Sawan 2021: बाबा शिव के चरणस्पर्श करने सावन में पहुंचती हैं मां गंगा, त्रेता युग से जुड़ी है भागलपुर के बूढ़ानाथ मंदिर की मान्यता
Sawan 2021 भागलपुर का बूढ़ानाथ मंदिर कई मान्यताओं के लिए जाना जाता है। सावन में यहां मां गंगा बाबा शिव के चरणस्पर्श करने पहुंचती हैं। मंदिर में स्थापित शिवलिंग की अपनी अलग ही पौराणिक कथा है। पढ़ें पूरी खबर...
जागरण संवाददाता, भागलपुर। Sawan 2021: भगवान शिव की अराधना के लिए सावन के महीने को सबसे उत्तम महीना माना गया है। ऐसे में शिवालयों का जिक्र करना भी जरूरी हो जाता है। बिहार के भागलपुर में बाबा का एक ऐसा धाम है, जहां सावन के दिन में ही क्या आम दिन में भी शिव भक्तों का तांता लगा रहता है। बहरहाल, कोरोना के चलते मंदिर बंद है लेकिन ऐसा कहा जाता है कि बाबा का नाम लेने मात्र से सभी संकट दूर हो जाते हैं। चलिए जानते हैं सावन के पावन अवसर पर बाबा वृद्धेश्वर महादेव मंदिर की पौराणिक मान्यता के बारे में।
कहा जाता है कि श्रीराम चंद्रजी के गुरु वशिष्ठ मुनी ने त्रेता युग में इस शिवलिंग की स्थापना की थी। अयोध्या के राजा दशरथ को पुत्रैष्ठी यज्ञ संपन्न कराने के बाद लौटने के क्रम में बाबा बाल वृद्धेश्वर शिवलिंग की स्थापना की। बाद में बाबा बूढ़ानाथ महादेव के नाम से भागलपुर शहर का प्रसिद्ध मंदिर बना। इसकी सबसे आश्चर्यजनक विशेषता यह है कि प्रत्येक सावन माह में मां गंगा बाबा का चरण स्पर्श करने पहुंचती हैं। अर्थात मंदिर तक गंगा पहुंचती है।
सावन में होती विशेष पूजा
आचार्य लक्ष्मण उपाध्याय कहते हैं कि सावन माह में बाबा का विशेष श्रृंगार, विशेष आरती सहित पूजा अर्चना किया जाता है। कोरोना काल की वजह से दो वर्ष से सावन में मंदिर बंद है। बाहरी श्रद्धालुओं के प्रवेश पर रोक है। इसके बावजूद मंदिर प्रबंधन द्वारा भव्य पूजा पाठ सावन भर चलता रहेगा।
मंदिर के प्रबंधक बाल्मिकी सिंह कहते हैं कि बाबा भोलेनाथ का सावन में पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है। लेकिन शिवालय बंद है। घर में भी सच्चे हृदय से बाबा का जलाभिषेक पूजा अर्चना त्वरित फल दायक है। बाबा भोलेनाथ सिर्फ श्रद्धा और भाव के भूखे हैं। वह औघड़दानी कहलाते हैं। उनसे जो कुछ मांगा जाता है वह सब कुछ देने में सक्षम हैं। इसलिए श्रद्धालु कोरोना काल को देखते हुए घर में शिव की अराधना करें।