KK Pathak: पहले सैलरी पर चली केके पाठक की कैंची, फिर टूटी डीईओ साहब की नींद!
जिला अधिकारी द्वारा शिक्षा विभाग को पत्र लिखे जाने के बाद ही बुधवार की सुबह हुई पहली वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में ही शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने जिला शिक्षा पदाधिकारी की क्लास लगा दी। उन्होंने कहा कि जब विभागीय निर्देश था की जांच के बाद नजदीकी स्कूल में नामांकन की अनुमति दी जा सकती है तो आपने बच्चों को इसकी जांच कर अनुमति क्यों नहीं दी?
जागरण संवाददाता, भागलपुर। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने जिला शिक्षा पदाधिकारी राजकुमार शर्मा का सात दिन का वेतन काटने का निर्देश दिया है। वेतन कटौती का निर्देश आने के बाद ही जिला शिक्षा पदाधिकारी को उन बच्चों का ख्याल आ गया, जो पिछले डेढ़ महीने से शिक्षा विभाग का चक्कर सिर्फ इसलिए लगा रहे थे, ताकि उनका नामांकन अपने पंचायत के नजदीकी हाई स्कूलों में हो जाए।
दरअसल, मंगलवार को शिक्षा विभाग में डेढ़ सौ से अधिक बच्चों द्वारा अपने नजदीकी स्कूलों में नामांकन को लेकर कार्यालय का घेराव किया गया था। साथ ही साथ जिला अधिकारी डॉ. नवल किशोर चौधरी को भी इस मामले से जुड़ी जानकारी देते हुए आवेदन सौंपा गया था।
मिली जानकारी के मुताबिक, जिला अधिकारी द्वारा शिक्षा विभाग के पत्र लिखे जाने के बाद ही बुधवार की सुबह हुई पहली वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में ही शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक द्वारा जिला शिक्षा पदाधिकारी भागलपुर की जमकर क्लास लगा दी गई।
इस दौरान उन्होंने कहा कि जब विभागीय निर्देश था की जांच के बाद नजदीकी स्कूल में नामांकन की अनुमति दी जा सकती है। तो आपने अब तक बच्चों को इसकी जांच कर कर अनुमति क्यों नहीं दी? हालांकि अपर मुख्य सचिव द्वारा जिला शिक्षा पदाधिकारी के सात दिन के वेतन काटने का मौखिक निर्देश दिया गया था।
खबर लिखे जाने तक इनसे जुड़े पत्र जारी होने की सूचना नहीं मिली है। नजदीक स्कूल में नामांकन के लिए आए आवेदन की जांच के लिए बनी कमेटी जिला शिक्षा पदाधिकारी राजकुमार शर्मा ने बताया कि शहर के निगम क्षेत्र के अलावा जिले के सभी प्रखंडों से अपने नजदीक के स्कूल में नामांकन को लेकर साढ़े 500 से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं।
दो सदस्य टीम गठित, एक्शन में डीईओ
उन्होंने कहा कि इनके जांच के लिए डीपीओ माध्यमिक शिक्षा नितेश कुमार और डीपीओ एसएसए डॉ. जमाल मुस्तफा देखरेख में दो सदस्य टीम गठित की गई है। साथ ही साथ उन्होंने बताया कि डाटा ऑपरेटर को निर्देश दिया गया है कि सभी आवेदनों को एक तरफ प्रखंड वार संग्रहित कर इसकी रिपोर्ट दोनों डीपीओ को देना सुनिश्चित करें, ताकि एक से दो दिन में सभी आवेदनों के जांच हो और बच्चों को प्राथमिकता के आधार पर उनके नजदीक के हाई स्कूल में नामांकन मिले।
उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में शिक्षा विभाग के तीन जिला कार्यक्रम पदाधिकारी बेंगलुरु में प्रशिक्षण लेने गए हैं। साथ ही साथ सभी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी पटना में प्रशिक्षण ले रहे हैं। जिसके कारण जांच प्रभावित हो रही है।
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