काली पूजा 2022 : कहीं खुले आसमान तो कहीं सोने के जेवर से लदी रहेंगी मां काली, भागलपुर 110 प्रतिमाएं
काली पूजा 2022 भागलपुर में काफी व्यापक तरीके से काली पूजा मनाई जाती है। यहां काली पूजा के दौरान काफी संख्या में लोग बाहर से भी आते हैं। शहर में कहीं खुले आसमान के नीचे तो कहीं सोने के जेवर से लदी होतीं मां काली।
By Jagran NewsEdited By: Dilip Kumar shuklaUpdated: Fri, 21 Oct 2022 05:18 PM (IST)
संवाद सहयोगी, भागलपुर। काली पूजा 2022 : काली पूजा की तैयारी भव्य तरीके से किया जा रहा है। शहर में इस बार 110 प्रतिमा स्थापित होगी जबकि 80 प्रतिमा विसर्जन यात्रा में सामिल होगी। कोरोना काल के दो वर्ष बाद इसबार काली पूजा में काफी भव्य आयोजन किया जा रहा है। श्रद्धा और उत्साह से शहर के सभी लोग लगे हैं। वहीं बाजारों में चहल पहल बढ़ गई है। प्राचीन काल में अंग जनपद के नाम से विख्यात रहे भागलपुर शहर में देवी काली की पूजा और इसके विसर्जन शोभायात्रा की पुरातन परंपरा है।
विशाल आकार में होनेवाली काली पूजा की साज सज्जा से युक्त पूजा पंडालों मंदिरों की शोभा देखते बनती है। अद्भुत होती भागलपुर की काली पूजा: भागलपुर में स्थापित होने वाली काली प्रतिमाओं में उनका विविध रूप का दर्शत होता है। काली पूजा यहां की धार्मिक, सांस्कृतिक और लोक आस्था का प्रतिक है। यहां दर्जन भर से ज्यादा ऐसे काली स्थान हैं जहां यह स्पष्ट जानकारी नहीं की आखिर कब से इस स्थान पर मां काली पूजी जाती हैं।
भागलपुर में मां काली का अद्भुत रूप देखने को मिलता है। शहर के सोनापट्टी काली स्थान में मां काली सोने की गहने से लदी होती हैं। तकरीब सौ वर्ष से यहां मां काली की पूजा होती है। लोगों की मन्नतें पुरी होने पर यहां मां को गहना अर्पित करने की परंपरा है। स्वर्ण आभूषणों से सुसज्जित काली मां यहां के आर्थिक स्मृद्धि को दर्शाता है। जबकि काली बाड़ी की काली अंग बंग की संस्कृति दर्शाता है।
उधर इशाकचक स्थित मां बुढ़िया काली मां की प्रतिमा खुले आसमान के नीचे विराजती हैं। कई बार मंदिर बनाने का प्रयास किया गया लेकिन मां का छत की ढलाई नहीं हो सका। अध्यक्ष रूद्र नारायण झा कहते हैं कि यहां तकरीबन दो सौ वर्ष से यहां मां काली की पूजा होती है। बौंसी रेलवे लाइन के उत्तरी किनारे पर स्थित इस दरबार का जीर्णोद्धार 1972 में किया गया था।
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