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भागलपुर से चलने वाली ट्रेनों में महिला यात्रियों को नहीं मिल रही 'सहेली', आखिर क्या है ये योजना?

भागलपुर से चलने वाली ट्रेनों में महिला यात्रियों की सुरक्षा के लिए शुरू की गई मेरी सहेली योजना प्रभावी ढंग से लागू नहीं हो पा रही है। महिला सुरक्षा बलों की कमी के कारण महिला जवानों की ट्रेनों में ड्यूटी नहीं लगाई जा रही है। इससे अकेली या अपने बच्चों के साथ सफर करने वाली महिलाओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

By Alok Kumar Mishra Edited By: Rajat Mourya Updated: Tue, 27 Aug 2024 03:06 PM (IST)
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ट्रेन में शाम में महिला बलों की नहीं लगती ड्यूटी। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

जागरण संवाददाता, भागलपुर। भागलपुर से खुलने वाली ट्रेनों में अकेली या अपने बच्चों के साथ सफर करने वाली महिलाओं को सहेली नहीं मिल रही है। जिस वजह से महिलाओं को सफर के दौरान गंतव्य पहुंचने तक चिंता सताते रहती है।

दरअसल, रेलवे ने ट्रेनों में लंबी दूरी तक अकेली सफर करने वाली महिलाओं के लिए मेरी सहेली नाम से योजना की शुरुआत की थी। ट्रेनों में तैनात महिला सुरक्षा बलों को ऐसी महिलाओं से संपर्क कर उनकी परेशानी को समझ तुरंत समाधान करना है, ताकि ट्रेन में वह अपने को सुरक्षित महसूस कर सके, लेकिन बलों की कमी से महिला जवानों की ट्रेनों में ड्यूटी ही नहीं लगाई जा रही है।

शाम में महिला बलों की नहीं लगती ड्यूटी

भागलपुर आरपीएफ पोस्ट में 139 जवानों की जगह 131 जवानों की प्रतिनियुक्ति की गई है। जिनमें दो अधिकारी सहित 13 महिला जवानों की प्रतिनियुक्ति की गई है। महिला जवानों का कहना है कि कम से कम 10-12 और महिला जवानों की प्रतिनियुक्ति होनी चाहिए। तीन शिफ्ट में महिला जवानों की ड्यूटी लगाई जाती है।

एक शिफ्ट में एक अधिकारी और तीन सिपाही की ड्यूटी लगती है। दिन वाली ट्रेनों में एस्कार्ट की व्यवस्था नहीं है। शाम वाली ट्रेनों में भी महिला बलों की ड्यूटी नहीं लगती है। हालांकि वनांचल, जमालपुर-हावड़ा एक्सप्रेस, गया हावड़ा एक्सप्रेस में जीआरपी की मिक्सिंग ड्यूटी लगाई जाती है। लेकिन जीआरपी की ''मेरी सहेली'' टीम की व्यवस्था नहीं है। यह सिर्फ आरपीएफ का है।

भागलपुर होकर गुजरती हैं 45 ट्रेनें

विक्रमशिला एक्सप्रेस, वनांचल एक्सप्रेस, जनसेवा एक्सप्रेस, भागलपुर-दानापुर इंटरसिटी, अंग एक्सप्रेस, अमरनाथ एक्सप्रेस, जमालपुर-हावड़ा, गया-हावड़ा सहित भागलपुर से खुलने और भागलपुर रेलखंड से प्रतिदिन 45 से ट्रेनें चलती हैं। 65 हजार से अधिक यात्री यहां उतरते और चढ़ते हैं। जिनमें 15-20 हजार महिला यात्री सफर करती हैं।

क्या है योजना?

अकेले सफर करने वाली महिलाओं के लिए ‘मेरी सहेली’ महिला को सुरक्षा देने वाला एक बेहतरीन अभियान है। क्योंकि महिलाएं जब ट्रेनों में अकेले सफर करती हैं, तो आए दिन उनके साथ कोई ना कोई बत्तमीजी और छेड़छाड़ के मामले सामने आते रहते हैं।

महिलाओं के साथ ऐसी घटनाएं ना हो, इसके लिए भारतीय रेलवे मेरी सहेली अभियान की मदद से महिलाओं की सुरक्षा का ध्यान रखेगी और उनपर निगरानी भी रखेगी। अगर ट्रेन में महिला यात्री को किसी भी तरह की परेशानी होती है, तो वह रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के हेल्पलाइन नंबर 139 पर फोन करके जानकारी दे सकती हैं। इससे महिला की सुरक्षा के लिए आरपीएफ टीम हाजिर हो जाएगी।

क्या कहती हैं महिला यात्री?

मुंगेर विश्वविद्यालय की प्रोफेसर निक्की का कहना है कि वह एलटीटी से अकेली ही मुंबई जाती और मुंबई से अकेली आती रहती हूं, लेकिन दो-ढाई सालों में एक बार भी मेरी सहेली की टीम ने उनसे संपर्क नहीं किया है। बल्कि रिजर्वेशन कोच में कुछ लोग अवैध रूप से घुस गए थे। बदतमीजी कर रहे थे। इसकी शिकायत चलती ट्रेन में करनी पड़ी थी। शिकायत पर अगले स्टेशन पर कार्रवाई भी की गई थी। कोलकाता में एक कंपनी में इंजीनियर मनीषी ने बताया कि वह गया-हावड़ा और जमालपुर-हावड़ा एक्सप्रेस से अक्सर अकेली सफर करती हूं, लेकिन पिछले दो सालों में एक बार भी समस्या या परेशानी के बारे में कोई भी पूछने नहीं आया।

भीखनपुर की रूपा नामक महिला का कहना है कि वह हाउस वाइफ हैं और उनके बेटे बंगलुरू में एक कंपनी में इंजीनियर है। भागलपुर से बंगलूरू और बंगलूरू से भागलपुर आना जाना रहता है। लेकिन पांच सालों में एक बार भी कोई भी उनके बर्थ के पास आकर समस्या और परेशानी के बारे में जानकारी प्राप्त करने नहीं आए हैं। मेरी सहेली के बारे में उन्हें जानकारी भी नहीं है।

बलों की कमी है : कमांडेंट

आरपीएफ कमांडेंट असीम कुमार कुल्लू ने बताया कि कभी कभी चार्ट समय पर नहीं आ पाने के कारण अकेली ट्रेन में सफर करने वाली महिला से मेरी सहेली की टीम संपर्क नहीं कर पाती है। बलों की भी कमी है। जिसके कारण ट्रेनों में महिला जवानों की ड्यूटी नहीं लगाई जा पा रही है। जवानों की संख्या बढ़ाने की मांग की गई है। सुरक्षा को लेकर अभियान भी चलाया जा रहा है।

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