनी वैक्सीन बच्चों को दी जाती है उससे इन्फलूएंजा से भी बचाव होता है। - डा. मनोज कुमार चौधरी, जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी
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