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श्रावणी मेला : 110 KM की पैदल नंगे पांव यात्रा; शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक शांति का फुल पैकेज, सुंदरता में निखार

श्रावणी मेला नंगे पांव यात्रा स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद। श्रद्धालु 110 किलोमीटर यात्रा कर बाबा भोलेनाथ को चढ़ाते हैं जल। लाखों कांवरिया फलाहार कर जाते हैं अजगवीनाथ धाम से बाबा धाम। उपवास और खानपान के व्यवस्थित होने से स्‍वास्‍थ्‍य के साथ सुंदरता भी बढ़ती है।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Updated: Fri, 15 Jul 2022 09:09 AM (IST)
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श्रावणी मेला : सुल्‍तानगंज से बाबाधाम पैदल जाते कांवरिये।
नवनीत मिश्र, भागलपुर। श्रावणी मेला : भोजन पर नियंत्रण कर न केवल मन को शांत किया जा सकता है, बल्कि शरीर को रोगमुक्त भी रखा जा सकता है। व्रत करने से हमारी श्रद्धा-आस्था तो गहरी होती ही है, स्वास्थ्य भी बेहतर रहता है। नंगे पांव चलने से तन-मन स्वस्थ रहता है।

श्रावणी मेला में आए कांवरिये पूरी नेम-निष्ठा के साथ सुल्तानगंज स्थित उत्तरवाहिनी गंगा का पवित्र जल उठाते हैं और 110 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर बाबा वैद्यनाथ धाम का जलाभिषेक करते हैं।

सावन माह में लाखों कांवरिये फलाहार पर रहते हैं। पैदल चलना और फलाहार पर रहना दोनों स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद है। इससे तनाव स्वत: कम हो जाता है।

चिकित्सक का कहना है कि उपवास न केवल आपको शारीरिक लाभ देता है, बल्कि आत्मिक शांति देकर मानसिक तनाव एवं अन्य समस्याओं का भी समाधान करता है। उपवास शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक शांति का फुल पैकेज है।

उपवास के दौरान आप फलाहार के अलावा तरल पदार्थों का अधिक सेवन करते हैं। इससे आपके शरीर में पानी की कमी तो पूरी होती ही है, त्वचा भी हाइड्रेट होती रहती है। उपवास करने से मेटाबोलिज्म खास प्रभावी होता है। जिससे हार्मोन्स, गुर्दे, लीवर, आरबीसी इत्यादि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

जमदेशपुर के राजेश, सोनू, मिथिलेश, रोहित, बिट्टू पांच दिनों तक फलाहार कर सुल्तानगंज से देवघर 110 किलोमीटर की पैदल यात्रा करते हैं। इनका कहना है कि फलों और जूस का सेवन करने से पूरे दिन ताजगी बनी रहती है। आलस्य नहीं घेरता है। नेपाल से आए चंदन शर्मा अपनी पत्नी, बच्चों के साथ कांवर यात्रा पर निकले हैं। चंदन ने कहा कि मैं अपने स्वजन के साथ कई सालों से कांवर यात्रा कर रहा हूं। चार दिन में देवघर पहुंच जाता हूं। बाबा वासुकीनाथ को जलाभिषेक करने के पश्चात ही अनाज खाता हूं। उन्होंने कहा कि कांवर यात्रा के क्रम में वे लोग दूध, फल, खोया आदि का सेवन करते हैं। इससे नियम का झंझट नहीं होता है। मन मिजाज में हल्कापन महसूस होता है। सुबह स्नान के बाद फिर शाम में संध्या आरती के समय भी स्नान करता हूं।

बढ़ती है सुंदरता

उपवास से जीवनशैली और खानपान के व्यवस्थित होने से सेहत के साथ सुंदरता भी बढ़ती है। फलों, सूखे मेवों के सेवन से त्वचा पर भी फर्क नजर आता है। बालों की गुणवत्ता बेहतर होती है। उपवास के दौरान लोग अन्य दिनों की अपेक्षा कम कैलोरी लेते हैं।

जूस का असर

सामान्यत: हर दिन फलों और जूस का सेवन भले ही अनुशासन के साथ न कर पाएं, लेकिन उपवास के दौरान कोई और विकल्प नहीं होता है। भरपूर मात्रा में फलों और जूस का सेवन लाभ देता है। उपवास के दौरान फलों और पेय पदार्थों का सेवन करने से शरीर में मौजूद विषैले और हानिकारक तत्व बाहर निकल जाते हैं। इससे कई तरह की समस्याओं से निजात मिलती है।

आयुर्वेदिक चिकित्सक देवेंद्र गुप्ता का कहना है कि साधना-उपासना-यज्ञ-अनुष्ठान-दान-तप से हम मानसिक और शारीरिक स्तर पर प्राकृतिक ऊर्जा का संग्रह कर पाते हैं। जिस प्रकार हम हर दिन जीवन के लिए आहार के रूप में भोजन लेते हैं, उसी प्रकार शरीर में विद्यमान विद्युत-शक्ति यानी अपने मेटाबोलिज्म को भी रिचार्ज करने की जरूरत पड़ती है। जब हम अनाज के रूप में भोजन लेते हैं, तो शरीर के रसायनों को उसे सुपाच्य बनाने के लिए मशक्कत करनी पड़ती है। समय-समय पर इस प्रक्रिया को विश्राम देने की भी आवश्यकता पड़ती है। लिहाजा इस अवधि में लोग दूध, दही, या फलाहार का सेवन कर आंतरिक तंत्र को सशक्त करते हैं।

भागदौड़ और व्यस्तता से भरी जीवनशैली में अनावश्यक और अनियंत्रित खानपान से आपकी पूरी दिनचर्या और अन्य चीजें प्रभावित होती हैं। ऐसे में उपवास के दौरान आप अपनी इस जीवनशैली और आहार योजना को व्यवस्थित कर सकते हैं। उपवास कर आप पेट संबंधी समस्याओं से निजात पा सकते हैं। इस दौरान समय-समय पर हल्का और पौष्टिक आहार लेकर आप गैस, मितली, एसीडिटी, दस्त, पेशाब में जलन जैसी समस्याओं को समाप्त कर सकते हैं। - डा. आलोक कुमार सिंह, वरीय चिकित्सक, जेएलएनएमसीएच

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