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    Pitru Paksha 2025: इस बार 15 दिनों का होगा पितृपक्ष, जानिए पितरों को जल अर्पित करने की विधि

    7 सितंबर से पितृपक्ष शुरू हो रहा है जो 21 सितंबर तक चलेगा। इस दौरान लोग गंगा घाटों पर और घरों में अपने पूर्वजों को जल और तर्पण अर्पित करेंगे। ज्योतिषाचार्य के अनुसार 7 सितंबर को अगस्त मुनि का अर्घ्यदान होगा और पूर्णिमा श्राद्ध किया जाएगा। पितृपक्ष में श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है।

    By Hirshikesh Tiwari Edited By: Rajat Mourya Updated: Mon, 25 Aug 2025 08:19 PM (IST)
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    पितृपक्ष सात सितंबर से, पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए होगा अनुष्ठान

    संवाद सहयोगी, भागलपुर। पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए 15 दिवसीय पितृपक्ष की शुरुआत इस बार सात सितंबर यानी रविवार से होगी। यह 21 सितंबर रविवार को अमावस्या के दिन संपन्न होगा। इस दौरान गंगा घाटों और घरों में लोग अपने-अपने पितरों को जल और तर्पण अर्पित करेंगे।

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    ज्योतिषाचार्य पंडित सचिन कुमार दूबे ने बताया कि 7 सितंबर को प्रातः 5:48 से अगस्त मुनि का अर्घ्यदान होगा। इसी दिन पूर्णिमा श्राद्ध किया जाएगा। 8 सितंबर से प्रतिपदा एकोदिष्ट श्राद्ध प्रारंभ होगा।

    वैदिक परंपरा और पौराणिक मान्यता

    वैदिक काल से चली आ रही परंपरा के अनुसार, भाद्रपद पूर्णिमा से लेकर आश्विन कृष्ण अमावस्या तक पूर्वजों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है।

    मान्यता है कि इस अवधि में यमराज पितरों को यमपुरी से मुक्त कर देते हैं। वे पृथ्वी पर आकर अपने वंशजों से पिण्डदान व जल ग्रहण करते हैं। पितृपक्ष में शुभ कार्य, मांगलिक कार्य वर्जित रहता है।

    श्राद्ध की विधि

    पितृपक्ष में प्रतिदिन प्रातः स्नान कर तिल, अक्षत, द्रव्य, फूल और कुश लेकर सूर्य के समक्ष पितरों को जल देना चाहिए। भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से लेकर अमावस्या तक की इन 15 दिनों में विशेष तिथियों पर पिण्डदान और श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा को शांति और वंशजों को सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।

    ब्रह्मपुराण में वर्णित है कि मनुष्य पर तीन प्रकार के ऋण हैं। देवऋण, ऋषि ऋण और पितृऋण। इनमें पितृऋण को श्राद्धकर्म से उतारना अनिवार्य बताया गया है।

    श्राद्ध तिथियां

    श्राद्ध तारीख दिन समय (यदि लागू)
    पूर्णिमा श्राद्ध 7 सितंबर रविवार -
    प्रतिपदा श्राद्ध 8 सितंबर सोमवार -
    द्वितीया श्राद्ध 9 सितंबर मंगलवार -
    तृतीया श्राद्ध 10 सितंबर बुधवार -
    चतुर्थी श्राद्ध 11 सितंबर गुरुवार -
    पंचमी श्राद्ध 12 सितंबर शुक्रवार -
    षष्ठी श्राद्ध 13 सितंबर शनिवार 11:14 पूर्वाह्न तक
    सप्तमी श्राद्ध 14 सितंबर रविवार सुबह 8:50 तक
    अष्टमी श्राद्ध 15 सितंबर सोमवार सुबह 5:36 तक
    नवमी श्राद्ध 15 सितंबर सोमवार -
    दशमी श्राद्ध 16 सितंबर मंगलवार -
    एकादशी श्राद्ध 17 सितंबर बुधवार -
    द्वादशी श्राद्ध 18 सितंबर गुरुवार -
    त्रयोदशी श्राद्ध 19 सितंबर शुक्रवार -
    चतुर्दशी श्राद्ध 20 सितंबर शनिवार -
    अमावस्या श्राद्ध 21 सितंबर रविवार -