काली पहाड़ी : बिहार के इस स्थल पर पर्यटन की अपार संभावनाएं, राजगृह की तरह हो सकता है विकसित
काली पहाड़ी प्रकृति की गोद में बसा है मुंगेर जमालपुर का काली पहाड़ी। सरकार की नजर गई तो राजगृह की तरह हो सकता है विकसित। कई जिलों से यहां पहुंचते हैं लोग यमला काली मंदिर का विशेष स्थान।
By JagranEdited By: Dilip Kumar shuklaUpdated: Mon, 26 Sep 2022 02:51 PM (IST)
राज सिन्हा, जमालपुर (मुंगेर)। मुंगेर जिले में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। प्रकृति की गोद में बसे जमालपुर में काली पहाड़ी पर सरकार की नजर अगर जाए तो राजगृह की तरह यह भी पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित हो सकता है। मां यमला काली का मंदिर पहाड़ी पर है। यह मंदिर महाभारतकालीन है। दूसरे जिलों से भी लोग यहां पहुंचते हैं। पौराणिक कथाओं में मां यमला काली मंदिर का वर्णन है। भीम यहां पूजा करते थे। पहाड़ की ऊंचाइयों पर स्थित मंदिर लोगों के आस्था का केंद्र है।
पहाड़ के नीचे तालाब में नौकायान शुरू कर इसे पर्यटन के रूप में विकसित किया जा सकता है। पर्यटक क्षेत्र के रूप में विकसित होने पर हर वर्ष सैलानियों की भीड़ होगी। रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। राजस्व भी बढ़ेगा। काली पहाड़ी पर प्रतिदिन मां यमला काली के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं। मंगलवार और शनिवार को विशेष रूप से भीड़ रहती है। दरअसल, काली पहाड़ी की चोटी पर महाभारत कालीन माता यमला काली का मंदिर है। किंबदंतियों के अनुसार माता यमला काली मंदिर की स्थापना महाभारत कालीन पांडू पुत्र अर्जुन ने की थी। पांचों भाई अज्ञातवास के दौरान द्रौपदी के साथ माता यमला काली की पूजा अर्चना करने की थी। बताया जाता है कि महाभारत कालीन से ही माता यमला काली मंदिर में नियमित रूप से पूजा अर्चना की जाती रही है।
सरकार खजाने का बढ़ेगा राजस्व
पौराणिक कथाओं में मां यमला काली मंदिर का वर्णन है। भीम यहां पूजा करते थे। पहाड़ की ऊंचाइयों पर स्थित मंदिर लोगों के आस्था का केंद्र है। पहाड़ के नीचे तालाब में नौकायान शुरू कर इसे पर्यटन के रूप में विकसित किया जा सकता है। पर्यटक क्षेत्र के रूप में विकसित होने पर हर वर्ष सैलानियों की भीड़ होगी। रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। राजस्व भी बढ़ेगा। काली पहाड़ी पर प्रतिदिन मां यमला काली के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं। मंगलवार और शनिवार को विशेष रूप से भीड़ रहती है।
कई महत्वपूर्ण इतिहास भी जुड़ा हैवर्ष 1862 में यहां रेल इंजन कारखाने की स्थापना हुई थी। अंग्रेजों ने कारखाना और कारखाने में काम करने वाले अधिकारियों एवं कर्मचारियों की जरूरतों को पूरा करने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया था इसी क्रम में काली पहाड़ी से सटे फिल्टर पहाड़ पर वाटर फिल्टर प्लांट की स्थापना की गई थी। हाल के दिनों में फिल्टर प्लांट तक आम लोगों के जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, फिर भी आसपास के क्षेत्रों की प्राकृतिक छटा सैलानियों को आकर्षित करता है।
पर्यटक क्षेत्र के लिए कवायद चल रही है। विभाग और वरीय अधिकारी के निर्देश के बाद आगे काम बढ़ेगा। अमीन, वन विभाग और रेलवे की ओर से जमीन की मापी कराई गई है। -जयप्रकाश, अंचलाधिकारी, जमालपुर।
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