पंचायती राज दिवस : सबके परमेश्वर हैं 109 साल के सरपंच
कटिहार के वयोवृद्ध सरपंच योगेंद्र नाथ मंडल का काम के प्रति समर्पण पूरे इलाके के लिए सम्मान की बात है। इस कारण पंचायत में अनुशासन बढ़ा है।
By Dilip ShuklaEdited By: Updated: Fri, 24 Apr 2020 03:19 PM (IST)
कटिहार [विवेक सिंह]। न मुकदमों का बोझ, न ही लंबित मामले। पंच ने जो कह दिया, उसे परमेश्वर का फैसला मान स्वीकार कर लिया। कोई अपील नहीं। किसी पंचायत की यह तस्वीर भारतीय न्याय व्यवस्था की उस परिकल्पना को साकार करती नजर आती है, जहां पंच ही परमेश्वर कहे गए हैं।
109 साल के योगेंद्र नाथ मंडल कटिहार जिले के प्राणपुर प्रखंड स्थित गौरीपुर पंचायत के सरपंच हैं। इस उम्र में सक्रियता का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले साढ़े चार वर्षों में इन्होंने 350 मामलों का निष्पादन किया है। खास पहलू यह है कि इनके किसी फैसले के खिलाफ कोई अपील नहीं हुई है। लोग इनके अनुभव और निष्पक्षता पर निहाल हैं।लॉकडाउन के पूर्व तक इनकी कचहरी नियमित चलती थी। वे कहते हैं, लॉकडाउन समाप्त होने के बाद फिर कचहरी लगेगी। पूर्व मुखिया प्रताप सिंह कहते हैं, उनके फैसले पर किसी ने भी अंगुली नहीं उठाई है। लोग उन्हें सरपंच नहीं, अभिभावक मानते हैं।
प्रखंड विकास पदाधिकारी सरोज कुमार कहते हैं कि इन वयोवृद्ध सरपंच का काम के प्रति समर्पण पूरे इलाके के लिए सम्मान की बात है। इस कारण पंचायत में अनुशासन बढ़ा है। एक अक्टूबर, 1911 को एक किसान परिवार में पैदा हुए योगेंद्र मंडल के बड़े पुत्र बिक्री कर विभाग से सेवानिवृत्त हो चुके हैं। मंझले पुत्र स्वास्थ्य विभाग में हैं और छोटे पुत्र अधिवक्ता थे। तीन साल पूर्व छोटे पुत्र का निधन हो गया। वयोवृद्ध योगेंद्र ने लोगों के अनुरोध पर 2001 में मुखिया का चुनाव लड़ा, लेकिन मामूली अंतर से पराजित हो गए। 2015 में सरपंच पद के लिए चुनाव लड़ा और भारी मतों से जीत हासिल की। इस उम्र में सरपंच बनने पर तत्कालीन जिलाधिकारी मिथिलेश मिश्र ने उन्हें सम्मानित भी किया था। योगेंद्र बताते हैं कि वे पारिवारिक जिम्मेदारियों से निश्चिंत हो चुके हैं। अब बाकी का जीवन समाज को समर्पित कर दिया है। वह आज भी ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाते हैं। स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के लिए देसी नुस्खे अपनाते हैं। गोमूत्र, हल्दी डालकर दूध और तुलसी का काढ़ा हर रोज लेते हैं।
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