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55 साल बाद पुरानी रेल लिंक शुरू होने से दो देशों की उम्मीदों का सवेरा

भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापार व पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा। 1965 में बंद हुआ हल्दीबाड़ी-चिल्लाहाटी रेल लिंक शुरू। अभी भारत-बांग्लादेश के बीच चार रेल लिंक पेट्रोपोल से बेनापोल गेंदे से दर्शन सिघाबाद से रोहनपुर तथा राधिकापुर से बिरोल तक ट्रेन चल रही है।

By Dilip Kumar shuklaEdited By: Updated: Tue, 29 Dec 2020 02:08 PM (IST)
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हल्दीबाड़ी चिल्लाहटी पर परिचालित ट्रेन। 17 दिसंबर का हुआ उद्घाटन।

कटिहार [नीरज कुमार]। पश्चिम बंगाल के हल्दीबाड़ी से बांग्लादेश के चिल्लाहाटी तक 55 साल बाद रेल लिंक चालू होने से भारत व बांग्लादेश के बीच आर्थिक गतिविधियां तेज होंगी। पर्यटन क्षेत्र को भी बढ़ावा मिलेगा। एक तरह से सीमांचल के किसानों और व्यापारियों के अलावा बांग्लादेश के लोगों के लिए भी यह पहल एक नया सवेरा लेकर आया है। मार्च तक इस रूट पर मालवाहक और पैसेंजर ट्रेनों का परिचालन शुरू होने की संभावना है।

17 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व बांग्लोदश की प्रधानमंत्री ने वचरुअल माध्यम से इस रेल लिंक का उद्घाटन किया। मालवाही ट्रेनों के साथ ही पैसेंजर ट्रेनों का परिचालन भी इस रेल लिंक के माध्यम से हो सकेगा। मक्का, गेंहू, इलेक्ट्रॉनिक सामान, खाद, सीमेंट आदि का निर्यात भारत से बांग्लोदश को होता है। बांग्लादेश से भी मछली, कपड़े बनाने के धागों आदि का आयात किया जाता है। इस रेल लिंक से बंदरगाह एवं ड्राई पोर्ट की दूरी कम होने के कारण व्यापारियों को सुविधा होगी। बांग्लादेश से पर्यटक दार्जीलिंग, डुआर्स, नेपाल एवं भूटान की यात्र कर सकेंगे। वहां के मरीजों को भी भारत में इलाज कराने में सुविधा होगी। हल्दीबाड़ी से चिल्लाहाटी तक 3.05 किमी लंबी बड़ी रेल लाइन भारतीय रेल द्वारा बिछाई गई। इसपर 82.72 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। आजादी के पहले यही मुख्य रेल रूट था।

अभी भारत-बांग्लादेश के बीच चार रेल लिंक पेट्रोपोल से बेनापोल, गेंदे से दर्शन, सिघाबाद से रोहनपुर तथा राधिकापुर से बिरोल तक ट्रेन चल रही है। भारत-बांग्लादेश की रेल लिंक ब्रिटिश काल की भारतीय रेल से प्रभावित थी। 1947 में बंटवारे के बाद भारत तथा तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान में बांगलादेश) के बीच सात रेल लिंक चालू थी। 1965 के भारत-पाक युद्ध के बाद सभी रेल लिंक बंद कर दी गई। बाद में चार को खोला गया। हल्दीबाड़ी-चिल्लाहाटी रेल लिंक को खोलने के लिए पांच वर्ष पूर्व दिल्ली में हुई बैठक में निर्णय लिया गया था। बांग्लादेश से बातचीत के बाद इस परियोजना पर सहमति बनी। दोनों देशों के लिए इस रेल लिंक को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। सीमापार के लोगों के आपसी समन्वय में भी यह रेल लिंक अहम साबित होगी।

इससे दोनों देशों के बीच आर्थिक गतिविधियां तेज होंगी और पर्यटन क्षेत्र को भी बढ़ावा मिलेगा। मार्च तक ट्रेनों का परिचालन शुरू होने की संभावना है। - शुभानन चंद्रा, मुख्य जनसंपर्क पदाधिकारी, पूवरेत्तर सीमांत रेल, गुवाहाटी

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