कुप्पाघाट भागलपुर: प्लीज हमारे गुरु के निवास को ना बनाएं बेहतर, उन्हें वहीं रहने दें! छिड़ा है महर्षि मेँहीँ आश्रम में संग्राम
कुप्पाघाट भागलपुर ऐतिहासिक महर्षि मेँहीँ कुप्पा आश्रम में गुरुनिवास के स्वरूप से छेड़छाड़ पर संग्राम। गुरुसेवी भागीरथ बाबा ने कहा गुरुनिवास में की गई तोडफ़ोड़ निवास भोजनालय संतसेवी महाराज का बैठका महिला-पुरुष खटाल शौचालय तोड़ गुरुमहाराज की पहचान मिटाने की साजिश।
By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Updated: Tue, 16 Nov 2021 10:24 PM (IST)
भागलपुर [कौशल किशोर मिश्र]। जिले के मायागंज से सटे गंगा के मनोरम तट पर स्थित ऐतिहासिक महर्षि मेँहीँ कुप्पा आश्रम में अरसे बाद एकबार फिर विवाद गहरा गया है। इस बार विवाद परम पूज्यपाद महर्षि मेँहीँ परमहंसजी महाराज के कुप्पा आश्रम में उनके गुरु निवास के स्वरूप से छेड़छाड़ के बाद गहराया है। यह विवाद देश-विदेश में रह रहे काफी संख्या में शिष्यों को चोट पहुंचाने वाला है। उन्हें जैसे-जैसे जानकारी मिल रही है। इसके बाद वे आश्रम की तरफ कूच कर रहे हैं।
महर्षि मेँहीँ कुप्पा आश्रम में सुंदरीकरण और पुर्ननिर्माण कार्य अखिल भारतीय संतमत महासभा करा रही है। इसी दौरान पवित्र गुरु निवास के स्वरूप से छेड़छाड़ कर दी गई। जिसका विरोध आश्रम में रह रहे गुरुसेवी भागीरथ बाबा और उनके शिष्यों ने किया। उसके बाद भी तोडफ़ोड़ का काम बंद नहीं हुआ। भागीरथ बाबा अक्सर संतमत सत्संग के लिए दूसरे जिलों और प्रदेशों में बुलाये जाते हैं। उनके जाने के बाद गुरु निवास में तोडफ़ोड़ किया जाने लगा। भागीरथ बाबा के आश्रम लौटने के बाद नए तोडफ़ोड़ को देख एक आपात बैठक बुला गुरु निवास में तोडफ़ोड़ की घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए जिलाधिकारी, एसएसपी और बरारी थाने में लिखित सूचना दे आवश्यक कार्रवाई का अनुरोध किया गया। बरारी पुलिस मौके पर पहुंच हस्तक्षेप भी किया था। महासभा से भी इस बात को लेकर घोर आपत्ति दर्ज कराई गई। नतीजा काम बंद करा दिया गया।
भागीरथ बाबा ने आचार्य हरिनंदन बाबा से गुरु निवास के स्वरूप से छेड़छाड की जानकारी दी और यह भी कहा कि बैठक में इसपर सहमति बनी थी कि गुरुनिवास में कोई तोडफ़ोड़ नहीं होगा लेकिन फिर तोडफ़ोड़ किया गया। इस पर आचार्य ने भागीरथ बाबा को कहा उनकी इसमें कोई सहमति नहीं है। सुंदरीकरण और निर्माण कार्य महासभा करा रही है। उनका कोई हस्तक्षेप नहीं है। हालांकि उनके सेवक रमेश दास ने गुरु निवास से छेड़छाड़ को लेकर विरोध करने वाले एक सेवक से आपत्तिजनक बयानबाजी की जिसका वीडियो वायरल होने लगा है। इधर गले में खरास के कारण शिष्यों से कम संवाद करने वाले आचार्य हरिनंदन बाबा ने पूछे जाने पर कहा कि आश्रम की पत्रिका में 2016 में प्रकाशित हुआ था कि गुरु निवास के स्वरूप को यथावत रखा जाएगा। हालांकि आचार्य ने यह नहीं कहा कि महासभा से इस मुद्दे पर वह बातचीत करेंगे।
उधर, अखिल भारतीय संतमत महासभा के अध्यक्ष अरुण कुमार अग्रवाल गुरुसेवी भागीरथ बाबा से मिलकर इस बात का भरोसा दिया है कि वह गुरु निवास के टूटे हुए हिस्से का पहले निर्माण कार्य कराएंगे फिर आगे कोई काम कराया जाएगा। उन्होंने बाबा और शिष्यों को यह भी भरोसा दिया कि जो भाग टूटा है उसके स्वरूप में सौ फीसद तो नहीं लेकिन 90 फीसद पुराने स्वरूप में फिर से ला दिया जाएगा। इसके लिए कोलकाता के इंजीनियर और आर्किटेक्ट से बातें कर ली है। महासभा के अध्यक्ष ने बताया कि जो भाग टूटा है उसका ही पुर्ननिर्माण पहले कराया जाएगा। यह पूछे जाने पर कि नवनिर्माण और सुंदरीकरण के नाम पर चल रहे निर्णाण कार्य में गुरु निवास का अस्तित्व तो नहीं मिटा दिया जाएगा। उनका जवाब था ऐसा कभी नहीं होगा। अध्यक्ष को आश्रम में कई सेवकों ने रोक कर इस संशय को लेकर ही सवाल पर सवाल दागे कि महासभा ने किसके इशारे पर गुरुनिवास में तोडफ़ोड़ कराने का काम किया। अध्यक्ष अग्रवाल ने कहा कि महासभा पर कोई दबाव नहीं है। जल्द ही टूटे हुए हिस्से को निर्माण के जरिये यथावत रूप दे दिया जाएगा।
1960 में हुआ था निर्माण महर्षि मेँहीँ कुप्पा आश्रम का निर्माण परमपूज्य पाद महर्षि मेँहीँ परमहंसजी महाराज ने 1960 में कराया था। उसके पूर्व वहां उनकी अगुआई में बाग-बगिया और कुप्पा सुरंग ही था जहां वह ध्यान योग किया करते थे। परबत्ती में ही मौजूद कुटिया में तब गुरु महाराज रहा करते थे। उसी दौरान उत्तरप्रदेश के कुशीनगर से बाल्य काल में ही संत श्रीशाही परमहंस जी महाराज उनके सेवक के रूप में आकर रहने लगे थे। गुरुमहाराज के तब दो परमशिष्य हुआ करते थे, संतसेवी परमहंसजी महाराज और संत श्रीशाही परमहंसजी महाराज। दोनों परमशिष्यों भी संसार छोड़ चुके हैं।
महर्षि मेँहीँ परमहंसजी महाराज परबत्ती वाली कुटिया और मायागंज कुप्पा घाट में ध्यान योग कर तब बड़े आश्रम का निर्माण कराया था। आश्रम का निर्माण किसी चंदे या मदद से नहीं कराया था। तब गुरुमहाराज को मिलने वाले प्रणामी के पैसे से निर्माण कार्य संपन्न हो गया था। गुरुमहाराज ने वहीं निवास स्थान भी बनाया था जिसे गुरुनिवास कहा जाने लगा जहां आज भी हजारों की तादाद में रोज शिष्य आते और शीश नवाकर प्रणामी अर्पित करते हैं।
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