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Madhushravani Puja 2024: मिथिला संस्कृति पर आधारित मधुश्रावणी शुरू, 14 दिनों तक व्रत रखेंगी नवविवाहित महिलाएं

मिथिला संस्कृति पर आधारित मधुश्रावणी शुरू हो गया है। 14 दिनों तक चलने वाले मधुश्रावणी व्रत को लेकर नवविवाहिताएं यह व्रत अपने मयके में ही करती हैं। इन चौदह दिनों के अनुष्ठान में नवविवाहिताएं नमक का सेवन नहीं करती हैं। तिलकामांझी महावीर मंदिर के पंडित आनंद झा ने बताया कि मधुश्रावणी में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है।

By Hirshikesh Tiwari Edited By: Rajat Mourya Updated: Fri, 26 Jul 2024 01:32 PM (IST)
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मधु श्रावणी पूजा करतीं सपना झा (फोटो- जागरण)

संवाद सहयोगी, भागलपुर। मिथिला संस्कृति पर आधारित मधुश्रावणी सावन शुक्ल के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि गुरुवार से शुरू हो गई। जिसका समापन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया सात अगस्त को किया जाएगा। 14 दिनों तक चलने वाले मधुश्रावणी व्रत को लेकर नवविवाहिताएं यह व्रत अपने मयके में ही करती हैं।

इन चौदह दिनों के अनुष्ठान में नवविवाहिताएं नमक का सेवन नहीं करती हैं। तिलकामांझी महावीर मंदिर के पंडित आनंद झा ने बताया कि 14 दिनों तक इस बार मधुश्रावणी का व्रत नवविवाहिताएं करेंगी। इसमें भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है।

उन्होंने बताया कि इसमें महादेव गौरी, नाग-नागिन की मूर्ति स्थापित कर कई तरह के फूलों से पूजा-अर्चना की जाती है। नैवेद्य में फल, मिठाई आदि का भोग लगाया गया। पहली बार पूजा करने के लिए नवविवाहिताओं को विशेष पूजा करनी पड़ती है।

पहली बार मधुश्रावणी व्रत करने वाली सपना झा ने बताया कि मधुश्रावणी व्रत मैथिल समाज की नवविवाहिताओं के लिए बहुत ही खास महत्व रखती है। इसमें 14 दिनों तक शिव-पार्वती नाग-नागिन की मूर्ति स्थापित कर पूजा शुरू किया गया। मधुश्रावणी व्रत में गोसांईं गीत, कोहबर गीत सहित झूमर आदि महिलाओं द्वारा गाई जाती है।

महिलाएं ही पुरोहित की तरह कराती हैं पूजा

इस व्रत की सबसे खास बात यह है कि 14 दिनों तक व्रती अरबा खाना खाती हैं यहां तक की सेंधा नमक का भी प्रयोग नहीं किया जाता है। शिखा झा छोटी ने बताया कि शादी के बाद से ही नव विवाहिताओं को मधुश्रावणी व्रत का इंतजार बेसब्री से रहती है। बहुत ही कठिन व्रत है। ससुराल से भेजे गए भोजन सामग्री से अरबा भोजन करती हैं।

अंतिम दिन भार आता है जिसमें साड़ी कपड़े के साथ सौंदर्य प्रशाधन और पूजा-पाठ की सामग्री रहती है। शुभांगी प्रिया जो इस बार पहली बार मधुश्रावणी पर पूजा कर रही हैं। उनलोगों के द्वारा बताया गया कि इसमें महिलाएं ही पंडित की भूमिका में होती हैं। इस दौरान रीना झा, चिंकी, निक्की, रागिनी सहित अन्य कई महिलाओं ने व्रत के महत्व के बारे में बताया।

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