अजगवीनाथ मंदिर: यहां के जल से होता है देवघर में बाबा बैद्यनाथ का जलाभिषेक, रोचक है महंत-शिव दर्शन की कहानी
Ajgaivinath Temple बिहार के भागलपुर में भगवान शिव का प्रसिद्ध मंदिर है। मान्यता है कि मंदिर में शिवलिंग और भगवान शिव के त्रिशूल के दर्शन मात्र से ही सारी मनोकामना पूर्ण हो जाती है। सावन में यहां शिव भक्तों की भीड़ उमड़ती है। श्रद्धालु यहां से जल लेकर झारखंड के देवघर जलाभिषेक करने जाते हैं। वहीं मंदिर के गर्भगृह से रास्ता सीधे देवघर जाता है।
By Jagran NewsEdited By: Roma RaginiUpdated: Sun, 02 Jul 2023 03:12 PM (IST)
रोमा रागिनी, नई दिल्ली। हिन्दू धर्म में सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है। इस साल सावन की शुरुआत 4 जुलाई 2023 से हो रही है। हम आपको बिहार के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां सावन में शिव भक्तों की भीड़ उमड़ती है। कहा जाता है कि भगवान शिव का त्रिशूल यहीं स्थापित है।
बिहार के भागलपुर जिला गंगा नदी पर बसा है। भागलपुर जिले में एक प्रसिद्ध शिव मंदिर है, जहां देश-विदेश से श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन करने आते हैं।
भागलपुर से 26 किलोमीटर दूर पश्चिम सुल्तानगंज में उत्तरायणी गंगा के मध्य ग्रेनाइट पत्थर की विशाल चट्टान पर अजगवीनाथ महादेव का मंदिर है। मंदिर का प्रांगण मनमोहित करने है वाला है। यहां के पत्थरों पे उत्कृष्ट नक्काशी और शिलालेख श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं।
मंदिर पहाड़ पर स्थित है और चारों तरफ हरियाली, इसे प्राकृतिक रूप से सुंदर बनाते हैं। मान्यता है कि मंदिर में स्थापित मनोकामना शिवलिंग के दर्शन मात्र से ही सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। वहीं, यही भी कहा जाता है कि यहां भगवान शिव का त्रिशूल है, जिसके दर्शन से पुण्य मिलता है।
सावन में अजगवीनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। झारखंड के देवघर जाने से पहले शिवभक्त पहले अजगवीनाथ के दर्शन करने आते हैं। मंदिर के शिवलिंग पर जलाभिषेक का अलग ही महत्व है।देश-विदेश से श्रद्धालु सुल्तानगंज की उत्तरवाहिनी गंगा से जल लेने पहुंचे हैं। वे पहले अजगवीनाथ के मनोकामना शिवलिंग का अभिषेक करते हैं। उसके बाद 105 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर देवघर पहुंचते हैं।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।मंदिर के गर्भगृह से सीधे देवघर जाता है रास्ता
मंदिर का इतिहास बहुत पुराना बताया जाता है। प्राचीन ग्रंथों में त्रेता युग में भी इस मंदिर का प्रमाण मिलता है। वहीं, अजगवीनाथ मंदिर में स्थापित शिवलिंग और गर्भ गृह के बगल से एक रास्ता निकला है, जो सीधे देवघर जाता है।दंतकथाओं के अनुसार, पहले यहां के पुजारी पूजन के बाद यहां से गंगाजल लेकर देवघर के लिए इसी मार्ग से निकलते थे। यहां के महंत बाबा बैधनाथ के अभिषेक के लिए प्रत्येक दिन गंगाजल लेकर जाते थे।भगवान शिव ने दिए थे महंत को दर्शन
महंत की भक्ति देखकर एक दिन भगवान ने उन्हें दर्शन दिया। भगवान शिव ने महंत से कहा कि अब प्रत्येक दिन यहां आने की आवश्यकता नहीं है। उसके बाद से ही यहां के महंत बैद्यनाथ धाम मंदिर में प्रवेश नहीं करते हैं। वहीं, शिवरात्रि में बाबा के तिलकोत्सव में महंत के प्रतिनिधि यहां से गंगाजल देवघर भेजते हैं।पहले मंदिर के चारों ओर बहती थी गंगा
मंदिर की दिव्यता अलौकिक है। ये मंदिर ग्रेनाइट पत्थर से बना है। पहले मंदिर के चारों ओर गंगा बहती थी। अब भी सावन मास के समय मंदिर के पास गंगा पहुंच जाती है। सावन में गंगा स्नान करने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।अजगवीनाथ सुल्तानगंज के महंत प्रेमानंद गिरी बताते हैं कि इस मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। दूर-दूर से श्रद्धालु बाबा के जलाभिषेक के लिए यहां पहुंचते हैं। बाबा के मनोकामना शिवलिंग पर जलार्पण करने से समस्त बाधाएं दूर होती हैं।