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बिहार शिक्षा विभाग पर उठे सवाल : जमुई के बर्खास्‍त शिक्षक पांच वर्षों से उठा रहे वेतन, मामला उजागर तो खुल गई पोल

जमुई में बर्खास्तगी के पांच वर्ष बाद भी शिक्षक को दिया जा रहा है वेतन। वर्ष 20 16 में निर्गत किया गया था बर्खास्तगी पत्र। प्राथमिक विद्यालय खरडीह से मामला जुड़ा है। बिहार की शिक्षा व्‍यवस्‍था की अब पोल खुल गई है।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Updated: Wed, 09 Feb 2022 09:09 PM (IST)
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जमुई में शिक्षक बर्दास्‍त होने के बाद भी उठा रहे वेतन।
संवाद सहयोगी, जमुई। हैरान करने वाला शिक्षा विभाग का एक कारनामा सामने आया है। यहां तत्कालीन जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा एक शिक्षक के बर्खास्तगी के पांच वर्ष बाद भी उसे वेतन दिया जा रहा है। जो शिक्षा विभाग के कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह लगा रहा है। जिससे विभाग भी संदेह के घेरे में हैं। मामला सिकंदरा प्रखंड क्षेत्र से खरडीह प्राथमिक विद्यालय मकतब से जुड़ा है। दरअसल इस विद्यालय में बहाल शिक्षक मु.जाबेद इकबाल अंसारी की बर्खास्तगी के आदेश निर्गत होने के पांच वर्ष हो गए, लेकिन वह आज तक उक्त विद्यालय में जमे हैं। यहां तक कि अबतक उक्त शिक्षक को वेतन दिया जा रहा है। जो विभाग की लापरवाही को दर्शा रहा है।

एक साल में दो डिग्री के आरोप पर डीईओ ने बर्खास्तगी पत्र किया था जारी

जानकारी के मुताबिक शिक्षक की बहाली को लेकर ग्रामीणों ने जिला शिक्षा पदाधिकारी से शिकायत की थी। इसे लेकर कुछ अहम कागजात भी जुटाया गया था। जांच में पाया गया कि एक ही वर्ष में उसने 2 डिग्री हासिल की है। यह विभाग के साथ धोखाधड़ी करने की बात कही गई। साथ ही स्थानीय पदाधिकारी को दिग्भ्रमित करने का भी आरोप लगाया गया। उस वक्त रहे जिला शिक्षा पदाधिकारी सुरेंद्र कुमार सिंहा ने उक्त शिक्षक के शैक्षणिक प्रमाण पत्र की जांच किया तो सामने आया कि वर्ष 1990 में उसने नियमित छात्र के रूप में जवाहर उच्च विद्यालय जमुई बाजार से मैट्रिक, मदरसा तुल उलूम गाजीपुर तारापुर मुंगेर से इंटर की परीक्षा पास की। एक ही वर्ष में दो डिग्री विभाग को नागवार गुजरा। उक्त आरोप में उन्होंने अपने पत्रांक 11 99, दिनांक 5/ 9/16 के माध्यम से स्थानीय पंचायत नियोजन इकाई को बर्खास्तगी का पत्र भेजा। प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को उक्त शिक्षक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेश भी दिया गया था। उक्त आदेश को तत्कालीन स्थापना डीपीओ श्याम नारायण सिंह व काशी लाल पासवान ने भी बहाल रखा, लेकिन आज तक उस पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है।

मुखिया का प्रचार करते शिक्षक का तस्वीर हुआ था वायरल

वर्ष 2021 के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में स्थानीय मुखिया के पक्ष में उक्त शिक्षक के द्वारा प्रचार करने की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी। उक्त खबर समाचार पत्र में भी छपा था। बावजूद किसी भी विभागीय पदाधिकारी का ध्यान नहीं गया।

पांच वर्षों में 18 लाख रुपया का विभाग को हुआ नुकसान

शिक्षक को बर्खास्त करने के बावजूद विभाग के द्वारा प्रतिमाह वेतन के रूप में लगभग 30 हजार रुपए दिया जा रहा है। पांच वर्षों में लगभग 18 लाख रुपया विभाग ने उक्त शिक्षक को वेतन के रूप में दिया है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की। इतना ही नहीं आज तक उक्त शिक्षक विद्यालय में जमे हैं। अब वे प्रभारी प्रधानाध्यापक बन गए हैं। उनकी मनमानी नहीं रुक रही है जो शिक्षा विभाग के लिए चुनौती बनी हुई है।

ग्रामीणों ने किया था प्रदर्शन

शिक्षक के मनमानी को लेकर स्थानीय ग्रामीणों के द्वारा तीन फरवरी को विद्यालय परिसर में शिक्षा विभाग के खिलाफ प्रदर्शन भी किया था। ग्रामीण मु. हैदर अली, मु. जावेद अख्तर, मु. सलीम, मु. जियाउद्दीन, अमीर उल्लाह और अफरीन अंसारी सहित अन्य ने बताया कि उक्त शिक्षक के खिलाफ हमलोग के पास कई प्रमाण है। इसे लेकर विभाग को भी जानकारी दिया गया है लेकिन आज तक विभाग उस पर कार्रवाई करने के बजाय उसे सह दे रही है। उनलोगों ने बताया कि शिक्षा विभाग का यह कारनामा हमलोगों ने न कहीं देखा है और न सुना है।

हाई कोर्ट में है मामला

प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी रूपम कुमारी ने बताया कि वर्तमान में उक्त मामला हाईकोर्ट में लंबित है। वहां के आदेश के बाद ही कुछ आगे किया जा सकता है।

दोषी पर होगी कार्रवाई

जिला शिक्षा पदाधिकारी कपिलदेव तिवारी ने बताया कि इसे लेकर आवश्यक जांच पड़ताल किया जाएगा। उन्होंने बताया कि दोषी शिक्षक के खिलाफ अवश्य कार्रवाई होगी।

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