Maha Shivaratri 2021: आइए... दर्शन करें भागलपुर जिले के प्रमुख शिवालयों का, भगवान राम ने की थी इस मंदिर की स्थापना
Maha Shivaratri 2021 भागलपुर जिले में कई शिव मंदिर हैं। शिव के साथ पार्वती का भी मंदिर है। महाशिवरात्रि पर सभी जगह विशेष आयोजन होता है। इसकी तैयारी यहां कर ली गई है। सुबह से ही मंदिरों में भीड़ है।
By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Updated: Thu, 11 Mar 2021 03:27 PM (IST)
जागरण संवाददाता, भागलपुर। Maha Shivaratri 2021: आज गुरुवार 11 मार्च 2021 को महाशिवरात्रि है। सुबह से ही शिव और पावर्ती मंदिरों में भीड़ है। भागलपुर जिले में कई प्रसिद्ध और एतिहासिक शिव मंदिर हैं।
मोक्ष और मुक्ति का संगम स्थल है अजगैबीनाथ
भागलपुर से 26 किलोमीटर दूर पश्चिम सुल्तानगंज में उत्तरायणी गंगा के मध्य ग्रेनाइट पत्थर की विशाल चट्टान पर अजगैबीनाथ महादेव का मंदिर स्थित है। यह दूर से देखने पर काफी आकर्षक लगता है। उत्तरवाहिनी गंगा होने के कारण सावन के महीने में लाखों कांवरिए देश के विभिन्न भागों से गंगाजल लेने के लिए यहां आते हैं। यहां श्रद्धालु अपने जीवन में उन्नति तरक्की वैभव की चाहत लिए बाबा से मन की मुरादे पूरी करवाते हैं वही गंगा तट के समीप ही चिता स्थल पर हर रोज मोक्ष की कामना के लिए दूर-दूर से परिजन आते हैं। यह नगरी मुक्ति और मोक्ष का संगम स्थल माना जाता है। भारत में विश्व का सबसे लंबा मेला सुल्तानगंज के अजगैब नगरी से लगता है। अजगैविनाथ धाम अंग जनपद का महत्वपूर्ण स्थान है। प्रागैतिहासिक काल से इसका उल्लेख मिलता है पुराणों से लेकर महाकाल तक अंग जनपद का वर्णन मिलता है। सन 938 में ह्वीन सांग नामक चीनी यात्री ने अपने यात्रा वृतांत में इसका वर्णन किया है। शिवरात्रि को लेकर मंदिर को बेहद ही आकर्षक ढंग से सजाया गया है।
मिनी देवघर के नाम से विख्यात है मड़वा का ब्रजलेश्वरनाथ धाम
गंगा व कोसी के बीच मिनी देवघर के नाम से विख्यात है बिहपुर प्रखंड के मड़वा गांव स्थित ब्रजलेश्वरनाथ धाम। बता दें कि यहां बाबा ब्रजलेश्वर का स्थापित कामनापूर्ति शिवलिंग स्थापित नहीं बल्कि स्वयंभू है। यहां महाशिवरात्रि एवं भादो पूर्णिमा के अवसर पर भव्य मेला भी लगता है।आज महाशिवरात्रि पर यहां शिवभक्तों का जनसैलाब उमड़ेगा। यहां शविरात्री पर भोलेनाथ व माता पार्वती के विवाह पूजन में शामिल होने गांव से ही बल्कि अन्य गांवों व दूसरे जिलों से श्रद्धालु पहुंचते हैं। गांव के बड़े बुजुर्ग बताते हैं कि बाबा मंदिर का इतिहास करीब 400 साल से भी अधिक का है। मंदिर का निर्माण क्षेत्र के तत्कालीन राजा झब्बन सिंह ने जनसहयोग से करवाया था। किवंदती है कि जिस जगह पर मंदिर आज है, वहां पूर्व में जंगल हुआ करता था। एक चरवाहे की गाय जंगल में रोक एक जगह पहुंचती थी। और वहां उसका दूध गिरने लगता था। यह बात चरवाहे ने गांव के लोगों को बताई लोगों ने अगले दिन देखा तो बात सही निकली। लोग कुदाल से उस जगह को खोदने लगे। उसी दौरान कुदाल एक पत्थर से टकराया कुदाल में रक्त लग गया। जिस शिला से कुदाल टकराया था। वह पत्थर नहीं शिवलिंग था। उसी रात ग्रामीणों व राजा को स्वप्न आया जिसके बाद इस मंदिर का निर्माण हुआ। ब्रजलेश्वरधाम ठाकुरबाड़ी में महंत राजेन्द्र दास जी महाराज और पुजारी विरेंद्र पाडेय, उपेंद्र पाण्डेय व संजय पांडेय बताते हैं कि इस मंदिर का नीर लोगों के आकाल मृत्यु को टालता है। इस बार कोरोना को लेकर जारी गाइडलाईन का पालन किया जा रहा है। यहां शिवभक्तों की सेवा, सुरक्षा व सुविधा में बाबा बज्रलेश्वरनाथ ट्रस्ट के साथ साथ मड़वा के ग्रामीण व नवयुवक पूरी आस्था व श्रद्धा के साथ जुटे रहते हैं। इस शिवधाम व मंदिर अंगप्रदेश का देवघर भी कहा जाता है।
बाबा मनोकामना नाथ की दूर-दूर तक है ख्यातिपीरपैंती प्रखंड के महेशराम पंचायत अंतर्गत झामर गांव से सटे स्थित बाबा मनोकामना नाथ की ख्याति दूर-दूर तक फैली है। यहां आपरूपी शिवलिंग है। बाबा मनोकामना नाथ की शिवलिंग पर केवल जल अर्पण से ही सभी की मनोकामना पूर्ण होती है। बिहार झारखंड सहित आसपास के श्रद्धालु यहां वर्ष भर आते हैं। सावन और भादो के अलावा सोमवार और शिवरात्रि को यहां भारी भीड़ लगती है। कांवरिया सहित श्रद्धालु भक्तगण उत्तरवाहिनी गंगा बाबा बटेश्वर स्थान से गंगाजल लाकर बाबा पर जलाभिषेक करते हैं। लगभग ढाई सौ वर्ष पूर्व बसंतपुर निवासी स्वर्गीय नंद कुमार सिंह पुत्र रत्न की कामना लिए बाबा बासुकीनाथ धाम पूजा करने गए हुए थे। वही उन्हें स्वप्न में आया कि मैं तो आपके जोत जमीन से निकलूंगा। मेरा मंदिर बनाओ तुम्हारी मनोकामना पूर्ण होगी। इसी दौरान झामर में खेत में जुताई के क्रम में आपरूपी दो शिवलिंग प्रकट हो गए। उन्होंने वहीं मंदिर बनवा कर भगवान शिव की पूजा करने लगे। इस दौरान उन्हें दो पुत्र हुए। इस कारण यह मनोकामना नाथ कहलाने लगे। बाबा मनोकामना नाथ के अलावा भगवान भोलेनाथ का शिवलिंग और पार्वती बजरंगबली सहित अनेक देवी-देवताओं की प्रतिमाएं यहां मंदिर में है। यह मंदिर समिति द्वारा संचालित होती है। शिवरात्रि को लेकर मंदिर को आकर्षक ढंग से सजाया गया है। मंदिर में कतारबद्ध तरीके से पूजा कराई जाती हैं। मंदिर समिति की ओर से हर वर्ष शिव विवाह और बरात का भव्य आयोजन होता है। शिव बारात नगर परिक्रमा के लिए निकलती है, जिसका स्थानीय लोगों के द्वारा जगह जगह पर स्वागत किया जाता है।
शिव शक्ति दरवार, सन्हौला सन्हौला शिवशक्ति दरवार की स्थापना वर्ष 1969 में हुई है। स्थापना काल से ही प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि पर विशेष आयोजन होता है। सावन माह के प्रत्येक सोमवारी को यहां शृंगार पूजा और भव्य भंडारा का आयोजन किया जाता है। इसकी महत्ता बताते हुए मंदिर के कोषाध्यक्ष डॉ. प्रवीण कुमार ने बताया कि यहां सर्व मनोकामना पूर्ण होती है। खाासकर शादी के लिए मांगी गई मन्नते पूरी करने के लिए सन्हौला का शिवशक्ति दरवार इलाके में प्रसिद्ध है। मंदिर के अध्यक्ष दमन सिंह व सचिव शंकर शर्मा ने बताया कि आजतक जिसने भी सच्चे मन से शिवशक्ति दरवार में आराधना की है, उसकी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
200 वर्षों से होती आ रही है महादेव की पूजादेशरी में 200 वर्षों से देशरी नाथ भूमफोड़ शिव मंदिर है। सन 1946 में शिवालय का निर्माण हुआ है। इस शिवालय में सावन के प्रत्येक सोमवार को आसपास के दर्जनों गांवों से हजारों भक्त आकर जलाभिषेक करते हैं। इसके अलावे आसपास गांव के लोग इस मंदिर में विवाह करते हैं। महाशिवरात्रि के अवसर पर महादेव का बरात निकाली जाती है। और विधि विधान से शिव पार्वती का विवाह संपन्न कराया जाता है। इस अवसर भागवत कथा का सात दिवसीय आयोजन किया जाता है। बैजानी शिवालय की ख्याति भी काफी है। वहीं गोनूधाम मंदिर भी ऐतिहासिक है। साथ ही कजरैली, अंधरी में भी शिवालय है। तेतरहार और जोड़ली के शिवालयों में भी भीड़ लगती है।
बाबा कुपेश्वरनाथ मंदिर, कोतवालीबाबा कुपेश्वर नाथ मंदिर कोतवाली चौक भागलपुर की अद्भुत महिमा है यहां दूरदराज शिवभक्त अपनी मनोकामना लेकर आते हैं और उनके मुरादों की झोली भर जाती है। मंदिर के पुजारी पंडित दयानंद शास्त्री की माने तो 1955 से यह मंदिर अपने वजूद में आया है। मंदिर परिसर में एक कुआं था साफ सफाई के दौरान उसमें शिवलिंग मिला फिर भक्तों द्वारा स्थापना की गई उसके बाद शिव भक्तों ने ही मां पार्वती सहित अन्नपूर्णा माता बगलामुखी आदि की मंदिर स्थापित किया इस शिवालय में विभिन्न देवी-देवताओं का मंदिर साथ में है यही इसकी सबसे बड़ी विशेषता है।
शिव शक्ति मंदिर आदमपुरशिव शक्ति मंदिर आदमपुर प्राचीन मंदिरों में एक है। सौ वर्ष से भी पुराना मंदिर है। मंदिर के शिखर पर श्री यंत्र लगा हुआ है। दर्शन मात्र से ही लोगों को सफलता मिलती है। बताया गया कि बनैली स्टेट द्वारा शिव मंदिर के लिए जमीन दी गई थी। 1990 से मंदिर का जीर्णोद्धार कार्य प्रारंभ किया गया। मंदिर में नमर्देश्वर शिवलिंग स्थापित है। देश में कुछ ही स्थानों पर नमर्देवर शिवलिंग मंदिर में है। जिसमें एक भागलपुर भी शामिल है। इसके अलावा जबलपुर के अलावा अन्य शहरों में नमर्देश्वर शिवलिंग है। इस मंदिर में जो भी मन से मनोकामना मांगते हैं वह पूर्ण होता है।
आस्था का अमूल्य धरोहर बाबा बूढ़ानाथ मंदिर बक्सर से ताड़का सुर का वध करने के बाद वशिष्ठ मुनी अपने शिष्य राम और लक्ष्मण के साथ भागलपुर आए थे। उसी समय त्रेता युग में उन्होंने बाबा बूढ़ानाथ मंदिर की स्थापना कर शिवलिंग की पूजा-अर्चना की थी। शिव पुराण के द्वादश अध्याय में भी इस बात का उल्लेख है। इसी मंदिर के नाम से ही यहां के मोहल्ले का नाम भी बूढ़ानाथ है।आस्था का अमूल्य धरोहर बाबा बूढ़ानाथ मंदिर है। इसकी गौरव गाथा अति प्राचीन है। अंग की धरती पर पतित पावनी गंगा के किनारे अवस्थित यह मंदिर श्रद्धालुओं की नजर में विश्वविख्यात है। इस मंदिर में भगवान शंकर, माता पार्वती एवं शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा आदि की प्राचीन प्रतिमा स्थापित है।
मनसकामना नाथ मंदिर।बाबा बटेश्वरनाथ मंदिरकहलगांव के उत्तरवाहिनी गंगा तट पर बटेश्वर पहाड़ की तराई में स्थित बशिष्ठेश्वर नाथ (बाबा बटेश्वरनाथ) महादेब की महिमा अपार है।यह बशिष्ठ मुनि द्वारा आराधित शिवलिंग है।यह शिशु स्वरूप हैं। इसलिए इनके सामने पार्वती की प्रतिमा नहीं है। काली की प्रतिमा है। बटेश्वरस्थान में ही वट बृक्ष के खोहड़ में बूढ़ानाथ महादेव है, जो आपरूपी है। वट बृक्ष तो समाप्त हो चुका है वहां भव्य मंदिर बन गया है। बटेश्वरस्थान में सावन में जल अर्पण के लिए भीड़ लगी रहती है। शिवरात्रि में मेला लगता है। यह शिद्ध स्थल भी कहलाता है। बटेश्वरस्थान कि चारों ओर शिवलिंग है। जो विभिन्न नामों से जाने जाते है। यहां की ख्याति काफी है।
जिले के कुछ अन्य प्रमुख शिव मंदिरबटेश्वरस्थान में बाबा बटेशनाथ मंदिर। भदेश्वरस्थान में बाबा भद्रेश्वरनाथ महादेव। एनटीपीसी में शिवाशिव मंदिर। कहलगांव राजघाट पर बाबा जागेश्वरनाथ महादेब मंदिर। सन्हौला प्रखंड में ताड़र, मकरपुर, घनश्यामचक, महेशपुर, महियामा, अनकित्ता, बमिया आदि जगहों पर शिव मंदिर है। सुल्तानगंज के कष्टिकिरी में भी शिव मंदिर है।नवगछिया में गौशाला स्थित शिव मंदिर का महत्व एतिहासिक है
नवगछिया मुख्य बाजार स्थित गौशाला शिव मंदिर है यह मंदिर मनोकामना महादेव के रूप में पूजा होता है। इस मंदिर का नाम जगतपति नाथ महादेव है। स्थापना 1932 में हुई थी। यहां पर पिछले कई वर्षों से महाशिवरात्रि के मौके पर भव्य शिव विवाह महोत्सव मनाया जाता है।
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