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रामविलास पासवान: खगड़िया टू रायसीना...जामुन और सीया ने पुत्र का नाम क्‍यों रखा राम? प्रसिद्ध राजनीतिक मौसम विज्ञानी का सफर

Ram Vilas Paswan birth anniversary बिहार के खगड़िया में जन्में राम विलास पासवान आधी सदी तक राजनीति में छाए रहे। शहरबन्नी से रायसीना तक पहुंचे रामविलास पासवान ने काफी संघर्ष किया। छात्र नेता से दिग्गज नेता को राजनीति का मौसम विज्ञानी भी कहा जाने लगा।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Updated: Tue, 05 Jul 2022 04:04 PM (IST)
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Ram Vilas Paswan birth anniversary : 5 जुलाई 1946
ऑनलाइन डेस्‍क, भागलपुर। Ram Vilas Paswan birth anniversary : 5 जुलाई 1946 को रामविलास का जन्‍म हुआ था। उनकी जयंती पर उनके पारिवारिक और राजनीतिक जीवन के बारे में कई ऐसे प्रसंग है, जो याद किए जा रहे हैं। खगड़िया के शहरबन्‍नी में उनका जन्‍म हुआ और यहीं से उन्होंने रायसीना तक का सफर तय किया। जामुन और सीया के इस पुत्र की कृति आज चारों तरफ फैली है। जन्‍म के समय में ही इनके माता-पिता को लगा कि हमारा यह पुत्र हमारा ही नहीं बल्कि पूरे समाज का नाम देश में रोशन करेगा। इसलिए उन्‍होंने अपने पुत्र का नाम राम रखा।

अब खगड़िया के बारे में कुछ जानकारी संग्रहित करते हैं। खगडि़या सात नदियों से घिरा है। इस कारण इ से फरकिया कहा जाता है। भौगोलिक बनावट यहां की कुछ ऐसी थी कि यहां की भूमि की मापी राजा टोडरमल के समय भी नहीं हो पाई थी। दरभंगा और खगडिय़ा की सीमा पर एक गांव है। आज यह गांव शहरबन्नी पूरे देश मे जाना जाता है। इसी गांव में राम विलास पासवान का जन्म हुआ था। इनके पिता जामून दास और मां सीया देवी थे। जामुन दास को लोग संत कहते थे। सीया देवी खेती करतीं थीं। इस इलाका काफी पिछड़ा था।

रामविलास पासवान की प्राथमिक शिक्षा खगडि़या जिले के शहरबन्नी विद्यालय में हुई। मेघौना उच्च विद्यालय से उन्‍होंने मैट्रिक किया। कोसी कॉलेज खगडिय़ा और आरडी एंड डीजे कॉलेज मुंगेर से उन्‍होंने महाविद्यालय स्‍तर की शिक्षा हासिल की। अपने तीन भाइयों में राम विलास बड़े थे। पशुपति कुमार पारस उनके भाई हैं। सबसे छोटे भाई रामचंद्र पासवान थे। रामचंद्र पासवान निधन हो गया है। रामविलास पासवान भी अब नहीं रहे। तीनों भाईयों में सिर्फ पशुपति कुमार पारस ही हैं। यह परिवार राजनीतिक रूप से बिहार में सबसे ज्यादा मजबूत था। इनके परिवार के कई सदस्य सांसद रहे। रामविलास पासवान दशकों तक मंत्री हैं। पशुपति कुमार पासवान केंद्र में अभी मंत्री हैं। रामविलास पासवान राज्य सभा के सदस्य भी थे।

मधु लिमिये थे उकने राजनीतिक गुरु

राम विलास पासवान मुंगेर से चुनाव लड़ रहे मधु लिमिये के संपर्क में आए। मधु लिमिये समाजवादी नेता थे। रामविलास ने राजनीतिक के गुर उन्‍हीं से सीखा। राम विलास लगातार उनके साथ रहे। मधु लिमिये के उन्‍होंने चुनाव प्रचार किया। पार्टी कार्यकर्ताओं और आम लोगों ने पासवान की राजनीतिक प्रतिभा को परखा। उन्‍होंने सोशलिस्ट पार्टी से विधायक के लिए चुनाव लड़ा। कांग्रेस के बड़े नेता मिश्री सदा को उन्‍होंने पराजित कर दिया। मिश्री सदा उस समय के मंत्री थे। रामविलास पासवान की लोकप्रियता काफी बढ़ गई। इसके बाद उन्‍होंने हाजीपुर की ओर रूख किया। उसे राजनीतिक बनाया। लगातार वहां से कई बार लोकसभा चुनाव जीतते रहे। जीवन के अंत में जब वे अस्‍वस्‍थ हो गए तो उन्‍होंने यह सीट अपने भाई पशुपति कुमार पारस को दे दी। अभी वे ही यहां से सांसद हैं। उस समय में राज्‍यसभा से सांसद भवन पहुंचे। फ‍िर से मंत्री भी बने। दशकों तक अलग-अलग प्रधानमंत्री के नेतृत्‍व में गठित मंत्रीमंडल में वे महत्‍वपूर्ण मंत्रालय संभालते रहे। उन्‍होंने दो शादी की थी। दोनों पत्‍न‍ियां राजकुमारी देवी और रीना  देवी अभी मौजूद हैं। उनके पुत्र चिराग पासवान जमुई लोकसभा के सांसद हैं।रामविलास पासवान का 8 अक्टूबर 2020 को निधन हो गया। 

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