Makar Sankranti 2024 Date इस बार एक बार फिर से मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाया जाएगा। इस मौके पर गंगा स्नान करने के लिए लोगों की भारी भीड़ रहने वाली है। इस दिन बिहार में चूड़ा दही और खिचड़ी खाया जाता है। वहीं माता-पिता बच्चों को तिल गुड़ चढ़ाते हैं। इस दिन सूर्य अपनी कक्षाओं में परिवर्तन करके दक्षिणायन से उत्तरायण होकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं।
संवाद सहयोगी,भागलपुर। Bihar News: इस बार मकर संक्रांति 15 जनवरी सोमवार को मनाया जाएगा। इसी दिन सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार उत्तरायण की अवधि को देवताओं का दिन तथा दक्षिणायन को देवताओं की रात कहा जाता है। अंग की धरती पर सूर्य उपासना सदियों से होती आ रही है। इस वजह से भी सूर्य से जुड़ा पर्व यहां काफी श्रद्धा और धूम धाम से मनाया जाता है।
ज्योतिषाचार्य पं. सचिन कुमार दूबे ने बताया कि खगोलशास्त्रियों के अनुसार इस दिन सूर्य अपनी कक्षाओं में परिवर्तन करके दक्षिणायन से उत्तरायण होकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। जिस राशि में सूर्य की कक्ष का परिवर्तन होता है उसे संक्रांति कहा जाता है। इसके बाद से दिन बड़ा और रात्रि की अवधि कम हो जाती है।
इस बार 15 जनवरी को ही मकर संक्रांति क्यों?
मकर संक्रांति का वाहन अश्व और उप वाहन सिंह है दोनों की रफ्तार के प्रतीक होने के कारण देश में भी तरक्की की रफ्तार बढ़ने की संभावना है। तिलका मांझी महावीर मंदिर के पंडित आनंद झा ने बताया कि मिथिला पंचांग के अनुसार सुबह 8:30 में एवं काशी पंचांग के अनुसार प्रातः काल 8:42 मिनट पर सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे। अतः मकर संक्राति 15 जनवरी सोमवार को ही मनाया जाएगा। गंगा स्नान का विशेष महत्व मकर संक्रांति पर गंगा स्नान करने का विशेष महत्व है।
इस मौके पर स्नान करने से कुंडली के ग्रह दोष दूर होते हैं
इस बार व्यतिपात योग शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि शतभिषा नक्षत्र में सोमवार को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि देव से मिलने उनके घर जाते हैं क्योंकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं, इसलिए इसे मकर संक्रांति कहा जाता है। मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन पानी में काले तिल और गंगाजल मिलाकर स्नान करने से कुंडली के ग्रह दोष दूर होते हैं साथ ही सूर्य देव की कृपा भी प्राप्त होती है।
पवित्र गंगा नदी में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति
इस दिन पवित्र गंगा नदी में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और अक्षय फल प्राप्त होता है। साथ ही जाने अनजाने में पूर्व जन्मों के किए गए पाप का क्षय हो जाता है। इस दिन देवी-देवता एक साथ प्रसन्न होते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन मां गंगा धरती पर अवतरण हुई थीं और राजा भागीरथ के पीछे -पीछे कपिल मुनि के आश्रम सें होती हुई गंगा सागर में पहुंची थी।
सभी देवी-देवता स्वरूप बदलकर स्नान करने आते हैं
गंगा के पावन जल से राजा सगर के साठ हजार श्रापग्रस्त पुत्रों का उद्धार हुआ था। मकर संक्रांति के दिन सभी देवी-देवता स्वरूप बदलकर स्नान करने आते हैं। संगम में स्नान करना अनन्त पुण्यों को प्राप्त करने के समान है। मकर संक्रांति पर्व पर दान का बड़ा महत्व रहा है।
इस दिन गंगा स्नान कर कंबल, घृत दान, तिल, लाडू, वस्त्र आदि दान का विशेष महत्व है। मकर संक्रांति से ही दिन बड़े होने लगते हैं और रात्रि की अवधि कम होती चली जाती है। भारतीय संस्कृति में मकर संक्रांति पर्व मनाने का विशेष महत्व है।
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